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कैसे चुना जाता है BJP अध्यक्ष और उनकी मुख्य जिम्मेदारियां क्या हैं? जानिए पूरी प्रक्रिया।

BJP National President election 2025: बीजेपी में संगठनात्मक बदलाव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं, जो 2025 के जनवरी या फरवरी में पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति की ओर इशारा करती हैं। यह कदम पार्टी के संविधान के...
06:07 PM Dec 30, 2024 IST | Rajasthan First

BJP National President election 2025: बीजेपी में संगठनात्मक बदलाव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं, जो 2025 के जनवरी या फरवरी में पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति की ओर इशारा करती हैं। यह कदम पार्टी के संविधान के अनुसार उठाया जा रहा है, जिसके तहत बीजेपी को कम से कम 50 फीसदी राज्यों में संगठन चुनावों को पूरा करना अनिवार्य है। ( BJP National President election 2025)इसके अलावा, 15 जनवरी तक महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, बंगाल, जम्मू-कश्मीर और झारखंड जैसे प्रमुख राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों के चयन में बदलाव किया जाएगा। इन बदलावों के साथ-साथ, यह सवाल उठता है कि आखिर बीजेपी के अध्यक्ष का चुनाव कैसे होता है और उनकी जिम्मेदारियां क्या होती हैं?

हम यह जानेंगे कि बीजेपी अध्यक्ष का चयन किस प्रक्रिया से होता है और उनके कंधों पर क्या-क्या जिम्मेदारियां होती हैं, जो पार्टी के अंदर और बाहर महत्वपूर्ण बदलावों को आकार देती हैं।

संगठन तैयार करने का जिम्मा

पार्टी के संविधान की धारा-20 के तहत राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अध्यक्ष और अधिकतम 120 सदस्य हो सकते हैं. इनमें कम से कम 40 महिलाएं और 12 अनुसूचित जाति/जनजाति के सदस्य होते हैं. इन सबको मनोनीत करने का जिम्मा राष्ट्रीय अध्यक्ष का होता है. इसके अलावा अध्यक्ष राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों में से अधिकतम 13 उपाध्यक्ष, 9 महामंत्री, एक महामंत्री (संगठन), अधिकतम 15 मंत्री और एक कोषाध्यक्ष को मनोनीत करते हैं. इन पदाधिकारियों में से कम से कम 13 महिलाएं चुनी जाती हैं. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में से प्रत्येक वर्ग में से कम से कम तीन पदाधिकारियों का चुनाव अध्यक्ष करते हैं।

संगठन मंत्रियों की नियुक्ति का अधिकार

कार्यकारिणी का सदस्य बनने के लिए यह जरूरी है कि संबंधित पदाधिकारी पार्टी का सक्रिय सदस्य कम से कम तीन कार्यकाल तक रहा हो. हालांकि, खास परिस्थितियों में राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिकतम 15 सदस्यों को इस शर्त से छूट दे सकता है. यदि जरूरत पड़े तो राष्ट्रीय अध्यक्ष संगठन महामंत्री की सहायता के लिए संगठन मंत्रियों की नियुक्ति भी कर सकते हैं. इसके अलावा, वे प्रदेश अध्यक्षों को भी ऐसी नियुक्तियों के लिए अनुमति दे सकते हैं. यदि आवश्यक हो, तो बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष दो या अधिक राज्यों के संगठन कार्य के लिए क्षेत्रीय संगठन मंत्रियों की नियुक्ति भी कर सकते हैं. इसके साथ ही, राज्य स्तर पर दो या अधिक जिलों के लिए विभाग या संभाग संगठन मंत्रियों की नियुक्ति की अनुमति राज्य अध्यक्ष को दी जाती है।

पार्टी के पूर्ण अधिवेशन की अध्यक्षता

नियमों के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष को अपनी कार्यसमिति में 25 प्रतिशत नए सदस्यों को स्थान देना होता है. इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय कार्यकारिणी में स्थायी आमंत्रित पदेन सदस्य होते हैं, जिनके साथ-साथ विशेष आमंत्रित सदस्य भी होते हैं, जिनकी संख्या 30 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकती. बीजेपी के अध्यक्ष को पार्टी का सर्वेसर्वा माना जाता है और वे पार्टी के पूर्ण अधिवेशन की अध्यक्षता करते हैं. पार्टी को एकजुट बनाए रखने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय अध्यक्ष के कंधों पर होती है, और इसलिए आमतौर पर ऐसे अध्यक्ष का चुनाव किया जाता है, जो सर्वमान्य हो. अब तक बीजेपी के सभी अध्यक्ष निर्विरोध ही चुने गए हैं।

पार्टी के प्रत्याशियों के चयन में अहम भूमिका

चुनाव के दौरान पार्टी के प्रत्याशियों के चयन में पार्टी अध्यक्ष की अहम भूमिका होती है. संगठन में अलग-अलग स्तर से मिलने वाली रिपोर्ट के आधार पर, पार्टी की नीति के अनुसार अध्यक्ष की सहमति से ही पार्टी के उम्मीदवार घोषित किए जाते हैं. यह प्रक्रिया पार्टी अध्यक्ष के मार्गदर्शन में पूरी होती है, और उनके नेतृत्व में पार्टी चुनावी रणनीतियां तय करती है।

राज्य अध्यक्षों की जिम्मेदारी

पार्टी के राज्य अध्यक्षों के कंधों पर अपने-अपने राज्यों में पार्टी संगठन को मजबूत करने की जिम्मेदारी होती है. राज्य स्तर पर संगठन के निर्माण और विधानसभा व स्थानीय चुनावों के लिए उम्मीदवारों का चयन करना राज्य अध्यक्षों का कार्य होता है. वे राष्ट्रीय नेतृत्व से मार्गदर्शन प्राप्त कर पार्टी की नीति के अनुरूप कार्य करते हैं, जिससे चुनावी सफलता सुनिश्चित होती है।

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