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Sajeeb Wazed: शेख हसीना के बेटे का बड़ा आरोप, कहा- 'यूनुस सरकार ने न्यायपालिका को हथियार बनाया'

Sajeeb Wazed: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे और आईटी उद्यमी सजीब वाज़ेद ने मौजूदा अंतरिम सरकार पर न्यायपालिका का "हथियार बनाकर" उनकी मां की पार्टी, अवामी लीग के नेताओं के खिलाफ राजनीतिक बदले की कार्रवाई करने का...
07:00 PM Dec 25, 2024 IST | Ritu Shaw

Sajeeb Wazed: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे और आईटी उद्यमी सजीब वाज़ेद ने मौजूदा अंतरिम सरकार पर न्यायपालिका का "हथियार बनाकर" उनकी मां की पार्टी, अवामी लीग के नेताओं के खिलाफ राजनीतिक बदले की कार्रवाई करने का आरोप लगाया है।

सोशल मीडिया पर लिखा पोस्ट

सजीब वाज़ेद ने सोशल मीडिया पर लिखा कि मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अस्थायी सरकार द्वारा नियुक्त न्यायाधीश और अभियोजक अवामी लीग नेतृत्व को निशाना बनाने के लिए "मजाकिया ट्रायल प्रक्रिया" का उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने इसे "न्याय का त्याग" और "राजनीतिक प्रतिशोध" करार दिया।

शेख हसीना का निष्कासन और भारत में शरण

अगस्त में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ हुए घातक विरोध प्रदर्शनों के बाद शेख हसीना को सत्ता से बेदखल कर दिया गया था। इसके बाद, उन्होंने एक सैन्य हेलीकॉप्टर के जरिए देश छोड़कर भारत में शरण ली। मोहम्मद यूनुस ने बाद में अंतरिम सरकार का गठन किया। वहीं, सोमवार को अंतरिम सरकार ने भारत को एक राजनयिक नोट भेजकर शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है।

अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण द्वारा गिरफ्तारी वारंट

बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने शेख हसीना और उनके कई पूर्व कैबिनेट मंत्रियों, सलाहकारों, सैन्य और नागरिक अधिकारियों के खिलाफ "मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार" के आरोपों में गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।

"कंगारू न्यायाधिकरण": वाज़ेद का बयान

सजीब वाज़ेद ने आरोप लगाया कि यूनुस के नेतृत्व वाली "गैर-निर्वाचित सरकार" ने मानवाधिकारों के उल्लंघन और राजनीतिक प्रतिशोध को बढ़ावा दिया है। उन्होंने कहा, "इस कंगारू न्यायाधिकरण और प्रत्यर्पण के अनुरोध का उद्देश्य अवामी लीग के नेताओं को खत्म करना है, जबकि कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा सैकड़ों नेताओं और कार्यकर्ताओं की न्यायेतर हत्याएं, झूठे हत्या के आरोप और अवैध गिरफ्तारी जारी है।"

भारत-बांग्लादेश संबंधों में खटास

शेख हसीना के निष्कासन के बाद से भारत और बांग्लादेश के संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। खासकर, बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद बढ़ा है। सोमवार को भारत ने ढाका से प्राप्त 'नोट वर्बेल' की पुष्टि की लेकिन इस पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

मुख्य अभियोजक पर गंभीर आरोप

सजीब वाज़ेद ने आईसीटी ट्रिब्यूनल के मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम पर युद्ध अपराधियों का बचाव करने और शेख हसीना के खिलाफ "झूठी सूचना फैलाने" का भी आरोप लगाया। वाज़ेद ने कहा कि ताजुल इस्लाम ने दावा किया था कि इंटरपोल ने शेख हसीना के खिलाफ रेड नोटिस जारी किया है, लेकिन मीडिया के दबाव के बाद उन्होंने अपना बयान बदल दिया।

"न्याय प्रणाली में विश्वास नहीं": वाज़ेद

वाज़ेद ने कहा, "हम दोहराते हैं कि जुलाई से अगस्त के बीच हुए हर मानवाधिकार उल्लंघन की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए, लेकिन यूनुस सरकार ने न्यायपालिका का हथियार बनाकर इसका दुरुपयोग किया है। हम न्याय प्रणाली पर कोई विश्वास नहीं रखते।"

शेख हसीना के बेटे के इस बयान से बांग्लादेश की राजनीति में उथल-पुथल और बढ़ने की संभावना है।

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