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Meldi Mata Temple Valasan: मां मेलडी हर लेती हैं भक्तों का दुख, विदेशों से भी लोग आते हैं दर्शन करने

01:29 PM May 03, 2024 IST | Preeti Sam
Meldi Mata Temple Valasan (Image Credit: Rajasthan First)

Meldi Mata Temple Valasan: हमारे देश में धर्म और श्रद्धा कण-कण में समाहित है। इसमें भी गुजरात की तो बात ही अलग है। यहां आपको हर तरफ शक्ति के स्थान मिल जाएंगे। यहां आदि शक्ति अनंतरूप में दर्शन देती है। भक्तों के लिए कभी सौम्य स्वरूप तो कभी रौद्र रूप धारण करने वाली मां का हर रूप अलौकिक है। कभी वो वाराही बनती हैं, तो कभी मातंगी रूप में उनको पूजा जाता है। मां कभी खोडियार बनकर कुल का उद्धार करती हैं। कभी हक की रक्षा करने वाली मेलडी (Meldi Mata Temple Valasan) बन जाती है।

वैसे गांव के भोले लोगों की मां मेलडी (Meldi Mata Temple Valasan) ही है। गांव-गांव में मां मेलडी के डेरे मिल ही जाएंगे। इनमें कुछ स्थान काफी प्रसिद्ध हैं। ऐसा ही एक स्थान मौजूद है आणंद शहर के वलासन में। यहां मां मेलडी का धाम भक्तों के लिए विशेष आस्था का केंद्र है।

आणंद से तारापुर जाने वाले रास्ते पर 8 किलोमीटर दूर वलासन गांव बसा हुआ है। वैसे तो गांव का नाम वलासन है, पर मेलडी धाम से उसकी पहचान बन गई है। इसकी वजह है मां मेलडी (Meldi Mata Temple Valasan) का सालों पुराना मंदिर। यह मंदिर आने-जाने वालों को आकर्षित करता है। लोग आस्था की डोर से यहां खिंचे चले आते हैं।

रविवार को लगता है मंदिर पर बड़ा मेला

मेलडी माता (Meldi Mata Temple Valasan) के इस भव्य मंदिर की सुंदरता भक्तों को मंत्रमुग्ध कर देती है। मंदिर में विराजमान मां के दर्शन कर भक्तगण भाव विभोर हो जाते हैं। यहां हर रविवार को मां के भक्तों का मेला लगता है। रविवार के दिन मंदिर के प्रांगण में माता जी के गरबे और भजन हवा में गूंज उठते हैं। मां के भक्त मंदिर में ध्वजा भी चढ़ाते हैं। माता जी के मंदिर परिसर में एक और दिव्य स्थान है, जो माता जी का प्राकट्य स्थान माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यहां केर के पेड़ के नीचे मां प्रकट हुई थीं। अब मां के प्रति भक्तों की आस्था ने एक छोटे से मंदिर को भव्य मंदिर में परिवर्तित कर दिया है।

मेलडी माता ट्रस्ट के प्रमुख दशरथ पटेल का कहना है ''जनश्रुति है की यहां बरसों पहले बंजारे आए थे। उनके पास माता जी की पादुकाएं थीं। वो जहां जाते पादुकाएं लेकर जाते। एक बार इसी स्थान पर कुछ काम से बंजारे रुके हुए थे। यहां केर के पेड़ के नीचे ही उन्होंने पादुकाएं रखी थीं। काम खत्म होने पर बंजारे निकल पड़े पर पादुकाएं यहीं भूल गए। जब उनको इसका ख्याल आया कि मां की चरण पादुकाएं छूट गईं हैं, तो वे लोग वापस आए। पादुकाएं तो नहीं मिली पर माता ने प्रकट होकर बताया कि अब वे यहीं रहेंगी और केर की मेलडी के रूप में पूजी जाएंगी।''

मेलडी माता (Meldi Mata Temple Valasan) ट्रस्ट के प्रमुख दशरथ पटेल का कहना है ''जनश्रुति है कि सालों पहले बंजारे यहां से गुजर रहे थे। उन लोगों ने यहां पर रात में बसेरा किया। फिर वे माता जी को यहां भूल कर आगे बढ़ गए। बाद में वे लोग माता जी को वापस लेने आए, पर माताजी ने कहा कि वे यहां जंगल में केर के पास बसकर आस-पास के भक्तों का कल्याण करेंगी। उस समय से यानि करीब 200 साल से यहां छोटा मंदिर था। फिर जैसे-जैसे गांव में आबादी बढ़ती गई, मंदिर भी बड़ा हो गया। उसके बाद 1975 में सर्व समाज ने मिलकर नया मंदिर बनवाया और धूमधाम से मां की प्रतिष्ठा की गई।

मां के आशीर्वाद से बना भव्य मंदिर

मंदिर के ट्रस्टीगण मानते है की इस मंदिर के निर्माण की परिकल्पना को साकार करने में भी मा मेलडी (Meldi Mata Temple Valasan) का आशीर्वाद है।

एक और ट्रस्टी नटु पटेल का कहना है ''यहां माताजी का पुराना मंदिर था, उसका जिर्णोद्धार करके नया मंदिर बनाने का विचार किया गया। करीब 5 करोड़ रुपए खर्च हो रहे थे। इसमें दो करोड़ जमा हो गए थे लेकिन तीन करोड़ रुपए कम पड़ रहे थे। इस वजह से काम रुक गया था। बाद में माता जी के आशीर्वाद से 10 करोड़ खर्च करके भव्य मंदिर बना। अब आसपास से सर्व समाज के भक्त यहां आकर मां के दर्शन करते हैं।''

मंदिर में मेलडी माता (Meldi Mata Temple Valasan) के साथ महाकाली मां की भी मूर्ति है। जोगणी मां के भी दर्शन भक्तों को मंदिर में होते हैं। सबसे आकर्षक मूर्ति मां मेलडी की है। इनके सामने ही भक्तगण नतमस्तक होते हैं। मां मेलडी के इस धाम से गांव और आसपास के इलाके में भी धर्म का परचम लहरा रहा है। मंदिर आज की युवा पीढ़ी को सेवा करने की प्रेरणा देता है।मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली शक्तिधारी मां मेलडी की भक्तजन आराधना करते हैं। मां मेलडी भक्तों का दुख हर लेती हैं। जो भक्तजन यहां आते हैं, वो कभी भी खाली हाथ नहीं जाते। मां की कीर्ति इतनी फैली हुई है कि दूर-दूर से भक्त यहां मन्नत मांगने के लिए आते हैं।

यहं पर आए हुए एक दर्शानार्थी महेन्द्र का कहना है ''मैं और मेरा भाई यहां रोजाना दर्शन के लिए आते हैं। माताजी की कृपा से मेरे भाई को कनाडा का वीजा मिल गया। मैं यहां हर रविवार को आता हूं। माता जी का इतना आशीर्वाद है कि कोई भी भक्त यहां से खाली हाथ वापस नहीं जाता है।''

एक और श्रद्धालु निहारिका मेहता ने बताया ''हम इस मंदिर में सालों से आ रहे हैं। हम यूके में रहते हैं। जब भी इंडिया आना होता है तो इस मंदिर में जरूर आते हैं। माता जी सबकी मनोकामना पूर्ण करती हैं। मेरी भी सारी इच्छाएं पूर्ण हुई हैं। जब भी में इस मंदिर में आती हूं, तब माता जी से साक्षात्कार होता है।''

मन्नत पूरी होने पर भक्त चढ़ाते हैं चुनरी

मन्नत पूरी होने पर भक्त मां को श्रीफल, चुनरी और प्रसाद आदि चढाकर आभार व्यक्त करते हैं। मंदिर में हर रोज सुखडी और लड्डू का प्रसाद बनाकर मां को अर्पण किया जाता है। मंदिर ट्रस्ट की ओर से भक्तजनों की सुविधा का पूरा ख्याल रखा जाता है। रविवार को यहां खास रसोई घर बनता है। बाहर से आने वाले लोगों के लिए यहां रहने की भी सुविधा है।

वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी यानी की गंगा सप्तमी पर नए मंदिर (Meldi Mata Temple Valasan) में प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। तब से लेकर हर वर्ष इस दिन भव्य पाटोत्सव मनाया जाता है। मां की प्राकट्य तिथि भाद्र माह की शुक्ल नवमी पर भी धूमधाम से उत्सव होता है। हर साल इस दिन यहां मेला लगता है। हर साल नवरात्रि में यहां अनुष्ठान होते हैं। गरबा होता है। अष्टमी पर नवचंडी हवन किया जाता है। दशहरे पर शोभा यात्रा भी निकाली जाती है। इसमें बड़ी संख्या में भक्त जुड़ते हैं क्योंकि भक्तों की अटूट आस्था मां के इस धाम से जुड़ी हुई है।

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