Bhuvneshwar Mahadev Dungarpur: भुवनेश्वर महादेव में हर साल बढ़ता है शिवलिंग का आकार, बहुत लोकप्रिय है यह तीर्थस्थल
Bhuvneshwar Mahadev Dungarpur: भुवनेश्वर महादेव राजस्थान के डूंगरपुर में स्थित एक प्रतिष्ठित मंदिर है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर अरावली पहाड़ियों की सुंदर पृष्ठभूमि में स्थापित है। यह मंदिर (Bhuvneshwar Mahadev Dungarpur) राजस्थान के डूंगरपुर जिले से करीब नौ किलोमीटर दूर करौली गांव में पहाड़ों की गोद में बसा हुआ है। यहां प्राकृतिक रूप से बना हुआ स्वयंभू शिवलिंग विराजित है।
900 साल पुराना है यह मंदिर
भुवनेश्वर महादेव मंदिर (Bhuvneshwar Mahadev Dungarpur) के पुजारी का कहना है कि यह मंदिर करीब 800 से 900 साल पुराना है। उन्होंने बताया कि पहले यहां ऐसा मंदिर नहीं था, ना ही इतना भव्य मंदिर का दरबार था। मंदिर का विकास धीरे-धीरे लोगों के दान दक्षिणा से हुआ है। पुजारी ने बताया कि लक्ष्मण सिंह जी के पिता के द्वारा इस मंदिर का निर्माण किया गया। मंदिर में धर्मशाला, यज्ञशाला और भोजनशाला बनी हुई है। मंदिर की देख-रेख पुजारियों और भक्तों द्वारा की जाती है। यहां पहाड़ी के निचले हिस्से में स्वयंभू हनुमान जी की चमत्कारिक प्रतिमा स्थापित है। मंदिर में श्री गुरुमंगल नाथ की प्रतिमा भी विराजित है। इस स्थान को महाराज की समाधि का स्थल माना जाता है। मंदिर में बीते लगभग 200 साल से शुद्ध घी से अंखंड ज्योति जल रही है।
बढ़ता जा रहा है लिंगम का आकार
मान्यता है कि यहां पर विराजित लिंगम का आकार हर साल बढ़ता जा रहा है। शिवलिंग के प्रति वर्ष आकार में वृद्धि के कारण यहां स्थापित शेषनाग को हर वर्ष बदलना पड़ता है। पुरे देश में भुवनेश्वर महादेव मंदिर प्राचीन मठ के रूप में प्रख्यात है। यह एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल है, जो पूरे क्षेत्र से भक्तों को आकर्षित करता है। मंदिर परिसर में जटिलवास्तुकला और एक पवित्र तालाब है, जो इसके आकर्षण को बढ़ाता है। बागड़ के सभी ज्योतिर्लिंगों में से भुवनेश्वर महादेव संपूर्ण क्षेत्र में प्रसिद्ध हैं। महादेव के सिद्ध मंदिर में पुरे राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से भक्तगण दर्शन हेतु निरंतर आते रहते हैं।
रंग पंचमी पर होता है वार्षिक मेले का आयोजन
भुवनेश्वर महादेव मंदिर में रंग पंचमी के अवसर पर वार्षिक मेले का आयोजन किया जाता है। हर साल होली के पांच दिन बाद एक रंगारंग मेला लगता है जिसमें भील जनजाति का गैर नृत्य मुख्य आकर्षण होता है। यह नृत्य पुरुषों द्वारा किया जाता है। एक लम्बे अंगरखे को पहन कर पुरुष नृत्य पेश करते हैं। शिवरात्रि, होली, रंग पंचमी और प्रत्येक पूर्णिमा के अवसर पर यहां मेले का आयोजन होता है। मेले को देखने हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इसके अलावा कई अन्य कार्यक्रम यहां होते रहते हैं। सिद्ध मंदिर में भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होने पर विभिन्न प्रकार के अनुष्ठान किए जाते हैं।
सावन और महाशिवरात्रि पर उमड़ती है भारी भीड़
भुवनेश्वर महादेव मंदिर में सावन के मौके पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। इस अवसर पर भक्तों द्वारा पुरे दिन शिव भगवान की पूजा अर्चना की जाती है। महाशिवरात्रि जैसे त्योहारों के दौरान, मंदिर धार्मिक गतिविधियों और उत्सवों का केंद्र बन जाता है। भुवनेश्वर महादेव न केवल एक आध्यात्मिक केंद्र है, बल्कि एक सांस्कृतिक मील का पत्थर भी है, जो डूंगरपुर की समृद्ध विरासत को दर्शाता है। अन्य महत्वपूर्ण उत्सवों में श्रावण सोमवार शामिल हैं, जब भक्त श्रावण के पवित्र महीने में विशेष प्रार्थना और अनुष्ठान करते हैं। ये त्यौहार दूर-दूर से तीर्थयात्रियों को आकर्षित करते हैं।
भुवनेश्वर महादेव डूंगरपुर कैसे पहुंचें
राजस्थान के डूंगरपुर में भुवनेश्वर महादेव मंदिर तक पहुंचने के लिए यात्री परिवहन के विभिन्न साधनों का उपयोग कर सकते हैं। सड़क मार्ग से, डूंगरपुर राज्य राजमार्गों के माध्यम से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है और उदयपुर (लगभग 100 किमी दूर) जैसे प्रमुख शहरों से बसों या निजी वाहनों द्वारा पहुंचा जा सकता है। निकटतम रेलवे स्टेशन डूंगरपुर रेलवे स्टेशन है, जो नियमित ट्रेन सेवाएं प्रदान करता है। हवाई यात्रा के लिए, उदयपुर में महाराणा प्रताप हवाई अड्डा निकटतम यहां से लगभग 120 किमी दूर है। एयरपोर्ट से टैक्सी या बसें ली जा सकती हैं। डूंगरपुर पहुंचने पर, मंदिर तक पहुंचने के लिए ऑटो-रिक्शा और टैक्सी जैसे स्थानीय परिवहन विकल्प उपलब्ध हैं।