CE20 Cryogenic Engine: ISRO की बड़ी सफलता, CE20 क्रायोजेनिक इंजन का किया सफल परीक्षण
CE20 Cryogenic Engine: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने गुरुवार को घोषणा की कि CE20 क्रायोजेनिक इंजन ने महत्वपूर्ण समुद्र-स्तरीय परीक्षण में सफलता प्राप्त की है। यह परीक्षण प्रौद्योगिकी और देश के अंतरिक्ष अभियानों के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
यह परीक्षण 29 नवंबर को तमिलनाडु के महेंद्रगिरि स्थित ISRO प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स में किया गया। ISRO के अनुसार, इस परीक्षण ने इंजन की पुनःप्रारंभ क्षमता (restart capability) को प्रदर्शित किया, जो भारत की मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन की योजना के लिए एक अहम कदम है।
ISRO ने क्या बताया?
CE20 क्रायोजेनिक इंजन को लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है। यह इंजन 19 टन के थ्रस्ट स्तर पर संचालन के लिए योग्य पाया गया है और अब तक छह LVM3 मिशनों को सफलतापूर्वक शक्ति प्रदान कर चुका है।
इसे भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन गगनयान के मद्देनजर 20 टन के थ्रस्ट स्तर तक उन्नत किया गया है। भविष्य में इसे C32 चरण के लिए 22 टन के उन्नत थ्रस्ट के उत्पादन में सक्षम बनाया जाएगा। यह इंजन LVM3 लॉन्च वाहन की पेलोड क्षमता को भी बेहतर बनाएगा।
परीक्षण की मुख्य विशेषताएं
मल्टी-एलीमेंट इग्नाइटर का परीक्षण: इंजन को पुनः प्रारंभ करने के लिए इग्नाइटर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
वैक्यूम इग्निशन की चुनौती: क्रायोजेनिक इंजन को बिना नोजल बंद किए वैक्यूम में पुनः प्रज्वलित करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। ISRO ने पहले ही ग्राउंड परीक्षणों में वैक्यूम इग्निशन को सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया है।
नया नोजल प्रोटेक्शन सिस्टम: समुद्र-स्तरीय परीक्षण के दौरान, नोजल प्रोटेक्शन सिस्टम ने फ्लो सेपरेशन और इससे होने वाली कंपन, थर्मल समस्याओं और संभावित क्षति की चुनौतियों को हल किया।
कम लागत और आसान प्रक्रिया: यह सिस्टम पारंपरिक हाई-एल्टीट्यूड टेस्ट (HAT) सुविधाओं की तुलना में कम खर्चीला और सरल साबित हुआ।
ISRO ने कहा कि इस नई प्रणाली ने परीक्षण से संबंधित सभी जटिलताओं को दूर कर दिया है और अधिक प्रभावी परीक्षण परिणाम प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त किया है।
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