Shani Pradosh Vrat: आज है साल का अंतिम प्रदोष व्रत, जानें क्यों है यह बहुत महत्वपूर्ण
Shani Pradosh Vrat: शनि प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो अपने आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व के लिए मनाया जाता है। भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित इस व्रत में उनका आशीर्वाद पाने के लिए उपवास और प्रार्थना करना शामिल है। इस वर्ष का आखिरी प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat) आज शनिवार, 28 दिसंबर को पौष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाएगा।
शनि प्रदोष व्रत तिथि और शुभ मुहूर्त
द्रिक पंचांग के अनुसार, प्रदोष का दिन जब सोमवार को आता है तो उसे सोम प्रदोष कहते हैं, मंगलवार को आने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष कहते हैं तथा जो प्रदोष शनिवार के दिन आता है उसे शनि प्रदोष (Shani Pradosh Vrat) कहा जाता है। वर्ष 2024 का आखिरी प्रदोष व्रत दिन शनिवार को पड़ रहा है इसलिए इसे शनि प्रदोष व्रत के रूप में मनाया जाएगा।
प्रारम्भ - 03:56, दिसम्बर 28
समाप्त - 05:02, दिसम्बर 29
शुभ मुहूर्त- 17:57 से 20:31
कुल समय- 02 घण्टे 34 मिनट्स
शनि प्रदोष व्रत का महत्व
शनि प्रदोष (Shani Pradosh Vrat) व्रत हिंदू संस्कृति में बहुत महत्व रखता है, जो भगवान शिव और देवी पार्वती के प्रति गहरी भक्ति का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से आशीर्वाद मिलता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवता विशेष रूप से दयालु होते हैं और भक्तों की इच्छाओं को पूरा करते हैं। यह अविवाहित महिलाओं के लिए विशेष रूप से शुभ होता है, क्योंकि माना जाता है कि यह व्रत उन्हें एक उपयुक्त साथी का आशीर्वाद देता है।
शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat) के दौरान सूर्यास्त के बाद और रात होने से पहले आने वाला "प्रदोष काल" एक महत्वपूर्ण अवधि है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान व्रत रखने से ग्रहों की स्थिति, विशेषकर चंद्रमा और शनि से संबंधित प्रतिकूल प्रभावों को दूर किया जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि इस अवधि के दौरान शिवलिंग की पूजा करने से शनि-प्रेरित दोष समाप्त हो जाते हैं और शांति और समृद्धि आती है।
शनि प्रदोष व्रत कैसे मनाएं?
व्रत की तैयारी करें: दिन की शुरुआत स्नान से करें और साफ कपड़े पहनें। पूरे दिन शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखें। पवित्र वातावरण बनाने के लिए अपने घर, विशेषकर पूजा क्षेत्र को साफ करें।
उपवास रखें: सूर्योदय से सूर्यास्त तक उपवास रखें। पूर्ण उपवास का विकल्प भी चुन सकते हैं या फल, दूध और हल्के सात्विक भोजन का सेवन कर सकते हैं। प्याज, लहसुन जैसी तामसिक वस्तुओं और मसालेदार भोजन से परहेज करें।
शनि और शिव मंत्रों का जाप करें: शनि के अशुभ प्रभावों से राहत पाने और आशीर्वाद पाने के लिए शनि स्तोत्र और शिव मंत्रों का जाप करें। आध्यात्मिक ध्यान और भक्ति बढ़ाने के लिए ध्यान करें।
दान और सेवा: जरूरतमंदों को काली वस्तुएं जैसे तिल, काले कपड़े या भोजन दान करके व्रत समाप्त करें, क्योंकि इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं। अच्छे कर्म करें और समृद्धि और शांति के लिए आशीर्वाद मांगें।
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