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जनवरी में धरती क्यों बनती है मौत का मैदान? जानें भूकंप की तबाही के चौंकाने वाले सच

January earthquake connection: भूकंप, प्रकृति की वह भयावह शक्ति है जो पलभर में जीवन और जमीन को हिला कर रख देती है। मंगलवार को नेपाल, चीन और भारत में भूकंप के झटकों ने एक बार फिर प्रकृति की विनाशकारी ताकत...
05:29 PM Jan 07, 2025 IST | Rajasthan First

January earthquake connection: भूकंप, प्रकृति की वह भयावह शक्ति है जो पलभर में जीवन और जमीन को हिला कर रख देती है। मंगलवार को नेपाल, चीन और भारत में भूकंप के झटकों ने एक बार फिर प्रकृति की विनाशकारी ताकत का अहसास कराया। चीन के तिब्बत प्रांत में 7.1 तीव्रता के भूकंप ने 96 लोगों की जान ले ली और 130 से अधिक लोग घायल हो गए। भारत के सिक्किम, उत्तराखंड और बिहार में इसका असर महसूस किया गया, वहीं नेपाल के काठमांडू समेत कई जिलों में जमीन कांप उठी।

यह पहली बार नहीं है जब जनवरी में भूकंप ने ऐसा कहर बरपाया हो। (January earthquake connection) इतिहास पर नजर डालें तो पाएंगे कि जनवरी के महीने में आए भूकंप ने कई देशों में तबाही मचाई है। इन भूकंपों में न सिर्फ जान-माल का भारी नुकसान हुआ, बल्कि मौतों का आंकड़ा भी काफी बड़ा रहा। आइए, जानते हैं जनवरी में आने वाले भूकंप का इतिहास, उनकी विनाशकारी वजहें और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी।

23 जनवरी 1556... शांक्सी भूकंप

23 जनवरी 1556 को चीन के शांक्सी प्रांत में आए भूकंप ने 8 लाख से अधिक लोगों की जान ली। 8 तीव्रता के इस भूकंप ने पूरे क्षेत्र को तहस-नहस कर दिया। लाखों घर ध्वस्त हो गए, और बचे हुए लोग बीमारियों से जूझते रहे। इसे जियाजिंग भूकंप के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यह मिंग राजवंश के जियाजिंग सम्राट के शासनकाल में आया था। इस भूकंप ने चीन के इतिहास में सबसे विनाशकारी आपदा के रूप में अपनी पहचान बनाई।

15 जनवरी 1934... नेपाल और बिहार की तबाही

15 जनवरी 1934 को नेपाल और भारत के बिहार में भूकंप ने भारी तबाही मचाई। रिक्टर स्केल पर 8 की तीव्रता वाले इस भूकंप में नेपाल में 8,500 और बिहार में 7,253 लोगों की मौत हुई। पटना, मुजफ्फरपुर, और दरभंगा जैसे क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हुए। यह भूकंप उस समय की सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदाओं में से एक था।

17 जनवरी 1995... कोबे भूकंप, जापान

जापान के कोबे में 17 जनवरी 1995 को 6.9 तीव्रता का भूकंप आया, जिसने 6,434 लोगों की जान ले ली। हजारों घर और इमारतें नष्ट हो गईं, और देश की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा। भूकंप के बाद सुरक्षा और अग्नि-रक्षा प्रणाली में खामियों की जांच की गई, और बेहतर उपायों की योजना बनाई गई।

 

26 जनवरी 2001...गुजरात का विनाशकारी भूकंप

26 जनवरी 2001 को, जब देश गणतंत्र दिवस मना रहा था, गुजरात के भुज में 7.7 तीव्रता का भूकंप आया। इस भूकंप में 20,000 से अधिक लोगों ने जान गंवाई, 1.67 लाख लोग घायल हुए, और 4 लाख से अधिक घर नष्ट हो गए। इस भूकंप ने न केवल गुजरात बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस भूकंप में राष्ट्रपति भवन, नेशनल असेंबली बिल्डिंग, पोर्ट-ऑ-प्रिंस कैथेड्रल और मुख्य जेल क्षतिग्रस्त हो गया. कई देशों से मानवीय सहायता की अपील की गई और एक कार्यक्रम होप फॉर हैती के जरिए 58 मिलियन डॉलर जुटाए गए. जिसका इस्तेमाल भूकंप पीड़ितों की सहायता के लिए किया गया

क्या है जनवरी से भूकंप का कनेक्शन?

जनवरी में आए भूकंपों की तबाही को देखकर यह सवाल उठता है कि क्या भूकंप का कोई विशेष कनेक्शन जनवरी से है। भूकंप का सीधा संबंध जनवरी से नहीं है क्योंकि यह धरती की टेक्टोनिक प्लेटों के हिलने और उनके बीच उत्पन्न तनाव के कारण आते हैं।

हालांकि, वैज्ञानिक मानते हैं कि जिन क्षेत्रों में अत्यधिक ठंड पड़ती है, वहां बर्फबारी और अधिक ठंड के कारण फॉल्ट लाइनों पर तनाव बढ़ सकता है। जब तापमान बदलता है और बर्फ पिघलती है, तो यह फॉल्ट लाइनों पर दबाव को कम या अधिक कर सकता है, जिससे भूकंपीय गतिविधि हो सकती है। इसे "सीजनल स्ट्रेस साइकिल" के रूप में जाना जाता है।

इस सिद्धांत के अनुसार, ठंडे महीनों में फॉल्ट लाइनों पर बर्फ और तापमान में बदलाव का प्रभाव देखा जा सकता है, जो कुछ भूकंपों के पीछे संभावित कारण हो सकता है।

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