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Parivartini Ekadashi 2024: कल है परिवर्तिनी एकादशी का व्रत, जानें पूजा विधि और इसका महत्व

Parivartini Ekadashi 2024: परिवर्तिनी एकदशी, जिसे वामन एकदशी या जलझिनी एकदशी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू महीने भाद्रपद में शुक्ल पक्ष के दौरान आती है। यह एकादशी (Parivartini Ekadashi 2024) इसलिए महत्वपूर्ण क्योंकि ऐसा माना जाता है...
10:46 AM Sep 13, 2024 IST | Preeti Mishra

Parivartini Ekadashi 2024: परिवर्तिनी एकदशी, जिसे वामन एकदशी या जलझिनी एकदशी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू महीने भाद्रपद में शुक्ल पक्ष के दौरान आती है। यह एकादशी (Parivartini Ekadashi 2024) इसलिए महत्वपूर्ण क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु, जो चातुर्मास के दौरान गहरी नींद में हैं, शेषनाग पर आराम करते हुए इसी दिन करवट लेते हैं। इस दिन विष्णु के अवतार भगवान वामन की पूजा करना अत्यधिक शुभ माना जाता है।

परिवर्तिनी एकदशी तिथि, समय और पारण का समय

परिवर्तिनी एकादशी तिथि 13 सितंबर 2024 को रात 10:30 बजे शुरू होगी
परिवर्तिनी एकादशी तिथि 14 सितंबर 2024 को रात्रि 08:41 बजे समाप्त होगी

परिवर्तिनी एकादशी शनिवार, 14 सितम्बर 2024
परिवर्तिनी एकादशी (Parivartini Ekadashi 2024) पारण का समय 15 सितंबर को प्रातः 06:12 बजे से प्रातः 08:38 बजे तक
पारण दिवस हरि वासर समाप्ति क्षण 06:12 बजे

परिवर्तिनी एकादशी महत्व

हिंदू परंपराओं के अनुसार, जो कोई भी परिवर्तिनी एकादशी व्रत का पालन करता है उसे भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिल सकता है। पुराणों में बताया गया है कि परिवर्तिनी एकादशी व्रत रखने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। इस व्रत को विधि विधान के अनुसार ही करना चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु के अवतार वामन की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत करने से नाम और यश की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसके अलावा इस व्रत को रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसा दावा किया जाता है कि जो कोई भी इस व्रत का पालन करता है उसे अपने जीवन के पापों और गलत कार्यों से छुटकारा मिल जाता है। इसके अलावा भक्तों को तीनों लोकों में प्रसिद्धि भी मिल सकती है। जो कोई इस कथा को पढ़ता है या सुनता है उसे एक हजार अश्वमेघ यज्ञों के बराबर फल प्राप्त होता है।

परिवर्तिनी एकादशी व्रत अनुष्ठान

- सुबह जल्दी उठकर घर के मंदिर के आसपास की जगह को साफ करें।
- अपने आप को किसी भी अन्य गतिविधियों से मुक्त रखें।
- साफ सुथरे कपड़े पहनकर तैयार हो जाएं।
- विष्णु की मूर्ति की पूजा गंगाजल या पवित्र जल से करें।
- दीये और अगरबत्ती जलाएं।
- आरती करके अपना एक दिवसीय व्रत शुरू करें।
- विष्णु मंत्र का जाप करें और अपनी प्रार्थनाओं में भगवान का आह्वान करें।
- अगले दिन द्वादशी तिथि पर व्रत का समापन करें।
- ब्राह्मणों को भोजन दान करें और लोगों में प्रसाद बांटें।

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