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Dahi Handi 2024: इस दिन मनाया जाएगा दही हांड़ी का त्योहार, जानें कैसे हुई इस पर्व की शुरुआत

Dahi Handi 2024: हर साल जन्माष्टमी के एक दिन बाद देश भर में दही हांड़ी का पर्व मनाया जाता है। भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को दही हांड़ी (Dahi Handi 2024) का त्योहार मनाया जाता है। पहले...
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Dahi Handi 2024: हर साल जन्माष्टमी के एक दिन बाद देश भर में दही हांड़ी का पर्व मनाया जाता है। भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को दही हांड़ी (Dahi Handi 2024) का त्योहार मनाया जाता है। पहले यह पर्व मुख्यतः महाराष्ट्र और गुजरात तक ही सिमित था लेकिन बदलते वक्त के साथ अब यह देश के हिस्सों में यह पर्व मनाया जाने लगा है। इस वर्ष यह पर्व 27 अगस्त को मनाया जाएगा।

 
द्वापर युग में हुई थी दही हांड़ी की शुरुआत

दही हांडी (Dahi Handi 2024) की परंपरा द्वापर युग से चली आ रही है। यह पर्व भगवान कृष्ण की बचपन की शरारतों से प्रेरित है, जो गोपियों के घरों से मक्खन और दही चुराने के लिए जाने जाते थे। उन्हें ऐसा करने से रोकने के लिए, गोपियां मक्खन और दही के बर्तनों को ऊंचाई पर लटका देती थीं, लेकिन कृष्ण, अपने दोस्तों के साथ, इन बर्तनों तक पहुंचने और तोड़ने के लिए मानव पिरामिड बनाते थे, और सामग्री को आपस में बांट लेते थे। कृष्ण की इस चंचल लीला को हर साल दही हांडी के रूप में मनाया जाता है।

क्या होता है इस दिन?

इस दिन दही, मक्खन और मिश्री से भरे मिटटी के कलश मंदिरों और सड़कों पर लटकाए जाते हैं। युवाओं के समूह, जिन्हें गोविंदा के नाम से जाना जाता है, मटकी तक पहुंचने और उसे तोड़ने के लिए मानव पिरामिड बनाते हैं, जो कृष्ण की चंचल प्रकृति का प्रतीक है। यह कार्यक्रम ऊर्जावान मंत्रोच्चार, संगीत और नृत्य के साथ मनाया जाता है, जसी देखने के लिए बड़ी भीड़ इकट्ठा होती है। जो टीम सफलतापूर्वक मटका तोड़ती है उसे विजेता माना जाता है और बड़े बड़े पुरस्कार भी दिए जाते हैं।

महाराष्ट्र और गुजरात में ज्यादा प्रचलित है यह पर्व

महाराष्ट्र और गुजरात में दही हांडी विशेष भव्यता के साथ मनाया जाता है। मुंबई, ठाणे और पुणे जैसे शहरों में, त्योहार एक प्रतिस्पर्धी भावना पर आधारित होता है, जिसमें विभिन्न समूह, अक्सर स्थानीय संगठनों या राजनीतिक नेताओं द्वारा प्रायोजित होते हैं, जो उच्चतम और सबसे चुनौतीपूर्ण हांडी को तोड़ने के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं। ये आयोजन बड़ी भीड़ को आकर्षित करते हैं और इन क्षेत्रों में सांस्कृतिक ताने-बाने का एक अनिवार्य हिस्सा हैं।

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