राजस्थानराजनीतिनेशनलअपराधकाम री बातम्हारी जिंदगीधरम-करममनोरंजनखेल-कूदवीडियोधंधे की बात

Election Rules Amendment: चुनाव नियमों में संशोधन पर सियासी बवाल, पारदर्शिता पर उठे सवाल

Election Rules Amendment: केंद्र सरकार द्वारा शनिवार को चुनाव आचरण नियम, 1961 में किए गए संशोधन ने राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है। इस संशोधन के तहत अब आम जनता को चुनावी दस्तावेज़ों जैसे सीसीटीवी फुटेज और अन्य सामग्री तक...
07:34 PM Dec 22, 2024 IST | Ritu Shaw

Election Rules Amendment: केंद्र सरकार द्वारा शनिवार को चुनाव आचरण नियम, 1961 में किए गए संशोधन ने राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है। इस संशोधन के तहत अब आम जनता को चुनावी दस्तावेज़ों जैसे सीसीटीवी फुटेज और अन्य सामग्री तक पहुंचने का अधिकार केवल तभी होगा जब चुनाव आयोग (ECI) इसे सूचीबद्ध करेगा।

इस संशोधन का विपक्षी दलों ने कड़ा विरोध किया है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इसे पारदर्शिता को कमजोर करने वाला कदम बताया है और कानूनी चुनौती देने की बात कही है।

कांग्रेस का कड़ा विरोध

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे "चुनाव आयोग की संस्थागत अखंडता को खत्म करने की सरकार की साजिश" करार दिया। उन्होंने कहा, "मोदी सरकार का यह कदम संविधान और लोकतंत्र पर सीधा हमला है। कांग्रेस इस हमले का हरसंभव विरोध करेगी और लोकतंत्र की रक्षा के लिए सभी कदम उठाएगी।"

खड़गे ने सरकार पर चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से लेकर चुनावी पारदर्शिता से संबंधित जानकारियों को रोकने तक के प्रयासों का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हर बार जब कांग्रेस ने ईसीआई से चुनावी अनियमितताओं पर सवाल उठाए, तो आयोग ने जवाब देने में टालमटोल की।

सीपीआई और सीपीआई(एम) ने जताई नाराज़गी

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के नेता डी. राजा ने सरकार के इस कदम को "लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने वाला" बताया। उन्होंने कहा, "भारत बहुदलीय लोकतंत्र है। बिना राजनीतिक दलों के चुनाव प्रणाली का कोई अस्तित्व नहीं। सरकार का यह एकतरफा निर्णय लोकतंत्र और चुनाव प्रणाली को कमजोर करेगा।"

सीपीआई(एम) ने भी संशोधन पर आपत्ति जताते हुए इसे तत्काल वापस लेने की मांग की। पार्टी के बयान में कहा गया, "चुनाव आयोग द्वारा राजनीतिक दलों के साथ परामर्श करके पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल और वीडियो रिकॉर्ड्स की व्यवस्था की गई थी। अब यह संशोधन उस प्रक्रिया को खत्म करता है।"

समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया

समाजवादी पार्टी (एसपी) के प्रवक्ता मनोज काका ने कहा कि यह संशोधन चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता को नुकसान पहुंचाएगा। उन्होंने कहा, "हमें चुनाव आयोग और चुनाव प्रक्रिया में निष्पक्षता और पारदर्शिता चाहिए। इसी से चुनाव प्रासंगिक और लोकतंत्र मजबूत होगा।"

काका ने ईवीएम की पारदर्शिता पर भी सवाल उठाए और बैलेट पेपर की वापसी की मांग दोहराई।

भाजपा का बचाव

विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए भाजपा प्रवक्ता गोपाल अग्रवाल ने कहा कि यह संशोधन केवल एक "सुविधा" है। उन्होंने कहा, "चुनाव आयोग एक स्वतंत्र संस्था है, और उसके निर्णयों को केंद्रीय सरकार पर दोषारोपण से जोड़ना ठीक नहीं।" अग्रवाल ने यह भी कहा कि संशोधन से पारदर्शिता पर कोई असर नहीं पड़ेगा और "सभी उम्मीदवारों को कानूनी प्रक्रिया के तहत दस्तावेज़ों तक पहुंचने का अधिकार है।"

संशोधन के पीछे का कारण

संशोधन का उद्देश्य चुनाव आयोग को उन मामलों से बचाना है जहां अदालत ने चुनाव सामग्री उपलब्ध कराने का आदेश दिया था। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के एक फैसले के बाद, ईसीआई ने केंद्र को नियम 93(2)(a) में बदलाव की सिफारिश की थी।

इस संशोधन से अब जनता को केवल उन चुनावी दस्तावेज़ों तक पहुंचने की अनुमति होगी, जिन्हें आयोग सूचीबद्ध करेगा। आलोचकों का कहना है कि यह कदम चुनावी पारदर्शिता को कमजोर कर सकता है। विपक्षी दलों ने सरकार पर लोकतंत्र को कमजोर करने और चुनावी प्रक्रिया में राजनीतिक हस्तक्षेप बढ़ाने का आरोप लगाया है। वहीं, भाजपा ने इसे चुनाव सुधार की दिशा में उठाया गया आवश्यक कदम बताया है।

यह भी पढ़ें: Kuwait's highest Honour PM Modi: पीएम मोदी को मिला कुवैत के सर्वोच्च सम्मान ‘मुबारक अल-कबीर ऑर्डर’, भारतीयों को किया समर्पित

Tags :
Conduct of Election RulesCongressECIElection CommissionElection RulesElection Rules AmendmentMallikarjun Kharge
Next Article