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Warrant Against Akshay Kanti: अक्षय कांति बम के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी, 17 साल पुराने मामले में हाल ही में बढ़ाई गई थी 307 की धारा

Arrest warrant Against Akshay Kanti इंदौर। कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी और बाद में अपना नामांकन वापस लेकर बीजेपी में शामिल होने वाले अक्षय कांति बम की मुसीबतें बढ़तीं जा रहीं हैं। पिछले दिनों उनकी अग्रिम जमानत खारिज हुई तो अब...
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Arrest warrant Against Akshay Kanti इंदौर। कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी और बाद में अपना नामांकन वापस लेकर बीजेपी में शामिल होने वाले अक्षय कांति बम की मुसीबतें बढ़तीं जा रहीं हैं। पिछले दिनों उनकी अग्रिम जमानत खारिज हुई तो अब 307 के मामले में कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया है। उनको 8 जुलाई तक पुलिस कभी भी गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर सकती है।

इंदौर की जिला कोर्ट ने 17 साल पुराने एक मामले में पिछले दिनों कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी रहे अक्षय कांति बम के खिलाफ 307 की धारा में इजाफा करने के आदेश दिए थे। इस पूरे ही मामले में अक्षय कांति बम और उनके पिता ने एग्रिम जमानत को लेकर कोर्ट में एक आवेदन भी प्रस्तुत किया था।

उस आवेदन को इंदौर की जिला कोर्ट ने खारिज कर दिया। वहीं, अब अक्षय कांति बम और उनके पिता की एक और मुसीबत बढ़ गई है। (Warrant Against Akshay Kanti) बता दें कि इस पूरे मामले में कोर्ट ने 10 तारीख तक अक्षय कांति और उनके पिता को कोर्ट में हाजिर होने के आदेश दिए थे। इसके बावजूद अक्षय कांति व उनके पिता कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए।

इसके चलते कोर्ट ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया। वहीं, सरकारी वकील अभिजीत राठौर के मुताबिक अक्षय कांति बम व उनके पिता खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ है। अब पुलिस 8 जुलाई तक उन्हें गिरफ्तार कर कोर्ट के समक्ष पेश कर सकती है।

इंदौर में नाम वापसी केस में कांग्रेस को सुप्रीम कोर्ट का झटका

इंदौर। इंदौर से कांग्रेस प्रत्याशी रहे अक्षय कांति बम के 29 अप्रैल को ऐन चुनाव के पूर्व अपना नामांकन वापस लेकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। इसके बाद कांग्रेस नेता मोती सिंह पटेल ने वैकल्पिक प्रत्याशी के रूप में अपना दावा पेश किया था। इस संबंध में उन्होंने पहले हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई और कांग्रेस से प्रत्याशी बनने की अनुमति मांगी थी।

हालांकि हाईकोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने भी मोती सिंह पटेल की याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने इस मामले में टिप्पणी देते हुए कहा कि अब डाक मतपत्र डल चुके हैं। ऐसे में अब चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

गौरतलब है कि 26 अप्रैल को नामांकन पत्रों की जांच में मोती सिंह पटेल का फॉर्म यह कारण देते हुए निरस्त कर दिया गया कि कांग्रेस के मुख्य प्रत्याशी अक्षय बम का फॉर्म मान्य पाया गया है। वहीं, मोती सिंह के फॉर्म में निर्दलीय की तरह दस प्रस्तावकों के साइन नहीं हैं जबकि निर्दलीय फॉर्म में 10 प्रस्तावक लगते हैं। वहीं, मोती सिंह पटेल ने पार्टी से फॉर्म भरा था।

मोती सिंह ने 30 अप्रैल को इंदौर हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में अर्जी लगाई

मोती सिंह पटेल ने रिटर्निग ऑफिसर के सामने आवेदन देकर उन्हें कांग्रेस का चिह्न देने की मांग की थी। (Warrant Against Akshay Kanti)  30 अप्रैल को मोती सिंह ने इंदौर हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में अर्जी लगाई थी जिसमें उन्हें कांग्रेस से चुनाव लड़ने की अनुमति देने की मांग की गई थी। उसके बाद 2 मई को हाईकोर्ट की डबल बेंच के सामने याचिका लगाई।

वहां पर भी कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी। उसके बाद मोती सिंह ने 7 मई को वह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और विशेष अनुमति लेकर याचिका लगाई। इसकी सुनवाई 10 मई को हुई। लगभग आठ मिनट तक चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा, "आप लेट हो चुके हैं। डाक मतपत्र डाले जा चुके हैं।"

10 प्रस्तावक न होने पर फॉर्म निरस्त होना चाहिए या नहीं

इस बीच शनिवार और रविवार को अवकाश है। सोमवार को चुनाव है। ऐसे में चुनाव में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं दे सकते। मोती सिंह के वकील रवि शंकर और वरुण चोपड़ा की ओर से उठाए गए बिंदुओं से सहमत होकर कोर्ट ने इस प्रश्न पर विचार करने की बात कही। इसमें पूछा गया है कि 10 प्रस्तावक न होने पर फॉर्म निरस्त होना चाहिए या नहीं।(Warrant Against Akshay Kanti)

मुख्य प्रत्याशी द्वारा नाम वापसी पर वैकल्पिक प्रत्याशी स्वतंत्र पार्टी का अधिग्रहण प्रत्याशी बनेगा या नहीं, क्या वैकल्पिक प्रत्याशी के नामांकन की दो बारा जांच होनी चाहिए आदि विधिक बिंदु शामिल हैं।

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