Akhilesh Yadav Oppose ONOE: 'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर अखिलेश यादव की तीखी प्रतिक्रिया, बोले- 'इतनी जल्दी है तो...'
Akhilesh Yadav Oppose ONOE: समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' प्रस्ताव की जल्दबाजी पर सवाल उठाते हुए केंद्र सरकार को चुनौती दी कि यदि यह पहल इतनी जरूरी है, तो तुरंत देशभर में चुनाव कराए जाएं। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री आज आ रहे हैं, सरकार भंग करें और पूरे देश में एक साथ चुनाव कराएं।"
'एक राष्ट्र एक चुनाव' के विरोध में अखिलेश यादव
समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत के दौरान अखिलेश यादव ने कहा, "अगर 'वन नेशन, वन इलेक्शन' की इतनी जल्दी है तो पूरे देश की सरकारें आज ही भंग हो जानी चाहिए और चुनाव कराए जाएं। अगर इतनी जल्दी है... 'ये लोग खोदने वाले लोग हैं, हम लोग खोजने वाले हैं।'" अखिलेश का यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसद के 75वें संविधान दिवस समारोह के संबोधन से पहले आया है।
'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर विवाद
गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' विधेयक को मंजूरी दी थी। इस विधेयक का उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का प्रावधान करना है। इसके तहत संविधान (129वां संशोधन) विधेयक और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक लोकसभा में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा पेश किए जाने की संभावना है।
हालांकि, इस प्रस्ताव को विपक्षी दलों की तीखी आलोचना का सामना करना पड़ा है।
विपक्ष की आपत्ति
कांग्रेस नेताओं ने भी इस योजना का विरोध किया है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने योजना की व्यावहारिकता पर सवाल उठाते कहा, "यदि कोई सरकार छह महीने में अपना बहुमत खो देती है, तो क्या राज्य अगली साढ़े चार साल तक बिना सरकार के रहेगा? यह अव्यवहारिक है।"
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजने की मांग करते हुए कहा कि यह संघवाद और लोकतांत्रिक सिद्धांतों को कमजोर करता है। उन्होंने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस मुद्दे पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पहले ही विस्तृत पत्र लिखा था।
भाजपा का समर्थन
दूसरी ओर, भाजपा ने इस पहल को चुनावी प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और सार्वजनिक संसाधनों को बचाने वाला ऐतिहासिक कदम बताया है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस संवैधानिक संशोधन को लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में सराहा है। यह प्रस्ताव राजनीतिक बहस को ध्रुवीकृत कर रहा है। जहां कई विपक्षी दल इसे संघीय ढांचे के लिए खतरा मान रहे हैं, वहीं भाजपा के सहयोगी दलों ने इसका स्वागत किया है।
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