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Magh Purnima 2025: माघ पूर्णिमा पर पितरों की पूजा करने से होगी मोक्ष की प्राप्ति

माघ पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन है। यह शुभ दिन माघ महीने के समापन का प्रतीक है।
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Magh Purnima Pitra Puja

Magh Purnima Pitra Puja: माघ पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन है। यह शुभ दिन माघ महीने के समापन का प्रतीक है। यह दिन भगवान विष्णु के उपासकों के लिए पूजनीय होता है। इस दिन लाखों श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान (Magh Purnima 2025) करते हैं। इस वर्ष माघ पूर्णिमा 12 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी।

माघ पूर्णिमा का महत्व

हिंदू ग्रंथों के अनुसार माघी पूर्णिमा (Magh Purnima Significance) पर पवित्र नदी में स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह पवित्र अनुष्ठान अतीत और वर्तमान के पापों को धो देता है। स्नान के बाद, भक्त आध्यात्मिक शुद्धि की कामना करते हुए दान देते हैं। इस दिन भगवान विष्णु और भगवान हनुमान (Magh Purnima Pitra Puja) की पूजा की जाती है और भक्त उनका आशीर्वाद मांगते हैं। ऐसा माना जाता है कि इन देवताओं की पूजा करने वालों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

माघ पूर्णिमा (Magh Purnima Pitra Puja) को आध्यात्मिक और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए एक पवित्र दिन माना जाता है। पौराणिक कथाओं से पता चलता है कि इस महीने के दौरान, देवता स्वर्ग से पृथ्वी पर आते हैं, और गंगा के तट पर निवास करते हैं।

Magh Purnima Pitra Puja: माघ पूर्णिमा पर पितरों की पूजा करने से होगी मोक्ष की प्राप्ति

माघ पूर्णिमा स्नान का शुभ मुहूर्त

माघ पूर्णिमा पर स्नान के लिए कुल चार मुहूर्त हैं।

ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 05:05 बजे से सुबह 05:54 बजे तक
अमृत काल: शाम 05:55 बजे से शाम 07:35 बजे तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:31 बजे से 03:18 बजे तक
निशिता मुहूर्त: 13 फरवरी रात 12:09 बजे से रात 12:58 तक

माघ पूर्णिमा पर पूजा से मिलती है पितरों को मुक्ति

माघ पूर्णिमा का दिन पूर्वजों की पूजा (Pitra Puja on Magh Purnima 2025) के लिए समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पितृ अनुष्ठान करने से भक्तों को आशीर्वाद मिलने के साथ-साथ उन्हें शांति और मोक्ष मिलता है।

Magh Purnima Pitra Puja: माघ पूर्णिमा पर पितरों की पूजा करने से होगी मोक्ष की प्राप्ति

माघ पूर्णिमा के दिन सबसे महत्वपूर्ण प्रथा तर्पण है, जहां तिल मिश्रित जल पितरों को अर्पित किया जाता है। इसके अतिरिक्त, पिंड दान, चावल और जौ की गोलियां चढ़ाने से दिवंगत आत्माओं को मुक्ति प्राप्त करने में मदद मिलती है। भक्त पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, जरूरतमंदों को भोजन और कपड़े दान करते हैं, और पितृ मंत्रों का जाप करते हुए पीपल के पेड़ के नीचे तिल के तेल का दीपक जलाते हैं।

ये अनुष्ठान बाधाओं को दूर करते हैं, समृद्धि लाते हैं और आत्मा को शुद्ध करते हैं। माघ पूर्णिमा (Magh Purnima Pitra Puja) पर पितरों की पूजा करने से भक्त के जीवन में शांति, सद्भाव और सफलता को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ जीवित और दिवंगत के बीच संबंध मजबूत होते हुए उनकी आध्यात्मिक उन्नति सुनिश्चित होती है।

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