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Apara Ekadashi 2024: भगवान विष्णु को समर्पित है अपरा एकादशी, जानें इसकी तिथि और महत्व

Apara Ekadashi 2024: हिंदू माह ज्येष्ठ के कृष्ण पक्ष के 11वें दिन (एकादशी) को मनाई जाने वाली अपरा एकादशी( Apara Ekadashi 2024) भगवान विष्णु को समर्पित एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। इस दिन भक्त उपवास करते हैं, अपने पापों के...
12:04 PM May 20, 2024 IST | Preeti Mishra
Image Credit: Social Media

Apara Ekadashi 2024: हिंदू माह ज्येष्ठ के कृष्ण पक्ष के 11वें दिन (एकादशी) को मनाई जाने वाली अपरा एकादशी( Apara Ekadashi 2024) भगवान विष्णु को समर्पित एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। इस दिन भक्त उपवास करते हैं, अपने पापों के लिए क्षमा मांगते हैं और मोक्ष प्राप्ति के लिए आशीर्वाद मांगते हैं। ऐसा माना जाता है कि अपरा एकादशी का भक्तिपूर्वक पालन करने से पिछले पापों से मुक्ति मिल सकती है और आध्यात्मिक पुण्य की प्राप्ति होती है। अपरा एकादशी पूरे भारत में श्रद्धा के साथ मनाई जाती है।

कब है अपरा एकादशी

द्रिक पंचांग के अनुसार, अपरा एकादशी ( Apara Ekadashi 2024) रविवार, जून 2, 2024 को है। वहीं व्रत के बाद पारण 3 जून को है। पारण समय दोपहर 13:08 से लेकर 15:52 तक है। द्रिक पंचांग के अनुसार, एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना अति आवश्यक है। यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता है। द्वादशी तिथि के भीतर पारण न करना पाप करने के समान होता है।

एकादशी तिथि प्रारम्भ - जून 02, 2024 को 05:04 बजे
एकादशी तिथि समाप्त - जून 03, 2024 को 06:41 बजे

अपरा एकादशी का महत्व

हिंदी शब्द 'अपरा' का अनुवाद 'असीम' है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से भक्त को असीमित धन मिलता है, इसलिए इसका नाम 'अपरा एकादशी' है। इस एकादशी का अर्थ इसके पालनकर्ता को असीमित लाभ देने के लिए भी किया जाता है। अपरा एकादशी ( Apara Ekadashi 2024) का महत्व ब्रह्म पुराण और पद्म पुराण में विस्तार से बताया गया है। अपरा एकादशी व्रत पूरे देश में अलग-अलग नामों से श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है। पंजाब, जम्मू और कश्मीर और हरियाणा में अपरा एकादशी को 'भद्रकाली एकादशी' के रूप में मनाया जाता है और इस दिन देवी भद्र काली की पूजा करना शुभ माना जाता है। उड़ीसा में इसे 'जलक्रीड़ा एकादशी' कहा जाता है, जो भगवान जगन्नाथ के सम्मान में मनाया जाता है।

अपरा एकादशी के दिन होने वाले अनुष्ठान

-अपरा एकादशी व्रत रखने वाले को पूजा का विशेष ध्यान रखना पड़ता है।
- पूजा सूर्यास्त से पहले करनी चाहिए। सभी अनुष्ठान पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ किए जाने चाहिए।
- इस व्रत को करने वाले को सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए।
- भक्त भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते, फूल, धूप और दीप चढ़ाते हैं।
- भक्त अपरा एकादशी व्रत कथा या कहानी भी पढ़ते हैं। भक्त शाम के समय भगवान विष्णु के मंदिरों में भी जाते हैं।
- इस एकादशी का व्रत 'दशमी' (10वें दिन) से शुरू होता है।
- व्रत सूर्योदय से शुरू होता है और द्वादशी (12वें दिन) के सूर्योदय पर समाप्त होता है।
- अपरा एकादशी के दिन सभी प्रकार के अनाज और चावल खाना वर्जित है। शरीर पर तेल लगाने की भी इजाजत नहीं है।

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