Navratri 2024 4th Day: नवरात्रि का चौथा दिन मां कुष्माण्डा को है समर्पित, जानिए इनके स्वरूप के बारे में
Navratri 2024 4th Day: रविवार यानि 6 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि 2024 का चौथा दिन है। यह दिन मां कुष्मांडा को समर्पित है। वह प्रकाश और ऊर्जा की देवी हैं, जो जीवन शक्ति की अभिव्यक्ति हैं। मां कुष्मांडा देवी (Navratri 2024 4th Day) से नारंगी जुड़ा हुआ है। यह रंग गर्मजोशी और उत्साह का प्रतिनिधित्व करता है। द्रिक पंचांग के अनुसार, कुष्मांडा वह देवी हैं, जिनमें सूर्य के अन्दर निवास करने की शक्ति एवं क्षमता है। देवी माता की देह की कान्ति एवं तेज सूर्य के समान दैदीप्यमान है।
मां कुष्मांडा कौन हैं?
मां कुष्मांडा, देवी दुर्गा का चौथा अवतार हैं। "कुष्मांडा" नाम संस्कृत से लिया गया है, जिसमें "कु" का अर्थ "थोड़ा", "ऊष्मा" का अर्थ "गर्मी" और "अंडा" का अर्थ "ब्रह्मांडीय अंडा" होता है। उनकी आठ भुजाएं हैं, जिनमें त्रिशूल, चक्र, तलवार, हुक, गदा, धनुष, बाण और अमृत और रक्त के दो घड़े हैं। उनका एक हाथ हमेशा अभयमुद्रा में रहता है, जिससे वे अपने सभी भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।
मां कुष्मांडा की कहानी और महत्व
नवरात्रि के चौथे दिन देवी कुष्मांडा की पूजा की जाती है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब ब्रह्मांड अंधकारमय और अस्तित्वहीन था, तब मां कुष्मांडा ने अपनी दिव्य मुस्कान से इसे बनाया था।
वह ऊर्जा और जीवन शक्ति का प्रतीक हैं, जो भक्तों को स्वास्थ्य, शक्ति और साहस प्रदान करती हैं। उनका महत्व अपने भीतर सुप्त ऊर्जा को जगाने और उन्हें आगे आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार करने में निहित है। माना जाता है कि माँ कुष्मांडा की पूजा करने से समृद्धि और सफलता मिलती है, क्योंकि वह ब्रह्मांडीय ऊर्जा का स्रोत हैं। भक्त बाधाओं को दूर करने और एक संपूर्ण जीवन जीने के लिए उनका आशीर्वाद मांगते हैं।
मां कुष्मांडा की पूजा सिंदूर, मेहंदी, काजल, बिंदी, चूड़ियां, बिछिया, कंघी, आलता, दर्पण, पायल, इत्र, झुमके, नाक की पिन, हार, लाल चुनरी, महावर और हेयरपिन चढ़ाकर करनी चाहिए। इसके अलावा प्रसाद के रूप में मालपुए, हलवा या दही भी बनाया जा सकता है। कुष्मांडा नाम का शाब्दिक अर्थ ब्रह्मांडीय अंडा है, इसलिए देवी को सूर्य के मूल में रहने की शक्ति और ताकत प्राप्त है। आप सूर्य की चमक और तेज प्राप्त करने के लिए प्रार्थना कर सकते हैं।
मां कुष्मांडा का मंत्र, प्रार्थना और स्तुति
मन्त्र- ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥
प्रार्थना- सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
स्तुति- या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
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