Parenting Tips: बच्चे को बनाना है इमोशनली स्ट्रॉन्ग, तो अपनाएं ये टिप्स
Parenting Tips: आज के समय में कंपीटीशन के इस दौर में माता-पिता (Parenting Tips) अपने बच्चे को फिजिकल और मेंटली स्ट्रॉन्ग बनाने की कोशिश करते है। लेकिन यहां पर माता-पिता की एक ओर जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने बच्चे को फिजिकल और मेंटली स्ट्रॉन्ग बनाने के साथ ही अपने बच्चे को इमोशनली तौर पर भी स्ट्रॉन्ग बनाएं। क्योंकि कुछ बच्चे ऐसे भी होते है जो आसानी से अपनी बात नहीं बोल पाते, अपनी बातों को खुलकर शेयर नहीं कर पाते और कई बच्चे बात बात पर रो देते हैं। ऐसे बच्चे आसानी से कई तरह की परेशानियों में फंस सकते है और उनसे बाहर निकलने के लिए कुछ बड़ी गलतियां भी कर बैठते हैं। ऐसी परिस्थिति में जरूरी है कि अभिभावक बचपन से ही बच्चे को इमोशनली स्ट्रॉन्ग बनाएं। आज हम आपको कुछ ऐसे ही टिप्स बताने जा रहे है जो बच्चों को इमोशनली स्ट्रॉन्ग बनाने में मदद कर सकता हैं।
बच्चे को करने दे गलतियां
कई बार माता-पिता बच्चों को गलतियां करने से रोक देते हैं या फिर उन गलतियों को ठीक करने में लग जाते हैं। लेकिन यहां पर माता-पिता को यह बात जानना जरूरी है कि बात बात पर रोकना टोकना और गलत करने से मना करते रहने से बच्चा उन बातों व चीजों को कभी सीख ही नहीं पाएगा। इससे धीरे-धीरे बच्चे के आत्मविश्वास में भी कमी आने लगती है।
समस्याओं को हल करना सिखाएं
जीवन चुनौतियों भरा होता है। ऐसे में जीवन में आने वाली चुनौतियों से कैसे निपट सकते है, यह स्किल बच्चों को सिखाना बेहद जरूरी है। क्योंकि चुनौतियों को सामना करना और उनसे निकलने की स्किल्स ही बच्चे को इमोशनली स्ट्रॉन्ग बनाने में मदद करती हैं। यहां पर माता पिता की जिम्मेदारी बनती है कि निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में बच्चे को शामिल करें और उन्हें गलत सही बातों के बारे में समझाएं।
बच्चे के डर को करें काबू
कई बार माता-पिता जाने अनजाने में ऐसी बात या हरकत कर देते हैं, जिसकी वजह से बच्चा धीरे-धीरे अपनी बातों को शेयर करना बंद कर देता है। जैसे बच्चा किसी चीज से डरता है तो माता-पिता अक्सर उन बातों का मजाक बनाने लगते है या फिर उन्हें डांटकर चुप कर देते है। लेकिन आपकी इन चीजों की वजह से बच्चे के दिमाग पर असर पड़ता है और वह सहमा सा रहने लगता है। इतना ही नहीं वे अपने डर को एक्सप्रेस करने से पहले सौ बार सोचने लगते हैं। इससे अच्छा है कि आप बच्चे की बातों को सुने और उन्हें इग्नोर करने की जगह सुलझाने की कोशिश करें।
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