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Illegal Passage Travel: अमेरिका जाने के लिए बेचे खेत और गहने, हथकड़ियों में लौटी उम्मीदें

Illegal Passage Travel: अमेरिका में बसने का सपना संजोकर घर छोड़ने वाले दर्जनों युवा आखिरकार एक सैन्य विमान से भारत लौट आए
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Illegal Passage Travel: अमेरिका में बसने का सपना संजोकर घर छोड़ने वाले दर्जनों युवा आखिरकार एक सैन्य विमान से भारत लौट आए, लेकिन हाथों में हथकड़ियां और दिल में गहरी मायूसी लेकर। पंजाब, हरियाणा, गुजरात, उत्तर प्रदेश, गोवा, महाराष्ट्र, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर से कुल 114 लोग अमेरिका से निर्वासित होकर वापस लौटे। इनमें से 65 पंजाब, 33 हरियाणा और 8 गुजरात से थे।

दुख और निराशा के साथ घर वापसी

पंजाब के फिरोजपुर जिले के चंदीवाला गांव के 20 वर्षीय सौरव 17 दिसंबर को अमेरिका के लिए रवाना हुए थे। लेकिन 27 जनवरी को उन्हें अमेरिकी सीमा पर पकड़ लिया गया। सौरव ने बताया "हमें 18 दिनों तक एक डिटेंशन सेंटर में रखा गया, जहाँ हमारे मोबाइल फोन भी छीन लिए गए।"

सौरव के परिवार ने उनके अमेरिका जाने के लिए अपनी दो एकड़ जमीन बेच दी और लाखों रुपये का कर्ज लिया। उन्होंने कहा, "हमने लगभग 45-46 लाख रुपये खर्च किए।" लेकिन उनका सफर एम्स्टर्डम, पनामा और मेक्सिको होते हुए भी अमेरिका में ठहर नहीं सका।

हथकड़ियों में लौटे, सपने टूटे

गुरदासपुर के खानोवाल घुमान गांव के हरजीत सिंह और उनके चचेरे भाई ने भी अमेरिका में बसने का सपना देखा था। लेकिन यह सपना हथकड़ियों में टूट गया। हरजीत ने बताया, "हमें सीमा पार करते ही पकड़ लिया गया और 18 दिन डिटेंशन सेंटर में रखा गया। फिर 13 फरवरी को हमें भारत भेज दिया गया।"

हरजीत के परिवार ने उन्हें अमेरिका भेजने के लिए 90 लाख रुपये खर्च किए थे। लेकिन उनका सफर दर्द और धोखाधड़ी में तब्दील हो गया। उन्होंने निराशा भरे स्वर में कहा, "हमें भरोसा दिलाया गया था कि हम कानूनी रूप से अमेरिका जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।"

'डंकी रूट' से गया, पर वापस लौटा

होशियारपुर के बोडल गांव के 22 वर्षीय मंताज सिंह का भी यही हाल रहा। जैसे ही उन्होंने अमेरिका की सीमा पर कदम रखा, बॉर्डर पेट्रोल ने उन्हें पकड़ लिया। कपूरथला जिले के बेहबल बहादुर गांव के साहिल प्रीत सिंह के माता-पिता ने भी बेटे को विदेश भेजने के लिए अपनी पूरी जमा-पूंजी लगा दी।

उनकी मां हरविंदर कौर ने बताया, "हमने जमीन बेची, गहने गिरवी रखे, रिश्तेदारों से उधार लिया, लेकिन हमें ठग लिया गया।" उन्होंने सरकार से मांग की कि उनके बेटे को नौकरी दी जाए और दोषी एजेंट पर कार्रवाई हो। मोगा के धरमकोट गांव के जसविंदर सिंह ने अमेरिका जाने के लिए 45 लाख रुपये खर्च किए, लेकिन उन्हें भी ठगी और धोखाधड़ी का शिकार होना पड़ा।

झूठे वादों का शिकार हुए युवा

अमृतसर में 5 फरवरी को पहुंचे पहले बैच के निर्वासितों की कहानी भी कुछ ऐसी ही थी। हर किसी ने अमेरिका में एक सुनहरे भविष्य का सपना देखा था, लेकिन उन्हें केवल निराशा और आर्थिक तबाही हाथ लगी।

ये कहानियां उस हकीकत को दर्शाती हैं, जहां बिचौलियों और एजेंटों द्वारा भोले-भाले युवाओं और उनके परिवारों को ठगा जाता है। लाखों रुपये गंवाने के बाद भी, इन परिवारों के हाथ कुछ नहीं लगा—सिवाय टूटे सपनों और एक अनिश्चित भविष्य के।

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