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Prakash Parv 2025: क्यों मनाते हैं प्रकाश पर्व, क्या है इसका गुरु गोबिंद सिंह से संबंध? जानिए सबकुछ

इस दिन भारत और दुनिया भर के गुरुद्वारों को खूबसूरत रोशनी और सजावट से जगमगाया जाता है। इसके अलावा हर गुरुद्वारे में लंगर का आयोजन किया जाता है।
01:03 PM Jan 04, 2025 IST | Preeti Mishra
Prakash Parv 2025

Prakash Parv 2025: प्रकाश पर्व गुरु गोबिंद सिंह जी जयंती के शुभ अवसर पर मनाया जाता है। यह दिन महान योद्धा, कवि, दार्शनिक और आध्यात्मिक गुरु के सम्मान और याद में (Prakash Parv 2025) मनाया जाता है। इस दिन, दुनिया भर के सिख एक-दूसरे को शुभकामनाएं भेजते हैं और गुरु गोबिंद सिंह जी के मार्ग और शिक्षाओं पर चलने का संकल्प लेते हैं।

इस दिन भारत और दुनिया भर के गुरुद्वारों को खूबसूरत रोशनी और सजावट से जगमगाया जाता है। इसके अलावा, हर गुरुद्वारे में लंगर का आयोजन किया जाता है और सिख सामुदायिक सेवा भी करते हैं। कुछ स्थानों पर, 'नगर प्रभात फेरी' का भी आयोजन किया जाता है जिसमें सिख (Prakash Parv 2025 Date) बड़े जोश और उत्साह के साथ शामिल होते हैं। प्रकाश पर्व के दौरान गुरुद्वारों में अरदास की जाती है और प्रार्थना की जाती है। इस अवसर पर विशेष भजन-कीर्तन भी किया जाता है।

क्यों मनाते हैं प्रकाश पर्व?

सिख अपने दो श्रद्धेय गुरुओं, गुरु नानक देव जी और गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती का सम्मान करने के लिए प्रकाश पर्व, जिसका अर्थ है "प्रकाश का त्योहार", मनाते हैं। ये अवसर मानवता के मार्ग को रोशन करने के लिए गुरुओं द्वारा लाए गए दिव्य ज्ञान और मार्गदर्शन के आगमन का प्रतीक हैं। प्रकाश पर्व (Why Sikhs Celebrate Prakash Parv) समानता, विनम्रता, सेवा और ईश्वर के प्रति समर्पण की सिख शिक्षाओं का प्रतीक है।

कैसे मनाया जाता है प्रकाश पर्व?

सिख अपने गुरुओं की जयंती का सम्मान करते हुए प्रकाश पर्व को भक्ति और भव्यता के साथ मनाते (Prakash Parv Celebration) हैं। उत्सव की शुरुआत सुबह की प्रार्थना (आसा दी वार) और गुरु ग्रंथ साहिब के पाठ से होती है। इस दिन शहर के विभिन्न हिस्सों में सुबह के प्रभात फेरी के साथ भजन कीर्तन किया जाता है। प्रभात फेरी का समापन स्थानीय गुरुद्वारों में होता है। इसके बाद बिना रुके कई धार्मिक गतिविधियां होती हैं। भक्त गुरुद्वारों में कीर्तन और आध्यात्मिक प्रवचन के लिए इकट्ठा होते हैं।

इस दिन गुरु ग्रंथ साहिब का 48 घंटे का अखंड पाठ आयोजित किया जाता है। नगर कीर्तन (जुलूस) का आयोजन किया जाता है, जिसमें धार्मिक भजन, मार्शल आर्ट का प्रदर्शन और सजी हुई झांकियां शामिल होती हैं। लंगर परोसा जाता है। यह आयोजन एकता, शांति और आध्यात्मिक प्रतिबिंब को बढ़ावा देता है, साथ ही सिख गुरुओं की शिक्षाओं और मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं।

प्रकाश पर्व का इतिहास

प्रकाश पर्व (Prakash Parv History) का उत्सव 1469 में सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी के जन्म से शुरू हुआ। उनकी जयंती मनाने की परंपरा उनके जीवनकाल के दौरान शुरू हुई, क्योंकि उनके अनुयायी उन्हें दिव्य ज्ञान और आध्यात्मिक के प्रतीक के रूप में मानते थे। समय के साथ, यह एक भव्य वार्षिक कार्यक्रम के रूप में विकसित हुआ, जिसे गुरु नानक जयंती के नाम से जाना जाता है।

यह उत्सव अन्य गुरुओं, विशेष रूप से दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी तक फैला, जिन्होंने 1699 में खालसा की स्थापना की और सामूहिक विश्वास और समानता के महत्व पर जोर दिया। "प्रकाश पर्व" शब्द का अर्थ "प्रकाश का त्योहार" है, जो गुरुओं द्वारा लाए गए ज्ञान और शिक्षाओं का प्रतीक है।

गुरु ग्रंथ साहिब का निरंतर पाठ, कीर्तन और लंगर का अभ्यास उत्सव का अभिन्न अंग बन गया, जो भक्ति, सेवा और एकता के सिख मूल्यों का प्रतीक है। ये परंपराएँ दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रेरित करती रहती हैं।

प्रकाश पर्व का महत्व

प्रकाश पर्व का सिख धर्म में गहरा महत्व (Prakash Parv Significance) है, जिसमें गुरु नानक देव जी और गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती मनाई जाती है। यह अज्ञानता को दूर करने और मानवता को सत्य, समानता और आध्यात्मिकता की ओर मार्गदर्शन करने के लिए दिव्य प्रकाश और ज्ञान के आगमन का प्रतीक है। यह त्यौहार निःस्वार्थ सेवा, समानता, न्याय और ईश्वर के प्रति समर्पण जैसे मूल सिख मूल्यों पर जोर देता है।

गुरुओं की शिक्षाओं और बलिदानों का सम्मान करके, प्रकाश पर्व भक्तों को करुणा, विनम्रता और धार्मिकता में निहित जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है। यह एकता और शांति को बढ़ावा देता है, सिख समुदाय को उनकी आध्यात्मिक विरासत और सार्वभौमिक सद्भाव के प्रति प्रतिबद्धता की याद दिलाता है।

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