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Jivitputrika Vrat 2024 Time: जीवित्पुत्रिका व्रत बुधवार को, शाम इतने बजे तक ही है पूजा का मुहूर्त

Jivitputrika Vrat 2024 Time: इस वर्ष जीवित्पुत्रिका व्रत बुधवार 25 सितम्बर को मनाया जाएगा। महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पं राकेश पाण्डेय ने बताया कि यह व्रत (Jivitputrika Vrat 2024 Time) आश्विन कृष्ण प्रदोष व्यापिनी अष्टमी तिथि को किया...
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Jivitputrika Vrat 2024 Time: इस वर्ष जीवित्पुत्रिका व्रत बुधवार 25 सितम्बर को मनाया जाएगा। महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पं राकेश पाण्डेय ने बताया कि यह व्रत (Jivitputrika Vrat 2024 Time) आश्विन कृष्ण प्रदोष व्यापिनी अष्टमी तिथि को किया जाता है।

निर्णयसिंधु के अनुसार "पूर्वेद्युरपरेद्युर्वा प्रदोषे यत्र चाष्टमी तत्र पूज्यः सनारीभि: राजा जीमूतवाहन:" अतः अपराह्ण व प्रदोष काल में अष्टमी तिथि मिलने के कारण जीवित्पुत्रिका व्रत (Jivitputrika Vrat 2024 Time) बुधवार को ही करना श्रेष्ठकर होगा।

जीवित्पुत्रिका व्रत पूजा मुहूर्त

जीवित्पुत्रिका व्रत (Jivitputrika Vrat 2024 Time) पूजन मुहूर्त सायं 03:30 से 5 बजे तक ही है। इस दिन आर्द्रा नक्षत्र के साथ साथ वरीयान योग भी है। यह व्रत स्त्रियां अपने संतान की रक्षा के लिए इस व्रत को करती है। इस व्रत में एक दिन पहले ब्रह्ममुहूर्त में जल, अन्न व फल ग्रहण करके दूसरे दिन अष्टमी तिथि में पूरे दिन व रात निर्जला व्रत किया जाता है। सायं काल में राजा जीमूतवाहन की कुशा से निर्मित प्रतिमा को जल, चन्दन, पुष्प, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित किया जाता है और फिर पूजा किया जाता है। इसके साथ ही मिट्टी तथा गाय के गोबर से चील व सियारिन की प्रतिमा बनाई जाती है! जिसके माथे पर लाल सिन्दूर का टीका लगाया जाता है।

                                                                                                        ज्योतिषाचार्य पं राकेश पाण्डेय
संतान के लिए माताएं करती हैं यह व्रत

पूजन के पश्चात जीवित्पुत्रिका व्रत (Jivitputrika Vrat 2024 Time) की कथा सुनी जाती है। संतान की दीर्घायु: व आरोग्य तथा कल्याण की कामना से स्त्रियां इस व्रत को करती है। कहते है जो महिलाएं निष्ठा पूर्वक विधि-विधान से पूजन के पश्चात कथा सुनकर ब्राह्माण को दान-दक्षिणा देती है, उन्हें संतान (Jivitputrika Vrat 2024 Time) सुख व उनकी समृद्धि प्राप्त होती है। अपने संतान के दीर्घायु होने की कामना करते हुए स्त्रियां बड़ी निष्ठा और श्रद्धा से इस व्रत को पूरा करती हैँ।।

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