Indian Army Dog Phantom: अमर रहेगा 'फैंटम' का बलिदान, ऐसे होती है भारतीय सेना के चार-पांव वाले साथी की ट्रेनिंग
Indian Army Dog Phantom: भारतीय सेना के अद्वितीय डॉग 'फैंटम' ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के अखनूर सेक्टर में आतंकियों के खिलाफ एक ऑपरेशन के दौरान वीरगति को प्राप्त किया। अपनी असाधारण बहादुरी और समर्पण के लिए फैंटम को श्रद्धांजलि दी गई। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये साहसी श्वान कैसे तैयार किए जाते हैं और इनकी ट्रेनिंग प्रक्रिया कसी होती है? आइये जानते हैं इनके बारे में विस्तार से।
कौन था फैंटम डॉग?
फैंटम, बेल्जियन मालिनोइस नस्ल का एक उत्कृष्ट कुत्ता था, जिसका जन्म 25 मई 2020 को हुआ था। इसे भारतीय सेना में 12 अगस्त 2022 को शामिल किया गया और यह व्हाइट नाइट कोर का हिस्सा बना। आतंकियों का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने में फैंटम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
डॉग्स की ट्रेनिंग प्रक्रिया
भारतीय सेना के डॉग्स की ट्रेनिंग बेहद कठोर और चुनौतीपूर्ण होती है। इन्हें देशभर में स्थित डॉग ट्रेनिंग फैकल्टी में प्रशिक्षित किया जाता है।
ट्रेनिंग में शामिल होने वाले महत्वपूर्ण पहलू:
बुनियादी ट्रेनिंग: सभी डॉग्स को तीन महीने की बुनियादी ट्रेनिंग दी जाती है, जिसमें उन्हें कमांड मानने, हमला होने पर प्रतिक्रिया देने और सही तरीके से चलने की शिक्षा दी जाती है। ट्रेनिंग का समय रोजाना तीन से चार घंटे होता है।
स्पेशल टेक्टिकल ऑपरेशंस: इन डॉग्स को जंगल में खोजने, विशेष सैनिटाइजेशन और अन्य ऑपरेशंस के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। स्पेशल मिशन्स के लिए, इन्हें सुबह, दोपहर, शाम और रात में भी प्रशिक्षित किया जाता है।
सूंघने की क्षमता: ट्रेनिंग के दौरान, डॉग्स को सूंघने और अपने लक्ष्य तक पहुंचने की कला सिखाई जाती है। उनके दांतों की पकड़ इतनी मजबूत होती है कि वे अपने शिकार को छूटने नहीं देते।
किस तरह के डॉग्स हो सकते हैं शामिल?
भारतीय सेना में आमतौर पर बेल्जियन शेफर्ड और असॉल्ट बैब्राडोर जैसे डॉग्स को भर्ती किया जाता है। इनकी भर्ती दो साल की उम्र में की जाती है और दस साल की उम्र में इन्हें रिटायर किया जाता है। रिटायरमेंट के बाद, इन्हें मेरठ में स्थित वृद्धाश्रम में भेजा जाता है, जहां सेना के अफसर इन्हें गोद लेते हैं।
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