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China Mega Dam: अरुणाचल के CM की चेतावनी, सियांग नदी पर चीन के डैम से मंडरा रहा खतरा

China Mega Dam: अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने शुक्रवार को चेतावनी दी कि चीन द्वारा तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो नदी पर 60,000 मेगावाट की क्षमता वाला मेगा डैम बनाने का निर्णय भारत और बांग्लादेश में करोड़ों लोगों के...
10:07 PM Jan 24, 2025 IST | Ritu Shaw

China Mega Dam: अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने शुक्रवार को चेतावनी दी कि चीन द्वारा तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो नदी पर 60,000 मेगावाट की क्षमता वाला मेगा डैम बनाने का निर्णय भारत और बांग्लादेश में करोड़ों लोगों के जीवन पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि चीन इस डैम को "वॉटर बम" के रूप में इस्तेमाल कर सकता है, जो अगर छोड़ा गया तो निचले क्षेत्रों में विनाशकारी परिणाम देगा। यारलुंग त्सांगपो नदी को अरुणाचल प्रदेश में सियांग और असम में ब्रह्मपुत्र के नाम से जाना जाता है, जो बांग्लादेश होकर बंगाल की खाड़ी में प्रवाहित होती है।

जल सुरक्षा और पर्यावरण पर बड़ा खतरा

खांडू ने इटानगर में आयोजित ‘पर्यावरण और सुरक्षा’ नामक एक संगोष्ठी के दौरान कहा, “चीन का यह डैम जल सुरक्षा, पारिस्थितिकी और निचले क्षेत्रों में रहने वाले लाखों लोगों के आजीविका पर गंभीर खतरा पैदा करता है। इससे जल प्रवाह, बाढ़ और पारिस्थितिकी तंत्र के विनाश के जोखिम बढ़ सकते हैं।”

उन्होंने कहा कि डैम के कारण चीन जल प्रवाह और उसकी मात्रा को नियंत्रित कर सकता है, जिससे सूखे या जल प्रवाह की कमी के समय गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। उन्होंने सर्दियों के दौरान सियांग या ब्रह्मपुत्र नदी के सूखने की संभावना पर भी चिंता व्यक्त की, जिससे अरुणाचल और असम के लोग प्रभावित होंगे।

बाढ़ और कृषि पर प्रतिकूल प्रभाव

खांडू ने कहा कि मानसून के दौरान डैम से अचानक पानी छोड़ा गया तो निचले क्षेत्रों में भारी बाढ़ आ सकती है, जिससे समुदाय विस्थापित होंगे, फसलें नष्ट होंगी और बुनियादी ढांचे को नुकसान होगा। इसके अलावा, डैम से तलछट प्रवाह में भी परिवर्तन होगा, जिससे कृषि भूमि प्रभावित होगी जो पोषक तत्वों की प्राकृतिक आपूर्ति पर निर्भर करती है।

चीन पर अविश्वास और भारत की तैयारी

खांडू ने कहा कि चीन पर भरोसा करना मुश्किल है क्योंकि वह किसी भी अंतरराष्ट्रीय जल संधि का हिस्सा नहीं है। उन्होंने बताया कि चीन के इस डैम के संभावित प्रभावों को संतुलित करने के लिए भारत सरकार ने 12,500 मेगावाट का सियांग अपर बहुउद्देश्यीय परियोजना (SUMP) प्रस्तावित की है। उन्होंने कहा, “यह परियोजना राष्ट्रीय महत्व की है और हमारी जल सुरक्षा बनाए रखने के लिए आवश्यक है। अगर भविष्य में चीन इस डैम का इस्तेमाल जल बम के रूप में करता है, तो हमें अपनी रक्षा के लिए तैयार रहना होगा।”

हालांकि, सियांग जिले के निवासियों ने इस परियोजना का विरोध किया है। उनका कहना है कि इससे परिवारों का विस्थापन होगा और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। परियोजना के पूर्व-व्यवहार्यता रिपोर्ट (PFR) तैयार करने के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPFs) की तैनाती के खिलाफ हाल ही में प्रदर्शन हुए।

तिब्बत का पर्यावरणीय महत्व

खांडू ने अपने भाषण में कहा कि भारत की अधिकांश बड़ी नदियों का उद्गम तिब्बती पठार से होता है। चीन द्वारा तिब्बत के प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन इन नदी प्रणालियों के अस्तित्व के लिए बड़ा खतरा है। उन्होंने कहा, “तिब्बत को एशिया का ‘वाटर टॉवर’ कहा जाता है, जो क्षेत्र के एक अरब से अधिक लोगों को पानी प्रदान करता है। इसका पर्यावरणीय स्वास्थ्य केवल चीन और भारत ही नहीं, बल्कि पूरे एशिया के लिए महत्वपूर्ण है। भारत को वैश्विक पर्यावरण संरक्षण प्रयासों में अपनी भूमिका निभानी चाहिए।” मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

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