Ganesh Chaturthi 2024: आज मनाई जा रही है गणेश चतुर्थी, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और उपासना विधि
Ganesh Chaturthi 2024: गणेश चतुर्थी ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य के देवता भगवान गणेश के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह मान्यता है कि भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष के दौरान भगवान गणेश का जन्म हुआ था। यह त्योहार घरों और सार्वजनिक स्थानों पर गणेश मूर्तियों की स्थापना के साथ शुरू होकर दस दिनों तक चलता है। गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2024) जलाशयों में भगवान गणेश की मूर्तियों के विसर्जन के साथ समाप्त होता है। गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी और गणेश चौथ के नाम से भी जाना जाता है।
आज मनाई जा रही है गणेश चतुर्थी
देश भर में धूम धाम से आज गणेश चतुर्थी मनाई जा रही है। आज मध्याह्न गणेश पूजा का मुहूर्त 11:04 से 13:28 बजे तक रहेगा। कुल 02 घण्टे 25 मिनट्स तक पूजा का मुहूर्त रहेगा। गणेश चतुर्थी का उत्सव 10 दिन के बाद, अनन्त चतुर्दशी के दिन समाप्त होता है और यह दिन गणेश विसर्जन के नाम से जाना जाता है। इस बार गणेश विसर्जन मंगलवार, 17 सितम्बर को होगा।
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 06, 2024 को 13:31 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त - सितम्बर 07, 2024 को 16:07 बजे
गणेश चतुर्थी का महत्व
गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2024) का बहुत महत्व है क्योंकि यह भगवान गणेश के जन्म का जश्न मनाता है, जो ज्ञान, समृद्धि और बाधाओं को दूर करने का प्रतीक है। यह सार्वजनिक समारोहों और विस्तृत अनुष्ठानों के माध्यम से सामुदायिक एकता और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देता है। यह त्यौहार भक्ति पर जोर देता है। अंत में गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन जन्म, जीवन और विघटन के चक्र का प्रतीक है, जो वैराग्य और आध्यात्मिक विकास के महत्व को सिखाता है।
गणेश चतुर्थी के दिन पूजा विधि
द्रिक पंचांग के अनुसार, गणेश-चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की सोलह उपचारों से वैदिक मन्त्रों के जापों के साथ पूजा की जाती है। भगवान की सोलह उपचारों से की जाने वाली पूजा को षोडशोपचार पूजा कहते हैं। भगवान गणेश को प्रातःकाल, दोपहर और शाम मध्याह्न किसी भी समय पूजा जा सकता है। हालांकि, गणेश-चतुर्थी के दिन मध्याह्न का समय गणेश-पूजा के लिये सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
गणेश-पूजा के समय किये जाने वाले सम्पूर्ण उपचारों को नीचे सम्मिलित किया गया है। इन उपचारों में षोडशोपचार पूजा के सभी सोलह उपचार भी शामिल हैं। दीप-प्रज्वलन और संकल्प, पूजा प्रारम्भ होने से पूर्व किये जाते हैं। अतः दीप-प्रज्वलन और संकल्प षोडशोपचार पूजा के सोलह उपचारों में सम्मिलित नहीं होते हैं।
- सर्वप्रथम भगवान गणेश का आवाहन करें।
- आवाहन के पश्चात् भगवान गणेश की मूर्ति में प्राण-प्रतिष्ठा करें।
- आवाहन एवं प्रतिष्ठापन के पश्चात्, भगवान गणेश को आसन के लिये पांच पुष्प अञ्जलि में लेकर अपने सामने छोड़े।
- आसन समर्पण के पश्चात् भगवान गणेश को चरण धोने हेतु जल समर्पित करें।
- पाद्य समर्पण के पश्चात्, भगवान गणेश को गन्धमिश्रित अर्घ्य जल समर्पित करें।
- आचमन के लिए भगवान गणेश को जल समर्पित करें।
- भगवान गणेश को जल से स्नान कराएं।
- भगवान गणेश को पञ्चामृत से स्नान कराएं।
- भगवान गणेश को दूध से स्नान कराएं।
- इसके बाद भगवान गणेश को दही से स्नान कराएं।
- भगवान गणेश को घी से स्नान कराएं।
- भगवान गणेश को शहद से स्नान कराएं।
- शहद से स्नान के पश्चात्, भगवान गणेश को शक्कर से स्नान कराएं।
- इसके बाद भगवान गणेश को सुगन्धित तेल से स्नान कराएं।
- भगवान गणेश को शुद्ध जल से स्नान कराएं।
- शुद्धोदक स्नान के बाद भगवान गणेश को मोली के रूप में वस्त्र समर्पित करें।
- भगवान गणेश को शरीर के ऊपरी अङ्गो के लिए वस्त्र समर्पित करें।
- भगवान गणेश को यज्ञोपवीत समर्पित करें।
- भगवान गणेश को सुगन्धित द्रव्य समर्पित करें।
- भगवान गणेश को अक्षत चढ़ायें।
- अक्षत के बाद भगवान गणेश को पुष्प माला, शमी पत्र, दुर्वाङ्कुर, सिन्दूर चढ़ायें।
- इसके बाद भगवान गणेश को धूप, दीप, नैवेद्य समर्पित करें।
- भगवान गणेश को चन्दन युक्त जल समर्पित करें।
- इसके बाद भगवान गणेश को ताम्बूल (पान, सुपारी के साथ) समर्पित करें।
- भगवान गणेश को नारियल समर्पित करें।
- भगवान गणेश को दक्षिणा समर्पित करें।
- भगवान गणेश की आरती करें।
गणेश चतुर्थी के दिन नहीं देखना चाहिए चांद
गणेश चतुर्थी के दिन चांद का दर्शन नहीं करना चाहिए। चतुर्थी तिथि के प्रारम्भ और अन्त समय के आधार पर चन्द्र-दर्शन लगातार दो दिनों के लिये वर्जित हो सकता है। एक दिन पूर्व, वर्जित चन्द्रदर्शन का समय पांच सितम्बर को 13:31 से 6 सितम्बर को 20:42 बजे तक है। वहीं गणेश चतुर्थी के दिन चांद के दर्शन का वर्जित समय सुबह 08:55 से 21:25 रात तक है। इसका अर्थ है कि 12 घण्टे 31 मिनट्स तक चांद को देखने से बचना चाहिए।
ऐसा कहा जाता है कि इस दिन चांद देखने से अपशकुन होता है और देखने वाले पर झूठी चोरी का आरोप भी लग सकता है। द्रिक पंचांग के लिखा है कि पौराणिक गाथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण पर स्यमन्तक नाम की कीमती मणि चोरी करने का झूठा आरोप लगा था। ऐसे में नारद ऋषि ने उन्हें बताया कि भगवान कृष्ण ने भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चन्द्रमा को देखा था जिसकी वजह से उन्हें मिथ्या दोष का श्राप लगा है।
नारद ऋषि ने भगवान कृष्ण को आगे बतलाते हुए कहा कि भगवान गणेश ने चन्द्र देव को श्राप दिया था कि जो व्यक्ति भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दौरान चन्द्र के दर्शन करेगा वह मिथ्या दोष से अभिशापित हो जायेगा और समाज में चोरी के झूठे आरोप से कलंकित हो जायेगा। नारद ऋषि के परामर्श पर भगवान कृष्ण ने मिथ्या दोष से मुक्ति के लिये गणेश चतुर्थी के व्रत को किया और मिथ्या दोष से मुक्त हो गये।
भूल से हो जाए चंद्र दर्शन तो इस मंत्र का करें जाप
द्रिक पंचांग के अनुसार, अगर भूल से गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्रमा के दर्शन हो जायें तो मिथ्या दोष से बचाव के लिये निम्नलिखित मन्त्र का जाप करना चाहिये -
सिंहः प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मारोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः॥