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Hartalika Teej 2024: क्या होता है हरतालिका का अर्थ? जानें इस दिन का महत्व और पूजा विधि

Hartalika Teej 2024: हरतालिका तीज व्रत भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। यह त्योहार मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड और राजस्थान में मनाया जाता है। इस दिन (Hartalika Teej 2024) महिलाएं...
11:10 AM Aug 12, 2024 IST | Preeti Mishra

Hartalika Teej 2024: हरतालिका तीज व्रत भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। यह त्योहार मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड और राजस्थान में मनाया जाता है। इस दिन (Hartalika Teej 2024) महिलाएं भगवान शिव व माता पार्वती की रेत के द्वारा बनाई गई मूर्तियों को पूजती हैं व सुखी वैवाहिक जीवन तथा संतान की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करती हैं। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की सलामती और लंबी उम्र के लिए बिना पानी के कठोर व्रत रखती हैं।

क्या अर्थ है हरतालिका का?

'हरतालिका तीज' (Hartalika Teej 2024) नाम की उत्पत्ति इस त्योहार से जुड़ी एक पौराणिक कथा से हुई है। 'हरतालिका' 'हरत' (अपहरण) और 'आलिका' (महिला मित्र) का मिश्रण है। कहानी के अनुसार, देवी पार्वती की एक प्रिय मित्र उनका अपहरण कर जंगल में ले गयीं क्योंकि देवी पार्वती के पिता उनका विवाह उनकी इच्छा के विरुद्ध भगवान विष्णु से करना चाह रहे थे। जंगल में ही देवी पार्वती ने तपस्या कर भगवान शिव को प्राप्त किया।

हरतालिका तीज कब है?

हरितालिका तीज शुक्रवार, सितम्बर 6, 2024 को मनाया जाएगा। हरतालिका पूजा के लिए सुबह का समय उचित माना गया है। यदि किसी कारणवश प्रातःकाल पूजा कर पाना संभव नहीं है है तो प्रदोषकाल में शिव-पार्वती की पूजा की जा सकती है। प्रातःकाल हरितालिका पूजा मुहूर्त सुबह 06:15 से 08:40 के बीच लगभग 02 घण्टे 25 मिनट्स तक का है।

तृतीया तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 05, 2024 को 10:51 बजे
तृतीया तिथि समाप्त - सितम्बर 06, 2024 को 13:31 बजे

हरतालिका तीज का महत्व

हरतालिका तीज व्रत, जिसे हस्तगौरी व्रत भी कहा जाता है, का पालन समृद्धि लाने वाला माना जाता है। भक्तों को भगवान शिव और देवी पार्वती का आशीर्वाद मिलता है, जो उनके पतियों को लंबी आयु, प्रसिद्धि और सम्मान प्रदान करता है। अविवाहित लड़कियां भी अच्छे पति की कामना के लिए यह व्रत रखती हैं।

हरतालिका तीज व्रत पूजा विधि

- हरतालिका तीज के दिन सूर्योदय से निर्जला व्रत रखने का संकल्प लें।
- पूजा की तैयारी में पूरा दिन बिताएं, सभी आवश्यक सामग्रियां जुटाएं।
- शाम के समय 16 श्रृंगार करके दुल्हन की तरह तैयार हो जाएं और पूजा के लिए रेत या मिट्टी से भगवान शिव और देवी पार्वती की अस्थायी मूर्तियां तैयार करें।
- भगवान शिव को बेलपत्र और माता पार्वती को श्रृंगार का सामान चढ़ाएं।
- पूरी रात चार चरणों में भगवान शिव की पूजा और आरती करें।
- अगली सुबह देवी पार्वती से आशीर्वाद लेकर व्रत का समापन करें।

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