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ICMR Guidelines on Infants: आईसीएमआर की सलाह- शिशुओं को दाल का पानी की जगह देना चाहिए मसली हुई दाल, जानें और क्या खिलाएं

ICMR Guidelines on Infants: हम बचपन से सुनते आ रहे हैं कि दाल का पानी स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होता है। किसी व्यक्ति के बीमार होने की स्थिति में उसे हल्की चीज़ें जैसे खिचड़ी या दाल का पानी (ICMR...
01:50 PM May 30, 2024 IST | Preeti Mishra
(Image Credit: Social Media)

ICMR Guidelines on Infants: हम बचपन से सुनते आ रहे हैं कि दाल का पानी स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होता है। किसी व्यक्ति के बीमार होने की स्थिति में उसे हल्की चीज़ें जैसे खिचड़ी या दाल का पानी (ICMR Guidelines on Infants) ही दिया जाता है। छोटे बच्चों को तो शुरू से ही दाल का पानी देने की सलाह दी जाती रही है। दादी-नानी शिशुओं को दाल का पानी, चावल का पानी आदि देने की सलाह देती रही है। लेकिन अब इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर ) ने एक चौंकाने वाली सलाह दी है।

आईसीएमआर (ICMR Guidelines on Infants) ने हाल ही में जारी अपने दिशानिर्देशों में शिशुओं को छह महीने में पूरक आहार देने के साथ-साथ अर्ध-ठोस खाद्य पदार्थ खिलाने की सिफारिश की है। आईसीएमआर ने कहा है कि बच्चों को 4-5 दिनों के लिए पतले लेकिन पानी वाले दलिया देने शुरू करें और धीरे-धीरे इसमें पानी कम कर के इसको अच्छी तरह से मसला हुआ भोजन बना कर शिशुओं को खिलाएं।

आईसीएमआर (ICMR Guidelines on Infants) ने राष्ट्रीय पोषण संस्थान के साथ मिलकर विभिन्न आयु वर्ग के भारतीयों के लिए 17 नए आहार दिशानिर्देश जारी किए हैं ताकि उन्हें बेहतर भोजन विकल्प चुनने में मदद मिल सके।

क्या कहना है आईसीएमआर का?

आईसीएमआर का कहना है कि दाल का पानी जैसे पानी वाले खाद्य पदार्थ अपने शिशुओं को न दें। इसके बजाय गाढ़ी स्थिरता वाली मैश की हुई दाल खिलाएं। आईसीएमआर दिशानिर्देश कहते हैं कि शिशु द्वारा अर्ध-ठोस भोजन को उगलने की क्रिया भोजन को निगलने की उनकी सीखने की प्रक्रिया का हिस्सा हो सकती है और इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें भोजन नापसंद है। ऐसे भोजन को निगलने की शारीरिक परिपक्वता तब प्राप्त होती है जब उन्हें ऐसे खाद्य पदार्थ नियमित रूप से खिलाए जाते हैं।

आईसीएमआर के अनुसार, एक शिशु भोजन निगलने की क्रिया के लिए आवश्यक पूर्ण समन्वय हासिल नहीं कर पाता है और इसलिए जीभ के माध्यम से भोजन को बाहर निकालता है। इसलिए, कम मात्रा (दो या तीन चम्मच) में अर्ध-ठोस खाद्य पदार्थ खिलाना शुरू करना महत्वपूर्ण है।

शिशुओं को पूरक आहार जरुरी

शिशु के 6 महीने का होने के बाद उसके पर्याप्त विकास के लिए केवल मां का दूध ही पर्याप्त नहीं होता है और 6 से 12 महीने तक स्तनपान करने वाले शिशुओं को अर्ध-ठोस आहार अवश्य देना चाहिए। 6 से 12 महीने के शिशु के लिए कुल ऊर्जा और प्रोटीन की आवश्यकता क्रमशः 650 से 720 किलो कैलोरी/दिन और 9-10.5 ग्राम/दिन है। लेकिन औसतन, छह महीने के बाद स्तन का दूध लगभग 500 किलो कैलोरी और प्रतिदिन 5 ग्राम प्रोटीन प्रदान करता है। जो छह महीने की उम्र के बाद शिशुओं के विकास के लिए अपर्याप्त है।

दिशानिर्देशों में बताया गया है कि क्या खाएं, क्या न खाएं

दिशानिर्देशों में कहा गया है कि शिशुओं की सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकता अधिक है और उन्हें दिया जाने वाला भोजन सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर होना चाहिए। शिशुओं के भोजन में अनाज के साथ, पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे कि तिलहन, नट्स, दूध, सब्जियां और फल को शामिल करना चाहिए। मांस वाले खाद्य पदार्थ और अंडे या दालें जैसे दाल, चना, राजमा, लोबिया, काला चना प्रोटीन का अच्छा स्रोत हो सकते हैं।

आईसीएमआर ने हालांकि चेतावनी दी है कि फलों के रस और चीनी-मीठे पेय पदार्थों से बचना चाहिए। ताजे फलों का रस या ताजे फलों की प्यूरी शिशुओं को दी जा सकती है। संस्था के अनुसार, पूरक खाद्य पदार्थों में चीनी या नमक मिलाने की ज़रूरत नहीं है।

क्या है शिशुओं के लिए सर्वोत्तम आहार?

दिशानिर्देशों के अनुसार, 6-8 महीने के शिशुओं को गाजर की प्यूरी, कद्दू की प्यूरी, पालक की प्यूरी, आलू की प्यूरी, सेब की प्यूरी, कसा हुआ उबला अंडा, मसली हुई मछली दी जा सकती है। 9 से 12 महीने के बच्चों को कद्दूकस की हुई मिश्रित सब्जी और अंडे का हलवा आहार में शामिल किया जा सकता है। वहीं सादा दलिया, उबला अंडा और सब्जी खिचड़ी 1 वर्ष और उससे अधिक के बच्चों के लिए उपयुक्त हैं।

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