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Kedareshwar Mahadev Temple Porbandar: सुदामा के समय का है केदारेश्वर महादेव मंदिर, कुंड के जल का है बहुत महत्व

03:39 PM May 02, 2024 IST | Preeti Sam
Kedareshwar Mahadev Temple Porbandar (Image Credit: Rajasthan First)

Kedareshwar Mahadev Temple Porbandar: पोरबंदर शहर, जो सुदामापुरी के नाम से भी जाना जाता है, में अनेक पौराणिक मंदिर (Kedareshwar Mahadev Temple Porbandar) हैं। ऐसा ही एक मंदिर है केदारेश्वर महादेव। यह मंदिर अपने आप में हजारों साल का इतिहास समेटे हुए है। बताया जाता है कि यह मंदिर भगवान कृष्ण के मित्र सुदामा के समय का है।

मंदिर में स्थापित विशाल स्वयंभू शिवलिंग के दर्शन करने भक्तगण दूर-दूर से आस्था की डोर के सहारे खिंचे चले आते है। इस मंदिर (Kedareshwar Mahadev Temple Porbandar) में शिवलिंग के साथ-साथ अन्य देवी देवताओं का भी निवास है। मंदिर के परिसर में गणेश जी का मंदिर, हनुमान जी का मंदिर एवं कार्तिकेय जी का भी छोटा मंदिर है। यहां केदारेश्वर मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं।

कौन कर सकता है गर्भ गृह में प्रवेश

सालों से यहां परंपरा रही है की सिर्फ धोती धारी ब्राह्मण को ही पूजा के लिए मंदिर (Kedareshwar Mahadev Temple Porbandar) के गर्भ गृह में प्रवेश मिलेगा। केदारेश्वर मंदिर के पुजारी हिरेनभाई जोशी का कहना है ''यहां पहला नियम यह है कि धोती पहनकर ही मंदिर में पूजा की जा सकती है। पुजारी परिवार की बहन-बेटियां भी मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश नहीं कर सकती हैं। पोरबंदर के राजा राणा साहेब बापू के समय से यह प्रथा चली आ रही है। इस मंदिर के गर्भ गृह में पैसे देकर भी प्रवेश नहीं मिलता है।''

जो भक्त गर्भ गृह में प्रवेश नहीं कर पाते हैं उनको भी शिव पूजा का लाभ मिल सके इसके लिए गर्भ गृह के पास ही एक अन्य शिवलिंग स्थापित किया गया है। जहां सुबह शाम भक्तगण अभिषेक और पूजा करते है। पोरबंदर में सुदामा के मंदिर और केदारेश्वर मंदिर (Kedareshwar Mahadev Temple Porbandar) के शिखर और ध्वजा एक समान ऊंचाई पर स्थित हैं। इससे यह बात स्पष्ट होती है कि सुदामा की इस नगरी में केदारेश्वर मंदिर का कितना महत्व है। इसके पीछे शायद एक अन्य मान्यता यह भी है कि केदारेश्वर मंदिर पोरबंदर का प्रथम शैव मंदिर है।

केदारेश्वर मंदिर (Kedareshwar Mahadev Temple Porbandar) के पुजारी हिरेनभाई जोशी का कहना है ''श्री सुदामा जी के मंदिर का शिखर और केदारेश्वर महादेव मंदिर का शिखर एक ही समान हैं। दोनों ध्वज एक ही ऊंचाई पर फहरते हैं।''

मंदिर समेटे हुए है सदियों का इतिहास

पौराणिक माना जाने वाला यह मंदिर अपने आप में सदियों का इतिहास समेटे हुए है। इस मंदिर के साथ एक रोचक पुराण कालीन कथा जुड़ी हुई है। किवदंतियों के अनुसार खुद सुदामा केदारनाथ (Kedareshwar Mahadev Temple Porbandar) को यहां लेकर आए थे। कहा जाता है कि श्री कृष्ण के सखा सुदामा ने अपनी भक्ति से केदारनाथ को प्रसन्न कर पोरबंदर में निवास कर लोक कल्याण करने की विनती की थी। जिसे मान कर शिवजी यहां स्थापित हुए।

स्थानीय कलाकार बकुलभाई भट्ट का मानना है ''भगवान की सात पुरी हैं किन्तु आठवीं पुरी है सुदामापुरी। सुदामा जी के पिता केदारनाथ जाते थे। बाद में वृद्धावस्था के कारण वे वहां जाने में असमर्थ हो गए। फिर उन्होंने सुदामा जी को आदेश दिया कि वे केदारनाथ जाएं। सुदामा जी ने केदारनाथ जाकर पांच रात्रि तक पूजन किया। उनके पूजन से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने वरदान मांगने को कहा। सुदामा ने शिव जी से अनुरोध किया की वो पोरबंदर में पधारे। फिर केदारनाथ जी ने सुदामा जी से कहा कि वे आगे-आगे चलें और मैं पीछे-पीछे चलता हूँ। जहां भी वो पीछे मुड़कर देखेंगे वो उसी स्थान पर प्रतिष्ठित हो जाएंगे। यह मंदिर द्वापर युग का मंदिर माना जाता है।''

मंदिर स्थित कुंड का है बहुत महत्व

पौराणिक संबंध हो या फिर कोई अन्य कारण, इस मंदिर के प्रति भक्तों के अंदर बहुत आस्था है। यहा भक्त नंदीश्वर को प्रणाम कर उनकी दृष्टि से शिवजी को निहारते हैं। नंदीश्वर धर्म के प्रतीक हैं। इसलिए देखा जाए तो धर्म की दृष्टि से भक्तगण शिव को नजरो में बसाते हैं और नतमस्तक होते हैं। यहां मंदिर परिसर में ही केदारेश्वर कुंड (Kedareshwar Mahadev Temple Porbandar) के नाम से एक प्राचीन कुंड है, जो बहुत प्रसिद्ध है। इस कुंड का जल भक्तों के लिए गंगा जल के समान है। यहां के मछुआरे और व्यापारी शुभ कार्य में गंगा जल के स्थान पर इसी कुंड के जल का उपयोग करते है। खारवा समाज के लोग चैत्र नवरात्रि में गोरमा पूजन करके इसी कुंड में उसका विसर्जन करते हैं। इतना ही नहीं, पौराणिक कथा में वर्णित इस कुंड को भक्तगण चमत्कारिक मानते है।

मंदिर के पुजारी हिरेनभाई जोशी ने बताया ''इस मंदिर के अंदर केदारेश्वर महादेव कुंड है। इसकी महिमा कुछ ऐसी है कि सुदामा जी ने शिव जी के साथ कुंड में स्नान किया था और आज भी सुबह 4 से 5 बजे के आस-पास कुंड से स्नान करने की आवाज सुनाई देती है। आज भी भगवान के चमत्कार को महसूस किया जा सकता है।''

भक्तों के लिए कलयुग में चमत्कार का स्थान है पोरबंदर का यह केदारेश्वर मंदिर। यह मंदिर शहर के किर्ति मंदिर के नजदीक मुख्य बाजार में स्थित है। इस क्षेत्र के व्यापारी केदारेश्वर महादेव (Kedareshwar Mahadev Temple Porbandar) के प्रति अटूट आस्था रखते हैं। यहाँ पर अनगिनत लोग इस स्तुति गान

''जय केदार उदार शंकर, भव भयंकर दु:ख हरम्
गौरी, गणपति, स्कन्द, नन्दी, श्री केदार नमाम्यहम्॥'' के साथ केदारेश्वर महादेव के दर्शन करने के बाद ही अपना कामकाज शुरु करते है।

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