Canada India Tension: भारत ने अपने राजनायिकों को बुलाया वापस, दोनों देशों के बीच बढ़ा तनाव
Canada India Tension: भारत ने सोमवार को सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए कनाडा से अपने उच्चायुक्त और राजनयिकों को वापस बुलाने का फैसला लिया। यह कदम कनाडा के नागरिक की हत्या में भारतीय एजेंटों को जोड़ने के ट्रूडो के निराधार आरोपों को खारिज करने के बाद लिया गया है, जिससे दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तनाव बढ़ गया है। भारत ने कनाडा की जांच की निंदा करते हुए इसे राजनीति से प्रेरित वोट बैंक की राजनीति बताया है।
भारत ने किया कनाडा के विदेश मंत्रालय को तलब
भारत के विदेश मंत्रालय ने कनाडा के प्रभारी, स्टीवर्ट व्हीलर, को तलब किया और कहा कि "भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनयिकों को टारगेट करना अस्वीकार्य है।" विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "कनाडा के प्रभारी को आज शाम सचिव (पूर्व) द्वारा तलब किया गया।"
उन्हें बताया गया कि कनाडा में भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनयिकों और अधिकारियों को निराधार तरीके से निशाना बनाना पूरी तरह से अस्वीकार्य है।" विदेश मंत्रालय ने व्हीलर से मुलाकात के बाद कहा, "इस बात पर जोर दिया गया कि उग्रवाद और हिंसा के माहौल में ट्रूडो सरकार की कार्रवाई से उनकी सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। हमें उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा कनाडाई सरकार की प्रतिबद्धता पर कोई भरोसा नहीं है। इसलिए, भारत सरकार ने उच्चायुक्त और अन्य टारगेट राजनयिकों और अधिकारियों को वापस बुलाने का फैसला किया है। यह भी बताया गया कि भारत के खिलाफ उग्रवाद, हिंसा और अलगाववाद को ट्रूडो सरकार के समर्थन के जवाब में भारत आगे कदम उठाने का अधिकार रखता है।"
'विश्वसनीय सबूत मुहैया कराए': कनाडा
विदेश मंत्रालय के कार्यालय से बाहर आकर व्हीलर ने पत्रकारों को एक संक्षिप्त बयान दिया: "कनाडा ने भारत सरकार के एजेंट्स और कनाडाई धरती पर एक कनाडाई नागरिक की हत्या के बीच संबंधों के विश्वसनीय, अकाट्य सबूत मुहैया कराए हैं। अब समय आ गया है कि भारत अपने वादे पर खरा उतरे और उन सभी आरोपों की जांच करे। इस मामले की तह तक जाना हमारे दोनों देशों और हमारे देशों के लोगों के हित में है। कनाडा भारत के साथ सहयोग करने के लिए तैयार है।"
विदेश मंत्रालय की यह कार्रवाई केंद्र द्वारा कनाडा के उस निर्णय की निंदा करने के बाद की गई है, जिसमें उसने खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के संबंध में भारतीय राजदूत और अन्य राजनयिकों की जांच करने का निर्णय लिया था।
भारत ने अपने राजनयिकों के खिलाफ ट्रूडो के आरोपों को दृढ़ता से खारिज करते हुए उन्हें "निराधार" और राजनीति से प्रेरित बताया। विदेश मंत्रालय (MEA) ने ट्रूडो पर अलगाववादी तत्वों के साथ उनके पिछले संबंधों का हवाला देते हुए घरेलू राजनीतिक लाभ के लिए भारत विरोधी बयानबाजी करने का आरोप लगाया।
भारत सरकार की कड़ी प्रतिक्रिया
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "भारत सरकार इन बेतुके आरोपों को दृढ़ता से खारिज करती है और इन्हें ट्रूडो सरकार के राजनीतिक एजेंडे के लिए जिम्मेदार ठहराती है, जो वोट बैंक की राजनीति पर केंद्रित है।" इसमें कहा गया है, "भारत के प्रति प्रधानमंत्री ट्रूडो की शत्रुता लंबे समय से देखने को मिल रही है। 2018 में, वोट बैंक को लुभाने के उद्देश्य से उनकी भारत यात्रा ने उन्हें असहज कर दिया। उनके मंत्रिमंडल में ऐसे लोग शामिल हैं जो भारत के संबंध में चरमपंथी और अलगाववादी एजेंडे से खुले तौर पर जुड़े हुए हैं। दिसंबर 2020 में भारतीय आंतरिक राजनीति में उनके खुले हस्तक्षेप से पता चलता है कि वे इस संबंध में किस हद तक जाने को तैयार हैं। उनकी सरकार एक राजनीतिक दल पर निर्भर थी, जिसके नेता भारत के संबंध में खुले तौर पर अलगाववादी विचारधारा का समर्थन करते हैं, जिससे मामले और बिगड़ गए।"
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