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Nag Panchami Amrit Yog: आज नाग पंचमी पर बन रहा है अमृत योग, इस मंत्र से करें नाग देवता को प्रसन्न

Nagpanchami Amrit Yog: नागपंचमी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो विशेष रूप से भारत और नेपाल के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है। यह त्योहार नाग देवता, या सांपों की पूजा के लिए समर्पित है। यह श्रावण महीने (Nagpanchami Amrit...
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Nagpanchami Amrit Yog: नागपंचमी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो विशेष रूप से भारत और नेपाल के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है। यह त्योहार नाग देवता, या सांपों की पूजा के लिए समर्पित है। यह श्रावण महीने (Nagpanchami Amrit Yog ) के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर जुलाई या अगस्त में आता है। इस वर्ष नागपंचमी आज शुक्रवार 9 अगस्त को मनाई जा रही है। नागपंचमी के दिन नाग देवता की पूजा की जाती है और उन्हें दूध, फूल, चावल, और हल्दी अर्पित की जाती है।

आज इस बार नागपंचमी पर बन रहें है अमृत योग

श्रावण शुक्ल पञ्चमी (Nagpanchami Amrit Yog ) को नागपंचमी के नाम से जाना जाता है। महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान "ट्रस्ट" के ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय बताते है की इस वर्ष नागपंचमी के दिन शुक्रवार का दिन,हस्त नक्षत्र व सिद्ध योग मिल रहे है अतः इस पञ्चमी में भगवान शिव व नाग देव की पूजा विशेष रूप से सिद्धिप्रद होता है । इस दिन नाग देवता की पूजा का विशेष महत्व शास्त्रों के अनुसार बताया गया है ! समस्त नाग जाति के प्रति श्रद्धा व सम्मान पूर्वक गोदूग्ध धान का लावा, सफेद पुष्प,धूप इत्यादि से पूजन करना चाहिए।

                                                                                      ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय
नाग देवता की प्रसन्नता के लिए मन्त्र

ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय बताते है कि पूजन के पश्चात नाग देवता की प्रसन्नता के लिए निम्न मन्त्र का जप करें-

ॐ नवकुल नागाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि ! तन्नो सर्प: प्रचोदयात !

आज के दिन जिस जातक के जन्म कुण्डली में कालसर्प दोष/ सर्प श्राप के द्वारा कष्ट प्राप्त हो रहा हो उन्हें चाहिए की भगवान शिव की पूजा के साथ- साथ सर्प देवता की पूजा उपरोक्त मन्त्र के द्वारा करें ! जिससे आपको कालसर्प दोष व सर्प श्राप से मुक्ति मिल सकती है।

सारी मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण

इस पृथ्वी पर नागों (Nagpanchami Amrit Yog ) की उत्पत्ति कैसे हुई इसका वर्णन हमारे ग्रन्थों में किया गया है। इनमें वासुकि, शेषनाग, तक्षक और कालिया जैसे नाग है। नागों का जन्म ऋषि कश्यप की दो पत्नियों कद्रु और विनता से हुआ था। स्कन्द पुराण के अनुसार इस दिन नागों की पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

नागपंचमी के दिन अपने दरवाजे के दोनों ओर गोबर से सर्पों की आकृति बनानी चाहिए और धूप, पुष्प आदि से इसकी पूजा करनी चाहिए। इसके बाद इन्द्राणी देवी की पूजा (Nagpanchami Amrit Yog ) करनी चाहिए। दही,दूध, अक्षत जल पुष्प नेवैद्य आदि से उनकी आराधना करनी चाहिए ! ऐसा करने से पूरे वर्ष आपके परिवार में सर्प देवता व भगवान शिव की कृपा बनी रहती है।

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