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Baliya Dev Mandir Khambhat: बलिया देव दिलाते हैं चेचक-खसरा से मुक्ति, ठंडी चीजें की जाती हैं इनको अर्पण

03:29 PM May 03, 2024 IST | Preeti Sam
Baliya Dev Mandir Khambhat (Image Credit: Rajasthan First)

Baliya Dev Mandir Khambhat: ''बलिया बापजी रे, तू तो दीन-दुखियों को तारे
हे दीन-दुखियों को तारे, लाखों जीव उगारे''

रोगों से मुक्ति दिलाने वाले बलिया देव का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है। महाभारत में भीम के पुत्र थे घटोत्कच। घटोत्कच के पुत्र हुए बर्बरीक। यही बर्बरीक गुजरातियों के लिए बलिया देव बन गए। गुजरात में बलिया देव (Baliya Dev Mandir Khambhat) के अनेकों स्थान हैं लेकिन उन सभी में सबसे प्रसिद्ध और पौराणिक धाम है, खंभात के शकरपुर में स्थित बलिया देव मंदिर। इस मंदिर की प्रसिद्धि देश-विदेश तक फैली हुई है। लोग मानते हैं कि इस स्थान पर बलिया देव की स्वंयभू गद्दी है। इस स्थान की महिमा इसलिए भी है क्योंकि यह स्थान पौराणिक काल से जुड़ा हुआ है।

स्कंद पुराण में है मंदिर का उल्लेख

स्कंद पुराण के कुमारिका खंड में महिसागर संगम तीर्थ का उल्लेख है। इतिहासकारों ने विविध पुराणों का अभ्यास करते हुए यह तर्क निकाला है कि महिसागर संगम तीर्थ आज के शकरपुर का बलिया देव मंदिर (Baliya Dev Mandir Khambhat) ही है।

बड़े बलिया देव मंदिर शकरपुरधाम के पुजारी भाग्येश भट्ट बताते हैं ''यह महिसागर संगम तीर्थ है। स्कंद पुराण के कुमारीका खंड में लिखा है कि माता जी की आराधना, बर्बरिक महाराज ने कृष्ण की आज्ञा के अनुसार महिसागर संगमतीर्थ में की थी। उनको शक्ति आराधना से सिद्धि की प्राप्ति हुई थी। आराधना के लिए बलिया देव ने यही स्थान पसंद किया था। महिसागर संगम तीर्थ के तौर पर बलिया देव का पूजन होता है, जो प्रत्यक्ष मस्तक है।''

ठंडी चीजें की जाती हैं इनको अर्पण

सालों से बलिया देव (Baliya Dev Mandir Khambhat) को ठंडी चीजें अर्पण करने की परंपरा रही है। माना जाता है की बलिया देव की दृष्टि जिस के भी शरीर पर गिरेगी, उसका शरीर रोग मुक्त हो कर बलवान बनेगा। इसी लिए बर्बरिक को बलिया देव नाम मिला।

बड़े बलिया देव मंदिर, शकरपुरधाम के पुजारी भाग्येश भट्ट का कहना है ''300 साल की शक्ति आराधना के बाद दूसरे 700 साल तक बड़े बलिया देव ने महादेव की आराधना की थी। इतने बड़े तप के बाद इस स्थान पर कोई नहीं आ सकता था। तब बलिया देव को महादेव जी ने वरदान दिया कि अगर कोई भी व्यक्ति ठंडी चीजें आपके धाम पर अर्पित करेगा तो उसके स्वास्थ्य का ध्यान स्वयं महादेव रखेंगे। तभी से बलिया देव को ठंडी चीजें चढ़ाने का चलन शुरू हुआ। दूसरा वरदान ये था कि बलिया देव की आंखों की दृष्टि जिस किसी पर भी पड़ेगी, उसका शरीर बलवान होगा। इस वजह से सभी इन्हे बल देने वाले यानि बलिया देव पुकारने लगे।''

जहां की थी आराधना वो वृक्ष आज भी है मौजूद

गांव के बुजुर्गों का कहना है कि बलिया देव (Baliya Dev Mandir Khambhat) ने जहां बैठकर सैकडों साल शक्ति और शिव की आराधना की थी, वह वृक्ष आज भी यहां मौजूद है। भक्त जन उस वृक्ष को भी श्रद्धा से नमन करते हैं। यहां बलिया देव का विग्रह भी है। आमतौर पर बलिया देव के हर मंदिर में एक ही विग्रह होता है लेकिन यहां उनके मुख के तीन विग्रह स्थापित हैं। इसके साथ संकेतात्मक तर्क जुड़ा हुआ है।

पुजारी भाग्येश भट्ट बताते हैं ''दुनिया के किसी भी मंदिर में जाएं, आपको बलिया देव के एक ही स्वरूप के दर्शन होंगे। पर यह एकमात्र स्थान है जहां बलिया देव के तीन स्वरूप पूजे जाते हैं। तीन स्वरूप में बीच का स्वरूप प्रत्यक्ष रूप है। बाईं तरफ बाल स्वरूप है और दाईं तरफ यौवन स्वरूप है। महादेव जी की आज्ञा अनुसार इस जगह पर जब तक सूरज चमकेगा, तब तक बर्बरिक देव पूर्ण स्वरूप में रहेंगे। यानि बाल स्वरूप से लेकर वृद्ध तक कोई भी उम्र में बलिया देव के धाम में आने से भक्तों का काम सफल होता है।''

बच्चों को खसरा, चेचक से बचाते हैं बलिया देव

बच्चों को छोटी माता (Chickenpox) और खसरा (Measles) जैसे रोग ना हों इसलिए बलिया देव (Baliya Dev Mandir Khambhat) की मन्नत रखी जाती है। उनकों शीतल द्रव्य अर्पण किया जाता है। माघ महीने में भक्तजन मंदिर में प्रवास करते हैं। साथ ही वे मंदिर आकर ठंडा खाना खाते हैं। वहीं चैत्र महीने में बलिया देव के आगमन का उत्सव मंदिर में धूमधाम से मनाया जाता है। बलिया देव का आशीर्वाद लेने दूर-दूर से भक्त आते हैं। उनका मानना है कि बलिया देव के स्मरण मात्र से ही उनके कष्ट और तकलीफें दूर हो जाती हैं।

पुजारी भाग्येश भट्ट बताते हैं ''मार्गशीर्ष महीने में ठंडा खाने का महत्व है। यहां लोग परिवार के साथ आते हैं। और इस स्थान पर बैठ कर ठंडा खाना खाते हैं। चैत्र माह में बलिया देव (Baliya Dev Mandir Khambhat)का उत्सव मनाया जाता है। वैशाख त्रयोदसी पर मंदिर में तेल के दिए जलाए जाते हैं। श्रावणी अमावस्या के दिन भी बलिया देव का पूरा मंदिर दियों की रोशनी से सजाया जाता है।''

मंदिर का दर्शन करने आयी रक्षा पटेल ने बताया ''हम महाराष्ट्र पालघर में रहते हैं। बचपन से ही बलिया देव में बहुत आस्था है। हम जब भी यहां आते हैं तो बलिया देव के दर्शन जरूर करते हैं। हमारा कोई भी काम हो, शारीरिक कष्ट हो, तकलीफ हो तो बलिया देव की ही प्रार्थना करते हैं। वे हमारी मनोकामना पूर्ण कर देते हैं।'' वहीं एक और दर्शनार्थी हेमंत पंड्या कहते हैं ''खंभात का शकरपुर सबसे बड़ा धाम है। सबकी इच्छा पूरी करते हैं बलिया देव। इनको बड़े बलिया देव के नाम से भी जाना जाता है। इनके आशीर्वाद से हमारे कार्य सफल होते हैं।''

बलिया देव (Baliya Dev Mandir Khambhat) का यह स्थान जाग्रत है। इस वजह से भक्त यहां एक खास ऊर्जा महसूस करते हैं। यहां प्रज्वलित बलिया देव की अखंड ज्योति इन पर लोगों की बढ़ती हुई आस्था का जीवंत प्रमाण है।

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