राजस्थानराजनीतिनेशनलअपराधकाम री बातम्हारी जिंदगीधरम-करममनोरंजनखेल-कूदवीडियोधंधे की बात

World Asthma Day: दमा दम से नहीं दवा से जाता है, डॉक्टर्स के पास है इसका इलाज

03:42 PM May 06, 2024 IST | Preeti Sam
World Asthma Day (Image Credit: Rajasthan First)

World Asthma Day: पूरी दुनिया में 7 मई को विश्व अस्थमा दिवस (World Asthma Day) मनाया जाएगा। इस दिन को मनाने का उद्देश्य केवल एक ही है, लोगों में जागरूकता पैदा करना। अस्थमा को दमा भी कहा जाता है। यह एक आम भ्रांति है कि दमा, दम से जाता है। विशेषज्ञों की माने तो इसमें सच्चाई कम और भ्रम अधिक है। नई दवाइयां तथा इन्हेलर्स के जरिये दमा को काफी हद तक नियंत्रित कर व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है।

इस बारे में राजस्थान फर्स्ट ने महात्मा गांधी अस्पताल जयपुर के श्वास तथा टीबी रोग विभागाध्यक्ष डॉ. महेश कुमार मिश्रा से विस्तार से बातचीत की। आइए इस बीमारी (World Asthma Day) के कारण, बचाव और इलाज के बारे में समझते हैं उन्हीं के शब्दों में.....

लगभग हर परिवार में मिलेंगे अस्थमा के लक्षण

अस्थमा को ब्रोंकियल अस्थमा भी कहा जाता है। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें रोगी के फेफड़े प्रभावित होते हैं। यह दीर्घकालिक स्थिति है, जिसमें सावधानी रखते हुए दवा के निरंतर प्रयोग से व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है। अस्थमा रोगियों (World Asthma Day) को मौसम में बदलाव के समय विशेष सावधानियां बरतनी होती है। इस समय अनुमान के तौर पर दुनिया में 300 मिलियन लोग अस्थमा के लक्षणों से प्रभावित हैं। भारत की बात करें तो यह संख्या 30 मिलियन के आसपास है। आम तौर पर लगभग हर परिवार में आंशिक ही सही, किन्तु इस बीमारी के लक्षण देखे जा सकते हैं। बदलते वातावरण, प्रदूषण, औद्योगिकीकरण के कारण अस्थमा का प्रभाव बढ़ता ही जा रहा है।

ऐसे पहचानें, अस्थमा है या नहीं

अब बात करें कि अस्थमा की पहचान कैसे हो? जब व्यक्ति में दम भरने, सांस में परेशानी, खांसी, छाती की जकड़न तथा सांस लेते समय सीटी की आवाज आने लगे, तो इसे अस्थमा का प्रभाव समझा जाना चाहिए। अस्थमा के कारण श्वास नली में सूजन आ जाती है, जिससे व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी होती है। सूजन ज्यादा हो जाती है, तो रोगी को सांस लेते समय आवाज भी आने लगती है।

अस्थमा की सबसे बड़ी वजह है एलर्जी

अस्थमा एलर्जिक एवं नॉन एलर्जिक दोनों तरह का हो सकता है। एलर्जी पराग कणों, धूल, धुआं तथा पालतू जानवरों की रूसी से भी हो सकती है। गैर एलर्जिक कारणों में वायु प्रदूषण, मौसम का बदलना जैसे कारण महत्वपूर्ण होते हैं। सुरक्षा की बात करें तो धूल, धुआं, मौसमी नमी, सीलन वाले कमरों से बचना चाहिए। पालतू पशुओं, कुछ वनस्पतियां, पेड़-पौधों से दूरी बनाकर व्यक्ति अस्थमा के प्रभाव को नियंत्रित कर सकता है। बंदर की रोटी का पेड़ जिसे आम भाषा में छिलर भी कहा जाता है, अस्थमा की वजह बनता है।

बचाव ही सबसे कारगर उपचार

अस्थमा के बारे में माना जाता है कि बचाव ही उपचार है। यानी जिन वजहों से यह एलर्जी हो रही है, यदि इसकी पहचान कर उनसे दूरी बनाकर रखी जाये, तो अस्थमा को दूर रखा जा सकता है। शुरूआती लक्षणों की पहचान होते ही विशेषज्ञ की सलाह से उपचार शुरू किये जाने पर इस रोग की गंभीरता से बचा जा सकता है। नेबूलाइजेशन से सांस मार्ग के संक्रमण को रोका जा सकता है। आजकल चिकित्सक दवा की बजाय इन्हेलर का प्रयोग करने की सलाह देते हैं। इसका प्रभाव यह होता है कि दवा सीधे फेफड़ों तक पहुंच कर रोगी को शीघ्रता से राहत देती है। आजकल बायोलोजिक्स नामक उपचार भी दिया जाता है।

यह भी पढ़ें: World Asthma Day 2024: गर्मियों में बढ़ जाती है अस्थमा की परेशानी, एक्सपर्ट से जानें बचाव के उपाय

Tags :
Asthma CureAsthma in SummersAsthma PrecautionsAsthma TreatmentDr Mahesh Kumar MishraHealth NewsHealth News in hindiHealth News ott indiaHealth News Rajasthan FirstMahatma Gandhi Hospital JaipurWorld Asthma DayWorld Asthma Day 2024World Asthma Day 2024 ThemeWorld Asthma Day DateWorld Asthma Day History
Next Article