• ftr-facebook
  • ftr-instagram
  • ftr-instagram
search-icon-img

Pokhran nuclear test पोखरण परमाणु परीक्षण की वर्षगांठ: 26 साल पहले भारत ने दुनिया को दिखाया था अपना दम

Pokhran nuclear test Jaisalmer जैसलमेर।  वैसे तो 50 साल पहले 1974 में भारत ने पहला परमाणु परीक्षण कर पूरे विश्व को अपनी ताकत का एहसास कराया था। उस समय  ऐसा करके भारत परमाणु क्लब का छठा सदस्य बन गया था,...
featured-img

Pokhran nuclear test Jaisalmer जैसलमेर।  वैसे तो 50 साल पहले 1974 में भारत ने पहला परमाणु परीक्षण कर पूरे विश्व को अपनी ताकत का एहसास कराया था। उस समय  ऐसा करके भारत परमाणु क्लब का छठा सदस्य बन गया था, लेकिन परमाणु हथियार के रूप में परीक्षण करने में भारत को 24 साल लग गए। 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में पोखरण में भारत ने अपनी ताकत दिखाई और एक के बाद एक पांच परमाणु परीक्षण कर दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा। इन पांच मे से तीन परमाणु परीक्षण 11 मई 1998 और दो 13 मई 1998 को किए गए थे। तो आज ही के दिन भारत दुनिया के मानस पटल पर परमाणु शक्ति बनकर खड़ा हुआ था।

दो दिन के भीतर पांच परमाणु परीक्षण

आज 11 मई का दिन भारत के इतिहास के पन्नो में स्वर्णिम दिन के रूप में जाना जाता है। आज ही के दिन भारत विश्व के मानस पटल पर परमाणु शक्ति बनकर खड़ा हो गया था। गौरतलब है कि भारत ने 11 व 13 मई 1998  को पोखरण के पास खेतोलाई गांव के नजदीक  पांच सफल परमाणु परीक्षण कर पूरी दुनिया को चौंका दिया था। तब से भारत  दुनिया के ताकतवर देशो की श्रेणी में अपना नाम दर्ज करवा कर शान से खड़ा है। भारत की इसी परमाणु शक्ति के कारण दुश्मन देश आज भी भारत की ओर आंख उठाकर देखने से कतराते है। भारत ने आज इस कामयाबी के 26 साल पूरे कर लिए है।

कैसे बना भारत परमाणु शक्ति वाला देश

देश के रक्षा विशेषज्ञ बताते हैं कि वर्ष 1964 में चीन के परमाणु हथियारों का परीक्षण के बाद 1967 में भारत ने परमाणु हथियार विकसित करने का फैसला किया। उधर चीन पाकिस्तान को भी परमाणु हथियार विकसित करने में मदद कर रहा था। 1962 और 1964 की घटनाओं ने भारत को  एहसास दिलाया कि हमारा स्थायी प्रतिद्वंद्वी न केवल पारंपरिक रूप से हमसे ताकतवर बन रहा है बल्कि परमाणु क्षमता में भी वह हमसे आगे चल रहा है। 1962 से 1965 तक का यह वह दौर था जब भारत अपनी रक्षा प्रणालियों में सुधार करने को लेकर सक्रिय हुआ। उसी समय भारत ने परमाणु ऊर्जा के बारे में भी सोचना शुरू किया।

रक्षा पर सबसे अधिक खर्च

भारतीय रक्षा विशेषज्ञों की राय पर भारत सरकार ने 1967 में परमाणु ऊर्जा अपनाने का निर्णय लिया। इसके बाद भारत ने रक्षा पर सबसे अधिक खर्च करना शुरू किया। भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण 18 मई 1974 को  किया।  देश जानता था कि 1964 के बाद से चीन एक परमाणु प्रतिद्वंद्वी बन गया है।  1948 और 1965 में हम पहले ही पाकिस्तान के साथ दो युद्ध कर चुके थे। ऐसे में भारत अपने रक्षा कार्यक्रमों, पारंपरिक और परमाणु दोनों पर खर्च करने के लिए पूरी तरह से तैयार था।

भारत के दो परमाणु परीक्षणों में 24 साल का अंतर

भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण 1974 में किया। उधर पाकिस्तान को भी 1983 के बाद पश्चिमी देशों से न्यूक्लियर मटेरियल प्रोसेसिंग के लिए डिजाइन मिलना शुरू हो गया था। चीन ने पाकिस्तान को बम का डिजाइन दिया तो कोरिया ने पाकिस्तान को मिसाइल डिजाइन और ब्लूप्रिंट दिए। भारत ने 1983 में परमाणु हथियारीकरण शुरू किया और  इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम शुरू कर दिया। फूलप्रुफ तैयारी के बाद 1998 में भारत ने पोखरण-1 और 2  परमाणु परीक्षण किए।

भारत के पास परमाणु हथियार बनाने की क्षमता

भारत ने  दुनिया को बताया कि 1974 का टेस्ट एक शांतिपूर्ण परमाणु विस्फोट था।  हमने दुनिया को बताया कि भारत  यूरेनियम को हथियार -ग्रेड की स्थिति तक विकसित कर सकता है। अब  हमारे पास परमाणु बम बनाने की क्षमता थी।  1998 में लगभग पांच परीक्षण कर हमने बता दिया कि हथियारीकरण के क्षेत्र में देश ने खुद को निखार लिया है। अब हमारे पास विभिन्न प्रकार के हथियारों के साथ परमाणु हथियार बनाने की क्षमता है।

पोखरण की धरती बन गई परमाणु नगरी

देश के वैज्ञानिकों ने राजस्थान की बंजर पड़ी जमीन पोखरण को दुनिया को अपनी ताकत दिखाने के लिए चुना। आज ही के दिन पोखरण से 35 किलोमीटर दूर खेतोलाई गांव के पास 11 मई को दो व 13 मई को तीन सफल परमाणु परीक्षण किये गए। खेतोलाई गांव के निकट फील्ड फायरिग रेज में दो शक्तिशाली धमाके हुए। धमाको को सुनकर लोगों को सहज एहसास हुआ कि भारत ने जरूर कुछ बड़ा किया है। हालांकि भारतीय वैज्ञानिकों का यह अभियान इतना गुप्त था कि परिंदों तक को इसका पता नहीं चला कि पोखरण में क्या होने जा रहा है। पोखरण की  धरती के लिए आज का दिन सुनहरा दिन बन गया। भारत के ऐतिहासिक लम्हों की साक्षी बनी पोखरण की धरती का नाम परमाणु नगरी हो गया और शूरवीरों की धरती राजस्थान के इस बंजर जमीन ने विश्व के मानचित्र पर अपना खास स्थान बना लिया आज जब परमाणु परीक्षण के 26 साल पूरे हो गए हैं तब यहां के लोग अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।

पूरे देश का सिर गर्व से ऊंचा है

आज से 26 साल पहले राजस्थान के खेतोलाई गांव के पास फील्ड फायरिग रेज में हुए सिलसिलेवार तरीके से दो परमाणु परिक्षण के बाद विश्व स्तर पर पहचान बना चुके खेतोलाई गांव के लोगों का सिर आज भी गर्व से ऊंचा हो जाता है सफल परमाणु परीक्षण के बाद  तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जय जवान जय किसान, जय विज्ञान का नारा दिया था। अब यहां को लोगों की मांग है कि इस धरती का उपयोग परमाणु और अन्य सैन्य परीक्षणों के लिए होता रहे। लोग कह रहे हैं कि आज 11 मई के दिन को शौर्य दिवस के रूप में घोषित कर राष्ट्रीय पर्व घोषित किया जाए  ताकि आने वाली पीढ़ी युगों- युगों तक याद कर सके।

ये भी पढ़ें : Dhani Pratha Jodhpur: 200 साल पुरानी इस प्रथा से आज भी लगाया जाता है मौसम का अनुमान, आप भी जानकर रह जाएंगे दंग

ये भी पढ़ें : Arrest warrant: अक्षय कांति बम के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी, 17 साल पुराने मामले में हाल ही में बढ़ाई गई थी 307 की धारा

ये भी पढ़ें : Rajasthan News : थाने में हैं ऑन ड्यूटी तो नहीं बजाएंगे पांडेजी 'सीटी', राजस्थान पुलिसकर्मियों पर अब ये हो रही सख्ती

.

tlbr_img1 होम tlbr_img2 शॉर्ट्स tlbr_img3 वेब स्टोरीज़ tlbr_img4 वीडियो