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Jivitputrika Vrat Katha: कौन हैं जीमूतवाहन भगवान जिनकी जितिया व्रत में होती है पूजा, जानिये व्रत कथा से

Jivitputrika Vrat Katha: जीवित्पुत्रिका, जिसे जितिया के नाम से भी जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो माताओं द्वारा अपने बच्चों की भलाई और लंबी उम्र के लिए मनाया जाता है। मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर...
01:29 PM Sep 21, 2024 IST | Preeti Mishra

Jivitputrika Vrat Katha: जीवित्पुत्रिका, जिसे जितिया के नाम से भी जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो माताओं द्वारा अपने बच्चों की भलाई और लंबी उम्र के लिए मनाया जाता है। मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश राज्यों के साथ-साथ नेपाल के कुछ हिस्सों में मनाए जाने वाले इस त्योहार (Jivitputrika Vrat Katha) में एक कठोर उपवास शामिल होता है, जहां माताएं 24 घंटे तक भोजन और पानी से दूर रहती हैं।

जीवित्पुत्रिका (Jivitputrika Vrat Katha) आश्विन महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को पड़ती है। यह व्रत अपने बच्चों के प्रति माताओं की भक्ति का प्रतीक है और बच्चों के स्वास्थ्य, समृद्धि और दीर्घायु के लिए भगवान जीमूतवाहन से प्रार्थना की जाती है।

जितिया व्रत तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 24 सितंबर 2024 को दोपहर 12:38 बजे शुरू होगी और 25 सितंबर 2024 को दोपहर 12:10 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, जितिया व्रत 25 सितंबर को मनाया जाएगा। इस दिन उपवास अनुष्ठान और पूजा शाम 4:43 बजे से शाम 6:14 बजे के बीच की जाएगी।

जितिया व्रत कैसे मनाया जाता है?

जितिया व्रत को छठ की तरह ही चुनौतीपूर्ण माना जाता है। व्रत के पहले दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले स्नान करती हैं और पूजा करने के बाद अपना व्रत शुरू करती हैं। प्रारंभिक प्रार्थना और भोजन के बाद, वे पूरे दिन बिना पानी पिए उपवास करती हैं, भगवान जीमूतवाहन की पूजा करती हैं और आवश्यक अनुष्ठान करने के बाद अगले दिन पारण होता है।

जितिया व्रत कथा

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, एक बार जीमूतवाहन नाम का एक राजा था जो दयालु और विनम्र था। न तो उन्हें सांसारिक सुखों से मोह था और न ही वे खुश थे इसलिए उन्होंने अपना राज्य अपने भाइयों को दे दिया और जंगल में चले गए। जंगल में पहुंचकर उन्होंने देखा कि एक स्त्री बुरी तरह रो रही है। उनके बहुत बार पूछने के बाद उसने राजा को सारी बात बता दी कि वह एक सांप परिवार से है और वहां पक्षीराज गरुड़ को भोजन कराने की प्रथा है और अब उसकी बारी थी कि वह अपने बच्चे को भोजन के रूप में उन्हें दे। सब कुछ जानने के बाद राजा ने उसका बच्चा उसे वापस देने का वादा किया। उन्होंने योजना बनाई और खुद को एक कपड़े से ढक कर गरुड़ के सामने पेश किया।

जब गरुड़ उन्हें निगलने ही वाला था तो उनकी आंखों में कोई डर नहीं था। फिर गरुण रुका और उसने राजा से उनकी असली पहचान के बारे में पूछा। दयालु राजा जीमूतवाहन ने अपने बारे में सब कुछ बता दिया। उनके निस्वार्थ व्यवहार और मानवता को देखकर गरुड़ बहुत प्रभावित हुए। जीमूतवाहन ने उनसे सर्प परिवारों से बलि न लेने का वादा किया। सभी नागवंश बहुत खुश हुए और राजा को सुख, धन, अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद दिया।

जितिया व्रत पूजा अनुष्ठान

- महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं।
- वे घर विशेषकर पूजा कक्ष की सफाई करती हैं।
- व्रत का अनुष्ठान सुबह जल्दी शुरू हो जाता है।
- भगवान सूर्य को जल अर्पित करें।
- भक्त देसी घी का दीया जलाकर जीमूतवाहन भगवान की मूर्ति की पूजा करते हैं और अक्षत, फूल, केले के पत्ते और अन्य प्रसाद चढ़ाते हैं।
- संतान की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए जितिया व्रत कथा का पाठ करें।
- यह 24 घंटे का व्रत है इसलिए भक्त अगली सुबह भगवान सूर्य को प्रार्थना और जल चढ़ाने के बाद अपना उपवास तोड़ सकते हैं।

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