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MahaKumbh 2025: जानिए क्यों इतना खास होता है, बंसत पंचमी का अमृत स्नान...

प्रयागराज में महाकुंभ की धूम जारी है। इस धार्मिक मेले में भाग लेने के लिए दुनियभर से साधु-संतों और श्रद्धालुओं आ रहें है।
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MahaKumbh 2025

Mahakumbh 2025 : प्रयागराज में महाकुंभ की धूम जारी है। दुनिया के सबसे बड़े इस धार्मिक मेले में भाग लेने के लिए दुनियभर से साधु-संतों और श्रद्धालुओं आ रहें है। आस्था और भक्ति के इस पवन मेले में श्रद्धालु संतजन त्रिवेणी संगम में पवित्र जल में डुबकी लगा रहे हैं। बता दें, महाकुंभ में अमृत स्नान का काफी महत्व माना जाता है।

महाकुंभ (mahakumbh 2025) में पहला अमृत स्नान मकर संक्रांति पर हुआ था, जबकि दूसरा अमृत स्नान मौनी अमावस्या के अवसर पर हुआ। लेकिन इस दौरान हुई दुखद घटना से साधू-संतों सहित देशवासी भी काफी आहत हुए थे। बसंत पंचमी के मौके पर भी अमृत स्नान होता है। आइए जानते हैं, बस्नेत पंचमी अमृत स्नान के महत्व के बारे में

बंसत पंचमी अमृत स्नान (Mahakumbh 2025) 

हिंदू पंचांग के अनुसार बंसत पंचमी (basant panchmi) का पर्व माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। इस बार यह 2 फरवरी को सुबह 9:14 बजे से प्रारंभ होगी और 3 फरवरी को प्रातः 6:52 बजे समाप्त होगी। जिसके चलते उदया तिथि के अनुसार बंसत पंचमी का अमृत स्नान 3 फरवरी को किया जाएगा।

क्या होगा अमृत स्नान का शुभ मुहूर्त ?

बंसत पंचमी के दिन अमृत स्नान को लेकर भव्य आयोजन होगा। इस दिन स्नान 3 फरवरी को ब्रह्म मुहूर्त में किया जाएगा। इस दिन पवित्र स्नान का शुभ समय सुबह 05:23 बजे से 06:16 बजे तक रहेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है, संगम में स्नान करने से पुण्य लाभ प्राप्त होता है और समस्त पापों का नाश हो जाता है।

बसंत पंचमी पर अमृत स्नान

बसंत पंचमी के दिन अमृत स्नान का बहुत महत्व होता है। यह दिन ज्ञान, विद्या और बुद्धि की देवी मां सरस्वती के लिए समर्पित माना जाता है। कहा जाता है, इस दिन अमृत स्नान करने से मां सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता का संचार होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ था, इसलिए इस दिन को उनके जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

बंसत पंचमी के दिन विशेष रूप से छात्र और कलाकार मां सरस्वती की पूजा-अर्चना करते हैं। इतना ही जानकारी के अनुसार महाकुंभ में इस अमृत स्न्नान के दौरान करीब 12000 साधुओं को दीक्षा दी जायेगी। जिसके कारण पावन पर्व आध्यात्मिक रूप से समृद्धि प्रदान करने वाला है, और महाकुंभ के अमृत स्नान के साथ इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।

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