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Bsp Akash Anand: मायावती का सख्त फैसला, भतीजे आकाश आनंद को पार्टी से निकाला

Bsp Akash Anand: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने सोमवार को अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी से निष्कासित कर दिया।
06:21 PM Mar 03, 2025 IST | Ritu Shaw

Bsp Akash Anand: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने सोमवार को अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी से निष्कासित कर दिया। उन्होंने यह फैसला आकाश आनंद के "दल-विरोधी गतिविधियों" में संलिप्त होने के कारण लिया है। इस निर्णय से एक दिन पहले ही मायावती ने उन्हें सभी प्रमुख बसपा पदों से हटा दिया था।

मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर घोषणा करते हुए कहा, "सबसे पूजनीय बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के आत्म-सम्मान और स्वाभिमान आंदोलन तथा पूज्य श्री कांशीराम जी की अनुशासन परंपरा के अनुरूप, श्री आकाश आनंद को उनके ससुर की तरह, पार्टी एवं आंदोलन के हित में निष्कासित किया जाता है।"

पार्टी में हुए बड़े बदलाव

रविवार को मायावती ने आकाश आनंद को सभी प्रमुख बसपा पदों से हटा दिया था। उनके स्थान पर उनके पिता आनंद कुमार और राज्यसभा सांसद रामजी गौतम को राष्ट्रीय समन्वयक नियुक्त किया गया। इसके अलावा, मायावती ने स्पष्ट किया कि वह अपने जीवनकाल में पार्टी के लिए कोई उत्तराधिकारी घोषित नहीं करेंगी।

आकाश आनंद की प्रतिक्रिया

निष्कासन के बाद, आकाश आनंद ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वह बसपा प्रमुख मायावती के हर निर्णय का सम्मान करते हैं और उन्हें "पत्थर की लकीर" मानते हैं। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इस निर्णय का उन पर भावनात्मक प्रभाव पड़ा है, लेकिन इसे एक चुनौती के रूप में लिया है और उनके लिए यह एक लंबी लड़ाई का हिस्सा है।

आकाश आनंद ने अपने पोस्ट में लिखा, "कुछ विपक्षी लोग यह सोच रहे हैं कि इस निर्णय के कारण मेरा राजनीतिक करियर खत्म हो गया है। उन्हें यह समझना चाहिए कि बहुजन आंदोलन कोई करियर नहीं, बल्कि करोड़ों दलितों, शोषितों, वंचितों और गरीबों के आत्म-सम्मान और स्वाभिमान की लड़ाई है।"

उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने मायावती के नेतृत्व में बलिदान, निष्ठा और समर्पण के अनमोल पाठ सीखे हैं। उन्होंने इन सिद्धांतों को सिर्फ एक विचार नहीं, बल्कि जीवनशैली के रूप में अपनाया है। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, "यह एक विचारधारा और आंदोलन है, जिसे दबाया नहीं जा सकता। लाखों आकाश आनंद इस मशाल को जलाए रखने और इसके लिए अपना सबकुछ बलिदान करने के लिए हमेशा तैयार हैं।"

मायावती के इस निर्णय के बाद राजनीतिक हलकों में इस पर चर्चाएं तेज हो गई हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बसपा में इस बदलाव का असर आगामी चुनावों पर भी पड़ सकता है।

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