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ISRO Success: ISRO का नया कारनामा, स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट का सफल डि-डॉकिंग

ISRO Success: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (SpaDeX) के सफल डि-डॉकिंग की पुष्टि कर दी है।
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ISRO Success: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (SpaDeX) के सफल डि-डॉकिंग की पुष्टि कर दी है, जो भविष्य में चंद्रयान-4 और अन्य महत्वपूर्ण अंतरिक्ष अभियानों का मार्ग प्रशस्त करेगा।

कैसे हुआ सफल डि-डॉकिंग?

इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस सफल परीक्षण की जानकारी साझा करते हुए बताया कि इस प्रक्रिया में SDX-2 एक्सटेंशन, कैप्चर लीवर 3 की रिलीज, कैप्चर लीवर का डिसएंगेजमेंट और अंततः दोनों उपग्रहों के लिए डि-कैप्चर कमांड जारी किया गया।

केंद्रीय मंत्री ने दी बधाई

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इसरो की इस उपलब्धि पर टीम को बधाई देते हुए कहा, "इसरो टीम को बधाई! और हर भारतीय के लिए गर्व की बात! स्पाडेक्स सैटेलाइट्स ने अविश्वसनीय डि-डॉकिंग को पूरा किया।"

उन्होंने आगे कहा, "यह उपलब्धि भविष्य के महत्वाकांक्षी अभियानों जैसे भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Bharatiya Antriksha Station), चंद्रयान-4 और गगनयान की सफलता का मार्ग प्रशस्त करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सतत प्रेरणा से इसरो नई ऊंचाइयों को छू रहा है।"

SpaDeX मिशन की यात्रा

SpaDeX मिशन को 30 दिसंबर 2024 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था। इस मिशन के तहत दो उपग्रह SDX01 और SDX02 (जिन्हें 'चेज़र' और 'टारगेट' नाम दिया गया) को 16 जनवरी को डॉक किया गया था। भारत अब अमेरिका, रूस और चीन के बाद अंतरिक्ष में सफल डॉकिंग करने वाला चौथा देश बन गया है।

आगे क्या?

इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन ने कहा कि इस स्पेस डॉकिंग मिशन पर आगे के प्रयोग 15 मार्च से किए जाएंगे। "हमने एक योजना बनाई है और 15 मार्च से वास्तविक प्रयोग शुरू करेंगे।" उन्होंने बताया कि वर्तमान में यह संयुक्त उपग्रह एक दीर्घवृत्ताकार कक्षा में है, जिससे इसरो को हर दो महीने में 10-15 दिनों की विंडो मिलती है, जब इस मिशन से जुड़े विभिन्न प्रयोग किए जा सकते हैं।

SpaDeX का महत्व

इसरो के अनुसार, SpaDeX एक कम लागत वाला मिशन है, जिसका उद्देश्य दो छोटे अंतरिक्ष यान की मदद से स्पेस डॉकिंग तकनीक का प्रदर्शन करना है। यह तकनीक उन स्थितियों में उपयोगी होगी, जब कई रॉकेट लॉन्च कर एक संयुक्त उद्देश्य को पूरा करना आवश्यक हो। इसरो की यह उपलब्धि भारत की बढ़ती अंतरिक्ष शक्ति को दर्शाती है और भविष्य के चंद्रयान-4, गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन जैसे अभियानों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी।

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