Lambhavel Hanuman Temple Anand: लांभवेल वाले हनुमान जी दिलाते हैं वीजा, यहाँ आने पर होती है सभी मन्नत पूरी
Lambhavel Hanuman Temple Anand: वैसे तो, गुजरात में हनुमान जी के अनेक मंदिर हैं, लेकिन आणंद शहर के लांभवेल गांव के हनुमान धाम की बात ही निराली है। ये मंदिर आणंद शहर से लगभग 3 किलोमिटर दूर आणंद-नडियाद मुख्य मार्ग पर स्थित है। मान्यता है कि लांभवेल के हनुमान जी (Lambhavel Hanuman Temple Anand) सदियों से यहां बसे हुए हैं।
मंदिर के विशाल प्रवेश द्वार से जब प्रवेश करते हैं तो मन राममय हो जाता है। यहां की एक शिला पर हनुमान जी को गले लगाए भगवान राम बने हुए हैं। इसमें हनुमान जी की मुस्कुराहट भक्ति की चरम सीमा के साथ मोहकता को बताती है। मंदिर के प्रांगण में एक तरफ कई विशाल वृक्ष हैं, जो भक्तों से बातें करते नजर आते हैं। ये वृक्ष इस स्थान के इतिहास की गवाही देते हैं।
दूसरी तरफ आगे बढ़ने पर भजन मंडलियां नजर आती हैं, जो राम जी और हनुमान जी की भक्ति में मगन रहती हैं। 'राम लक्ष्मण जानकी, जय बोलो हनुमान की' धुन सुनते ही भक्तों के मन में श्रध्दा का सैलाब उमड़ने लगता है। गर्भगृह में हनुमान जी (Lambhavel Hanuman Temple Anand) के दर्शन होते हैं। मंदिर में हनुमान जी के साथ-साथ महादेव और देवी मां भी स्थापित हैं।
यहां आये एक श्रद्धालु मनोहर सिंह परमार का कहना है ''हनुमान जी का यह जो स्वरूप है, उसमें एक तरफ राघवेन्द्र सरकार हैं तो दूसरी तरफ लक्ष्मण जी महाराज हैं। बीच में हनुमान जी (Lambhavel Hanuman Temple Anand) विराजमान हैं। करीबन 900 साल पुराना हनुमान जी का यह स्वंय-भू स्वरूप है। यहां शनिवार और मंगलवार को ज्यादा भक्त आते हैं। यहां नरक चतुर्दशी के दिन विशेष भीड़ होती है। हनुमान जी के समक्ष कोई भी संकल्प शुद्ध भाव से लिया जाए तो वो पूर्ण होता है। सनातन धर्म में आठ चिरंजीवी हैं, उनमें से ही एक हनुमान जी यहां हैं।''
कब हुई थी मंदिर की स्थापना
इस मंदिर की स्थापना विक्रम संवत 1579 में श्रावण शुक्ल पक्ष की अष्टमी को हुई थी। मंदिर के साथ जुडी कथा भी काफी प्रसिद्ध है। माना जाता है की खुद हनुमान जी के संकेत से यहां उनकी स्थापना हुई है।
इस संबंध में यहां के पुजारी विजयकुमार जोशी का कहना है ''यह मंदिर 500 साल पुराना है। जानकारी के अनुसार, लांभु नाम का एक ग्वाला यहां गाय चराने आता था। उसकी एक गाय का दूध रोजाना एक तय जगह पर गिर जाता था। इसके बाद ग्वाले को स्वप्न में उस जगह पर खुदाई कराने का आदेश मिला। बाद में जब उस जगह की खुदाई हुई तो वहां से हनुमान महाराज स्वयं प्रकट हुए। यहां नगर यात्रा का आयोजन होता है। यहां स्वंयभू हनुमान हैं, पर मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा सावन महीने के अष्टमी के दिन की गई थी। इसीलिए यहां हर साल सावन माह के अष्टमी के दिन भंडारे का आयोजन किया जाता है।''
हनुमान जी की कृपा से मिल जाता है वीजा
यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि हनुमान जी की कृपा रहती है तो कोई भी कष्ट या मुसीबत जीवन में ज्यादा दिन नहीं टिकते हैं। इस मंदिर में विदेश जाने वाले लोग भी रामभक्त हनुमान का आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं। भक्तों का कहना है कि हनुमान जी के आर्शिवाद से वीजा जल्दी मिल जाता है। मंदिर की प्रसिद्धि यहां होने वाले सेवा कार्यो से भी बढी है। इन सेवा कार्यो में हनुमान जी के अनुग्रह का अनुभव होता है।
पुजारी विजयकुमार जोशी का कहना है ''गांव के आठ स्कूलों के बच्चों को नि:शुल्क भोजन करवाया जाता है। बच्चों को प्रसादी के रूप में कुछ उपहार भी दिए जाते हैं। जिनके काम नहीं बनते हैं, वो लोग यहां आते हैं। मन्नत रखते हैं। जिनके विदेश जाने के लिए वीजा नहीं हो रहे होते हैं, वो लोग यहां पासपोर्ट और फाइल लेकर यहां आते हैं। वो हम हनुमान जी को अर्पण करते हैं। फिर वो फाइल लोग एम्बेसी में लगाते हैं। श्रद्धा भाव के कारण लोगों के काम बन जाते हैं।''
यहाँ दर्शन करने आये एक श्रद्धालु गायत्री पारेख ने बताया ''बचपन से परिवार वाले यहां आते थे। हमारे संकट हनुमान जी दूर करते हैं। उसी आस्था से अच्छे काम की शुरुआत भी भगवान के चरणों में वंदन से करते हैं। वहीँ एक अन्य श्रद्धालु विनय भट्ट ने बताया ''मैं हर शनिवार और मंगलवार हनुमान जी के दर्शन करके जीवन में काफी शांति का अनुभव करता हूं। मेरे सभी काम हनुमान जी महाराज पूर्ण कर देते हैं। ''
मंदिर का जल्द ही होगा विकास
लांभवेल में स्वंयभू प्रकट हुए हनुमानजी के मंदिर को 500 साल पूरे होने पर ट्रस्टी मंडल ने आस्था के इस स्थान को विकसित करने का निर्णय लिया था। इस मंदिर के विकास के लिए 31 करोड़ रूपए रखे गए हैं। इससे मंदिर का नवनिर्माण होगा। भक्त जन खुश हैं कि उनकी श्रद्धा का स्थान अब बड़ा आकार लेगा। मंदिर का स्वर्ण जड़ित शिखर, मंदिर की कीर्ति का प्रचार करता नज़र आता है। हनुमान जी के इस मंदिर की महिमा सुन कर दूर-दूर से लोग यहां दर्शन करने आते हैं।
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