Aadhai Din Ka Jhopra Controversy : अढ़ाई दिन का झोपड़ा पर अब राजस्थान विधानसभाध्यक्ष का बयान, चिश्ती को लगाई लताड़ !
Ajmer Aadhai Din Ka Jhopra Controversy : अजमेर। राजस्थान की पुरामहत्व की धरोहर अढ़ाई दिन का झोपड़ा के इतिहास को लेकर विवाद लगातार बढ़ रहा है। जैन मुनि सुनील सागर महाराज के यहां पहुंचने के बाद से ही अढ़ाई दिन के झोपड़े पर बयानबाजी का दौर चल रहा है। इसी बीच अब राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने जैन मुनि पर दिए बयान को लेकर सैयद सरवर चिश्ती को लताड़ लगाई है।
सरवर चिश्ती का बयान निंदनीय
राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने जैन मुनि के अढ़ाई दिन का झोपड़ा पहुंचने पर अजमेर अंजुमन सचिव सैयद सरवर चिश्ती की ओर से दिए बयान की निंदा की है। देवनानी ने कहा कि सरवर चिश्ती ने जैन संतों को बिना कपड़ों का कहा। भारतीय सनातन संस्कृति में तप और तपस्वियों का सर्वोच्च स्थान है। जैन संत जीवनभर वस्त्रहीन रहकर समाज को अपरिग्रह और तपस्यापूर्ण जीवन का संदेश देते हैं।
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सरवर चिश्ती बयान पर मांगें माफी
वासुदेव देवनानी ने कहा कि जैन मुनियों का शुद्ध आचरण समाज में शुद्धता और शुचिता का प्रतीक है। जैन संतों ने सदैव अहिंसा पर बल दिया है। समाज में शांति और सदाचार की बात कही है। ऐसे जैन संतों के खिलाफ अंजुमन सचिव सैयद सरवर चिश्ती का बयान उनकी विकृत मानसिकता का परिचायक है। उन्होंने जैन संतों के वस्त्रों को लेकर जो टिप्पणी की है, वह समूचे जैन समाज और सनातन संस्कृति का अपमान करने वाली है। उन्हें सम्पूर्ण सनातन संस्कृति से माफी मांगनी चाहिए।
'संस्कृत महाविद्यालय था अढ़ाई दिन का झोपड़ा'
राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा है कि अढ़ाई दिन का झोपड़ा संस्कृत विद्यालय था। यह बात अजमेर के लोग अच्छी तरह जानते हैं कि प्राचीन काल में सनातन संस्कृति में इस संस्कृत महाविद्यालय का कितना महत्व था।
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अढ़ाई दिन का झोपड़ा के सर्वे के लिए लिखेंगे पत्र
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि कालांतर में इस स्थान पर किस तरह कब्जा हुआ ? कैसे यह संस्कृत महाविद्यालय से अढ़ाई दिन का झोपड़ा बन गया ? यह खोज का विषय है। ऐसे में अब अढ़ाई दिन का झोपड़ा की सच्चाई सामने लाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को पत्र लिखा जाएगा।
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