Sawan Shivratri 2024: आज है सावन शिवरात्रि, जानें निशिता काल और रात्रि के चारों प्रहर के पूजा का समय
Sawan Shivratri 2024: आज भगवान शिव को समर्पित महत्वपूर्ण त्योहार सावन शिवरात्रि है। कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को पड़ने वाली यह तिथि भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए अत्यधिक शुभ मानी जाती है। यह त्योहार भक्ति, तपस्या और आध्यात्मिक विकास का प्रतीक है। इस अवसर पर लोग आज सुबह से ही शिव मंदिरों में जल चढाने के लिए उमड़ पड़े हैं। आज शिवरात्रि (Sawan Shivratri 2024) है इसलिए आज रात्रि की पूजा का विशेष महत्व और लाभ होता है।
आज बन रहा है आद्रा नक्षत्र
आज शिवरात्रि पर 19 सालों बाद आर्द्रा नक्षत्र बन रहा है। आज शिवरात्रि को आद्रा नक्षत्र सूर्योदय से सुबह 10 बजकर 59 मिनट तक है। इस नक्षत्र के अधिपति देवता भगवान शिव के रुद्र रूप को माना जाता है। 27 नक्षत्रों में से आर्द्रा छठा नक्षत्र है। इससे पहले 2005 में सावन शिवरात्रि (Sawan Shivratri 2024) के दिन आद्रा नक्षत्र बना था। आद्रा नक्षत्र के बनने से बारिश भी खूब होती है।
शिवरात्रि के दिन निशिता काल में शिव पूजा का है विशेष महत्व
शिवरात्रि का अर्थ ही है शिव की रात्रि। इसलिए आज के दिन रात्रि पूजा का विशेष महत्व होता है। आज निशिता काल में शिव पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। इसलिए रात के समय स्नान आदि करने के बाद भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। निशिता काल पूजा का समय 12:06 बजे से 12:49 बजे तक है। इसकी अवधि 42 मिनट है। शिवरात्रि व्रत के बाद 03 अगस्त को पारण का समय प्रातः 05:44 बजे से अपराह्न 03:49 बजे तक है। निशिता काल पूजा में सावन शिवरात्रि व्रत कथा, शिव चालीसा और शिव मंत्र पढ़ना चाहिए।
इसके अतिरिक्त, भक्त रात के चार प्रहरों के दौरान शिवरात्रि पूजा कर सकते हैं। माना जाता है कि इन समयों के दौरान पूजा करने से भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद मिलता है। इन्हें इस प्रकार विभाजित किया गया है:
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - रात्रि 07:11 बजे से 09:49 बजे रात्रि
द्वितीय प्रहर पूजा समय - रात्रि 09:49 बजे से 00:27 बजे रात्रि
तृतीय प्रहर पूजा समय - रात्रि 12:27 बजे से 03:06 बजे रात्रि
चतुर्थ प्रहर पूजा समय - सुबह 03.06 बजे से शाम 05:44 बजे तक।
सावन शिवरात्रि का महत्व
सावन के मानसून महीने के दौरान मनाई जाने वाली सावन शिवरात्रि भगवान शिव के भक्तों के लिए गहरा महत्व रखती है। यह शिव और पार्वती के मिलन का प्रतीक है, जो ब्रह्मांडीय संतुलन और सद्भाव का प्रतिनिधित्व करता है। इस दिन भक्त उपवास करते हैं और विशेष अनुष्ठान करते हैं। यह त्योहार गहन भक्ति, ध्यान और तपस्या का समय है। माना जाता है कि यह पापों को साफ करता है और मोक्ष प्रदान करता है। सावन के दौरान मानसून की बारिश को एक दैवीय आशीर्वाद के रूप में भी देखा जाता है, जो उत्सव के आध्यात्मिक माहौल को बढ़ाता है।
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