ISRO PSLV-C59 Mission: सूर्य के रहस्यों को सुलझाने की नई कोशिश, यूरोपीय वैज्ञानिक संग भारत की साझेदारी
ISRO PSLV-C59 Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 4 दिसंबर 2024 को अपने PSLV-C59 रॉकेट से Proba-3 मिशन लॉन्च करने के लिए तैयार है। यह मिशन आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भारतीय समयानुसार दोपहर 4:08 बजे लॉन्च किया जाएगा। Proba-3 मिशन, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) का एक महत्वपूर्ण "इन-ऑर्बिट डिमॉन्स्ट्रेशन" मिशन है, जो अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में नई ऊंचाइयों को छूने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।
Proba-3 मिशन की मुख्य विशेषताएं
1. लॉन्च और रॉकेट:
PSLV-C59 रॉकेट Proba-3 उपग्रहों को एक दीर्घवृत्ताकार कक्षा में स्थापित करेगा। यह 44.5 मीटर ऊंचा है, इसका कुल वजन 320 टन है और इसमें चार चरणों वाला प्रोपल्शन सिस्टम है। यह मिशन NewSpace India Limited (NSIL), ISRO और ESA के सहयोग का उदाहरण है।
2. दो उपग्रहों का अनूठा मिशन:
कोरोनाग्राफ स्पेसक्राफ्ट (CSC):
यह सूर्य के वायुमंडल (कोरोना) का अध्ययन करेगा। इसमें लेजर और विजुअल आधारित टार्गेट्स लगे हैं और इसका वजन 310 किलोग्राम है।
ऑकल्टर स्पेसक्राफ्ट (OSC):
यह सूर्य की चमकदार डिस्क को ब्लॉक करेगा ताकि CSC सूर्य के वायुमंडल का बेहतर अध्ययन कर सके। इसका वजन 240 किलोग्राम है।
दोनों उपग्रह अंतरिक्ष में 150 मीटर की दूरी बनाए रखते हुए एक संरचना में उड़ान भरेंगे। यह पहली बार होगा जब दो उपग्रह इस प्रकार की फॉर्मेशन फ्लाइंग तकनीक का प्रदर्शन करेंगे।
Proba-3 मिशन के उद्देश्य
सटीक संरचना उड़ान (फॉर्मेशन फ्लाइंग): यह तकनीक उपग्रहों को एक दूसरे के साथ सटीक दूरी और स्थिति बनाए रखने में सक्षम बनाती है।
सूर्य के कोरोना का अध्ययन: OSC सूर्य की चमक को ब्लॉक करेगा, जिससे CSC बिना किसी रुकावट के सूर्य के बाहरी वातावरण का अध्ययन कर सकेगा।
अंतरिक्ष में नई तकनीकों का परीक्षण: मिशन रेंडेज़वस और प्रॉक्सिमिटी ऑपरेशन्स जैसी तकनीकों को प्रदर्शित करेगा।
NSIL की भूमिका
NewSpace India Limited (NSIL), ISRO की वाणिज्यिक शाखा है, जो इस मिशन को संभव बनाने में अहम भूमिका निभा रही है। यह उपग्रहों की लॉन्च सेवाओं और अन्य अंतरिक्ष सेवाओं के माध्यम से वैश्विक ग्राहकों को सेवाएं प्रदान करती है। Proba-3 मिशन NSIL के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
मिशन का महत्व
Proba-3 अंतरिक्ष अनुसंधान में एक नई दिशा तय करेगा। यह मिशन न केवल अंतरिक्ष में नई तकनीकों का प्रदर्शन करेगा, बल्कि ISRO और ESA के बीच सहयोग को भी और मजबूत बनाएगा। यह मिशन भविष्य के लिए उन्नत अंतरिक्ष अभियानों का मार्ग प्रशस्त करेगा।
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