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Sheikh Hasina Arrest Warrant: शेख हसीना पर दूसरा वारंट, 500 से अधिक जबरन गायब करने का आरोप

Sheikh Hasina Arrest Warrant: बांग्लादेश की एक अदालत ने निर्वासित पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ दूसरा गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। इस बार यह वारंट उनके शासनकाल के दौरान हुए कथित जबरन गायब किए जाने के मामलों से जुड़ा...
07:28 PM Jan 06, 2025 IST | Ritu Shaw

Sheikh Hasina Arrest Warrant: बांग्लादेश की एक अदालत ने निर्वासित पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ दूसरा गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। इस बार यह वारंट उनके शासनकाल के दौरान हुए कथित जबरन गायब किए जाने के मामलों से जुड़ा है। यह जानकारी सोमवार को मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम ने दी।

77 वर्षीय शेख हसीना, जिनका 15 साल लंबा शासनकाल मानवाधिकार हनन और राजनीतिक विरोधियों के दमन के लिए जाना जाता है, अगस्त में भारत भाग गई थीं। यह कदम उन्हें छात्र-नेतृत्व वाले आंदोलन द्वारा सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद उठाना पड़ा।

मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम ने क्या कहा?

इस्लाम ने बताया कि हसीना और 11 अन्य व्यक्तियों, जिनमें उनके सैन्य सलाहकार, सैन्य अधिकारी और कानून प्रवर्तन अधिकारी शामिल हैं, के खिलाफ यह नया वारंट जारी हुआ है। इस्लाम के अनुसार, हसीना के शासनकाल में 500 से अधिक लोगों को बांग्लादेशी सुरक्षा बलों द्वारा कथित तौर पर अगवा किया गया था। इनमें से कई लोगों को गुप्त सुविधाओं में वर्षों तक रखा गया।

पीड़ितों के खुलासे के बाद आया मामला

हसीना के सत्ता से बेदखल होने के बाद, कई पीड़ितों ने अपनी दर्दनाक कहानियां साझा की हैं। इनमें से कई ने बताया कि कैसे उन्हें गुप्त स्थानों पर यातनाएं दी गईं और उनके परिवारों को उनकी स्थिति के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई।

भारत से प्रत्यर्पण की अपील

ढाका ने दिसंबर में भारत से शेख हसीना को प्रत्यर्पित करने का अनुरोध किया था, लेकिन भारत ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम ने कहा कि अदालत मामले की सुनवाई को जल्द से जल्द पूरा करना चाहती है। इस्लाम ने संवाददाताओं को बताया "हम चाहते हैं कि यह मुकदमा जल्द समाप्त हो, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम कानून तोड़ेंगे या बिना उचित प्रक्रिया के कोई फैसला सुनाएंगे।"

हसीना के सहयोगियों पर कार्रवाई

हसीना सरकार के गिरने के बाद, उनके कई सहयोगियों को हिरासत में लिया गया है। इन पर विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस कार्रवाई में शामिल होने का आरोप है, जिसमें 700 से अधिक लोग मारे गए थे। बांग्लादेश के इतिहास में यह मामला महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह न्याय और मानवाधिकारों के प्रति प्रतिबद्धता की परीक्षा भी है।

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