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Haryali Teej 2024: हरियाली तीज में इन मंत्रो के साथ करें भगवान शिव की आराधना, मिलेगा आशीर्वाद

Haryali Teej 2024: हरियाली तीज( Haryali Teej 2024) विवाहित महिलाओं के लिए विशेष महत्त्व वाला त्योहार है। हरियाली तीज में विवाहित महिलाएं अपने पतियों की भलाई और उनके दीर्घायु होने के लिए प्रार्थना करती हैं। इस व्रत को अविवाहित लड़कियां...
04:44 PM Aug 01, 2024 IST | Preeti Mishra

Haryali Teej 2024: हरियाली तीज( Haryali Teej 2024) विवाहित महिलाओं के लिए विशेष महत्त्व वाला त्योहार है। हरियाली तीज में विवाहित महिलाएं अपने पतियों की भलाई और उनके दीर्घायु होने के लिए प्रार्थना करती हैं। इस व्रत को अविवाहित लड़कियां भी एक अच्छे साथी जीवन साथ की कामना रखते हुए करती हैं। हरियाली तीज सांस्कृतिक परंपराओं के साथ पारिवारिक संबंधों को भी मजबूत करती है। इस वर्ष हरियाली तीज 7 अगस्त बुधवार को मनाई जाएगी।

श्रावणी तीज ( Haryali Teej 2024) के नाम से भी जाना जाने वाला यह व्रत सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन पड़ता है। मान्यताओं के अनुसार यह त्योहार देवी पार्वती और भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन महिलाएं अपने पतियों की मंगल कामना के लिए व्रत रखती हैं।

हरियाली तीज का महत्त्व

हरियाली तीज ( Haryali Teej 2024) विवाहित महिलाओं के लिए बहुत महत्व रखती है। यह त्योहार देवी पार्वती और भगवान शिव के मिलन का साक्षी है, जो वैवाहिक आनंद और भक्ति का प्रतीक है। इस दिन महिलाएं अपने पति की सलामती और वैवाहिक सुख के लिए आशीर्वाद मांगने के लिए व्रत रखती हैं, हरे कपड़े पहनती हैं और मेहंदी लगाती हैं। यह त्यौहार प्रकृति के पुनर्जीवन का भी रूप है, जो मानसून के आगमन और उसके द्वारा लाई गई समृद्धि का प्रतीक है। पारंपरिक गीतों, नृत्यों और अनुष्ठानों के माध्यम से, हरियाली तीज सामुदायिक बंधन को बढ़ावा देती है, सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करती है और वैवाहिक भक्ति और पारिवारिक सद्भाव के महत्व पर जोर देती है।

हरियाली तीज की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार शिव जी माता पार्वती को अपना पूर्व जन्म याद दिलाते हुए कहते हैं कि हे पार्वती ! तुमने मुझे पति के रूप में पाने के लिए वर्षों तक कठोर तप किया। अन्न और जल का भी त्याग कर दिया और सर्दी, गर्मी, बरसात जैसे मौसम की भी कोई फिक्र नहीं की। उसके बाद तुम्हें वर के रूप में मैं प्राप्त हुआ।

महादेव कथा सुनाते हुए कहते हैं कि हे पार्वती ! एक बार नारद मुनि तुम्हारे घर पधारे और उन्होंने तुम्हारे पिता से कहा कि मैं विष्णु जी के भेजने पर यहां आया हूं। भगवान विष्णु स्वयं आपकी तेजस्वी कन्या पार्वती से विवाह करना चाहते हैं। नारद मुनि की बात सुनकर पर्वतराज बेहद प्रसन्न हुए और उन्होंने शादी के इस प्रस्ताव को तुरंत स्वीकार कर लिया। लेकिन जब तुम्हारे पिता पर्वतराज ने ये बात तुम्हें बताई तो तुम बहुत दुखी हुईं।

भोलेनाथ कथा सुनाते हुए आगे कहते हैं कि जब तुमने अपनी सखी को यह बात बताई तो उसने घनघोर जंगल में तुम्हें तप करने की सलाह दी। सखी की बात मानकर तुम मुझे पति के रूप में प्राप्त करने के लिए जंगल में एक गुफा के अंदर रेत की शिवलिंग बनाकर तप करने लगीं। शिवजी माता पार्वती से आगे कहते हैं कि तुम्हारे पिता पर्वतराज ने तुम्हारी खोज में धरती और पाताल एक कर दिया, लेकिन तुम्हें ढूंढ नहीं पाए। तुम गुफा में सच्चे मन से तप करने में लगी रहीं। सावन मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर प्रसन्न होकर मैंने तुम्हें दर्शन दिए और तुम्हारी मनोकामना को पूरा करने का वचन देते हुए तुम्हें पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। इसके बाद तुम्हारे पिता भी ढूंढते हुए गुफा तक पहुंच गए। तुमने अपने पिता से कहा कि मैं आपके साथ तभी चलूंगी, जब आप मेरा विवाह शिव के साथ करवाएंगे।

तुम्हारी हठ के आगे पिता की एक न चली और उन्होंने ये विवाह करवाने के लिए हामी भर दी। शिव जी आगे कहते हैं कि श्रावण तीज के दिन तुम्हारी इच्छा पूरी हुई और तुम्हारे कठोर तप की वजह से ही हमारा विवाह संभव हो सका। शिव जी ने कहा कि जो भी महिला श्रावणी तीज पर व्रत रखेगी, विधि विधान से पूजा करेगी, तुम्हारी इस कथा का पाठ सुनेगी या पढ़ेगी, उसके वैवाहिक जीवन के सारे संकट दूर होंगे और उसकी मनोकामना मैं जरूर पूरी करूंगा।

हरियाली तीज में पढ़ें ये मंत्र

हरियाली तीज ( Haryali Teej 2024) के दौरान, भक्त भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए विशिष्ट मंत्रों का उपयोग करके उनकी पूजा करते हैं। इन मंत्रों का भक्तिपूर्वक जाप करने से शांति, समृद्धि और वैवाहिक आनंद मिल सकता है।

"ओम नमः शिवाय" - भगवान शिव का सम्मान करने के लिए एक सार्वभौमिक मंत्र।
"महामृत्युंजय मंत्र" - "ओम त्र्यंबकम यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम, उर्वारुकमिव बंधनान मृत्योर् मोक्षीय मामृतात्" - स्वास्थ्य और मुक्ति के लिए।
"शिव गायत्री मंत्र" - "ओम तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्" - आध्यात्मिक जागृति और आशीर्वाद के लिए।
इन मंत्रों का ईमानदारी से जाप करने से आध्यात्मिक संबंध और दैवीय कृपा बढ़ती है।

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