Jagannath Rath Yatra: भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा का आज है दूसरा दिन, जानिए क्यों होता है यह दिन खास
Jagannath Rath Yatra: ओडिशा के पूरी में भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra) का आज दूसरा दिन है। बता दें की विश्व प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा रव्विअर 7 जुलाई को शुरू हुई थी। रविवार शाम 5 बजे तमाम अनुष्ठानों के बात रथों को खींचना शुरू हुआ था। परंपराओं के अनुसार, सूर्यास्त के बाद रथों को खींचना बंद कर दिया जाता है इसलिए रविवार को सूर्यास्त के बाद तीनों देवताओं के रथों को अलग-अलग स्थानों पर रोक दिया गया।
क्यों खास है रथ यात्रा का दूसरा दिन
आज रथ यात्रा का दूसरा दिन है। इस मौके पर पूरी की सड़कों पर लाखों भक्त रथ(Jagannath Rath Yatra) को खींचने के लिए एकत्रित हुए हैं। आज तीनों देवी-देवताओं को पूरी के गुंडिचा मंदिर मंदिर ले जाया जाएगा। दूसरे दिन देवताओं द्वारा जगन्नाथ मंदिर से अपनी यात्रा के बाद गुंडिचा मंदिर में विश्राम किया जाता है। इस दिन को "गुंडिचा मार्जाना" के नाम से जाना जाता है, जिसमें देवताओं के प्रवास की तैयारी के लिए गुंडिचा मंदिर की सफाई और शुद्धिकरण किया जाता है। भक्त मंदिर में पूजा-अर्चना करने और आशीर्वाद लेने आते हैं, जिससे एक जीवंत और भक्तिमय माहौल बन जाता है।
रथ यात्रा के दौरान अनुष्ठान
पुरी रथ यात्रा कार्यक्रम, जिसे "रथ प्रतिष्ठा" के रूप में भी जाना जाता है, अद्वितीय प्रार्थनाओं और रीति-रिवाजों के माध्यम से देवताओं के आह्वान के साथ शुरू होता है। सुभद्रा, भगवान जगन्नाथ और बलभद्र, तीन प्रमुख देवता, फिर अपने अलग-अलग रथों में विराजमान होते हैं। इसके बाद विस्तृत रूप से सजाए गए रथ, जिन्हें "बदादंडा" कहा जाता है, पुरी की सड़कों पर खींचे जाते हैं। इस समारोह का सबसे रोमांचक पहलू "रथ ताना" या रथों को खींचना है। देश भर से धर्मपरायण लोग भगवान के रथ को खींचने की सच्ची इच्छा के साथ आते हैं क्योंकि यह एक अत्यंत पूजनीय कार्य है।
तंबूरा, तुरही या ढोल पर बजाई जाने वाली धार्मिक धुनों की धुन पर, रंगीन जुलूस आगे बढ़ता है। भक्त अपने भगवान के दर्शन पाने की आशा में पुरी की सड़कों पर उमड़ पड़ते हैं। अंत में जुलूस गुंडिचा मंदिर पहुंचता है।
53 वर्ष बाद बना था इस बार अनुष्ठान का अनूठा संयोग
इस वर्ष, 53 वर्षों के बाद रथ यात्रा के समय तीन अनुष्ठानों का अनूठा संयोग बना था। 1971 के बाद पहली बार तीन अनुष्ठान- रथ यात्रा, नेत्र उत्सव और नबजौबाना दर्शन सभी कुछ 7 जुलाई को एक साथ ही संपन्न हुए। बता दें कि सात जुलाई को रथ यात्रा शुरू होने से पहले ये अनुष्ठान किए गए। आषाढ़ महीने में शुक्ल पक्ष का दूसरा दिन वह दिन होता है जब पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा मनाई जाती है। पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा 2024 शांति, सद्भाव और भाईचारे का प्रतिनिधित्व करती है। हर साल हजारों तीर्थयात्री, पर्यटक और भक्त रथ यात्रा में भाग लेने और रथ खींचकर अपना सौभाग्य बढ़ाने के लिए पुरी, ओडिशा जाते हैं। इसके अतिरिक्त, ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति रथ यात्रा में भाग लेते हैं उन्हें अत्यधिक आनंद और सफलता का अनुभव होता है।
कैसा होता है रथ
रथ यात्रा में शामिल होने वाले तीनों रथों को बड़े ही विस्तृत तरीके से सजाय जाता हैं। तीन रथों में से सबसे बड़ा रथ भगवान जगन्नाथ का होता है। इसमें 16 विशाल पहिये होते हैं और इसकी ऊंचाई 44 फीट होती है। भगवान बलभद्र के रथ में 14 पहिए होते हैं और वह 43 फीट लंबा होता है, जबकि देवी सुभद्रा का रथ 12 पहियों के साथ 42 फीट लंबा होता है। रथ यात्रा का समापन 16 जुलाई को होगा।
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