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Sawan Month 2024: जुलाई महीने में इस दिन से शुरू होगा सावन का महीना, इस बार पड़ेंगे पांच सोमवार व्रत

Sawan Month 2024: सावन, जिसे श्रावण के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू कैलेंडर का पांचवां महीना है, जो आमतौर पर जुलाई-अगस्त में पड़ता है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित है और इसे बहुत शुभ माना जाता है।...
11:22 AM Jun 20, 2024 IST | Preeti Mishra
(Image Credit: Social Media)

Sawan Month 2024: सावन, जिसे श्रावण के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू कैलेंडर का पांचवां महीना है, जो आमतौर पर जुलाई-अगस्त में पड़ता है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित है और इसे बहुत शुभ माना जाता है। श्रद्धालु इस महीने (Sawan Month 2024) के हर सोमवार को व्रत रखते हैं और शिव मंदिरों में रुद्राभिषेक करते हैं। इसी महीने कांवड़ यात्रा भी निकाली जाती है, जहां भक्त शिव को चढ़ाने के लिए पवित्र नदियों से जल लाते हैं। सावन के दौरान मानसून की बारिश समृद्धि, शुद्धि और आध्यात्मिक कायाकल्प का प्रतीक है।

कब शुरू और ख़त्म होगा इस वर्ष सावन का महीना

सावन का महीना (Sawan Month 2024) 22 जुलाई दिन सोमवार से शुरू हो जाएगा। पंचांग के अनुसार सावन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 21 जुलाई दिन रविवार को दोपहर 03:46 बजे से शुरू होगी। यह तिथि 22 जुलाई दिन सोमवार को दोपहर 01:11 बजे तक मान्य रहेगी। हिन्दू धर्म में उदया तिथि पर ही किसी भी पर्व की शुरुआत होती है इसलिए सूर्योदय के आधार पर सावन का महीना 22 जुलाई से शुरू होगा। सावन का महीना प्रीति योग और श्रवण नक्षत्र से शुरू होगा।

इस बार होंगे सावन में पांच सोमवार व्रत

इस साल सावन (Sawan Month 2024) में पांच सोमवार व्रत होंगे। सावन का पहला सोमवार व्रत पहले ही दिन 22 जुलाई को होगा। जबकि सावन का पांचवां और आखिरी सोमवार व्रत 19 अगस्त को होगा।

पहला सावन सोमवार व्रत: 22 जुलाई
दूसरा सावन सोमवार व्रत: 29 जुलाई
तीसरा सावन सोमवार व्रत: 5 अगस्त
चौथा सावन सोमवार व्रत: 12 अगस्त
पांचवां सावन सोमवार व्रत: 19 अगस्त

क्यों है सावन महीने का बहुत ज्यादा महत्व

सावन हिंदू परंपरा में गहरा पौराणिक महत्व रखता है। सावन हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक भगवान शिव से आंतरिक रूप से जुड़ा हुआ है और उन्हें समर्पित पूजा और अनुष्ठानों के लिए सबसे पवित्र महीनों में से एक माना जाता है।

सावन महीने की जड़ें प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों और किंवदंतियों में पाई जा सकती हैं। एक महत्वपूर्ण पौराणिक कहानी देवताओं और राक्षसों द्वारा अमरता का अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन से जुड़ी है। इस प्रक्रिया के दौरान तमाम अच्छी चीज़ों जैसे कामधेनु गांव और ऐरावत हाथी के साथ हलाहल नामक एक घातक विष भी निकला, जिसने ब्रह्मांड को खतरे में डाल दिया। भगवान शिव ने अपनी असीम करुणा में ब्रह्मांड की रक्षा के लिए विष का सेवन किया। उनके दुख को कम करने के लिए, देवताओं और भक्तों ने शिव को गंगा जल अर्पित किया, जिससे सावन के दौरान अभिषेक करने की परंपरा शुरू हुई।

सावन के महीने में लोग सोमवार को उपवास रखते हैं और शिव मंत्रों का जाप करते हुए शिव मंदिरों में रुद्राभिषेक करते हैं। कांवड़ यात्रा, जिसमें भक्त पवित्र नदियों से पवित्र जल लेकर शिव मंदिरों में चढ़ाते हैं, इसी महीने की एक उल्लेखनीय प्रथा है। यह महीना भक्ति, शुद्धि और आध्यात्मिक ऊर्जा के नवीनीकरण का प्रतीक है, जो हिंदू समाज के सांस्कृतिक और धार्मिक ताने-बाने में गहराई से समाया हुआ है।

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