राजस्थानराजनीतिनेशनलअपराधकाम री बातम्हारी जिंदगीधरम-करममनोरंजनखेल-कूदवीडियोधंधे की बात

Andheri Mata Temple Dungarpur: अंधेरी माता के दर्शन से निसंतानों को होती है संतान की प्राप्ति, माता से लोग लेते थे उधार धन

Andheri Mata Temple Dungarpur: राजस्थान के डूंगरपुर जिले में सागवाड़ा तहसील में अंधेरी माता (Andheri Mata Temple Dungarpur) का एक मंदिर है जिसकी बहुत मान्यता है। यह मंदिर सागवाड़ा-डूंगरपुर रोड पर सागवाड़ा से करीब 12 किलोमीटर दूर विराट गांव में...
11:35 AM Jun 15, 2024 IST | Preeti Mishra
Image Credit: Rajasthan First

Andheri Mata Temple Dungarpur: राजस्थान के डूंगरपुर जिले में सागवाड़ा तहसील में अंधेरी माता (Andheri Mata Temple Dungarpur) का एक मंदिर है जिसकी बहुत मान्यता है। यह मंदिर सागवाड़ा-डूंगरपुर रोड पर सागवाड़ा से करीब 12 किलोमीटर दूर विराट गांव में स्थित है। अंधेरी माता का यह मंदिर वागड़ का एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। यह मंदिर शक्ति पूजा के लिए प्रसिद्ध है।

लोग लेते थे माता से पैसे उधार

मान्यता है कि पुराने जमाने में लोग माता से पैसे उधार ले जाते थे और काम पूरा होने के बाद वापस लौटा देते थे। वर्ष के दोनों नवरात्रि (Andheri Mata Temple Dungarpur) में यहां भारी भीड़ लगती है। ना सिर्फ डूंगरपुर या बांसवाड़ा से बल्कि उदयपुर समेत गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से लोग यहां माता के दर्शन के लिए आते हैं। यहां लोग की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और लोग बदले में मां को ना सिर्फ चुनरी, श्रृंगार के सामन बल्कि और सोने चांदी के आभूषण तक चढ़ाते हैं। यही नहीं, नवजात संतान की कामना पूरी होने पर यहां पालना भी चढ़ाया जाता है।

यहां के एक निवासी का कहना था कि कई लोग ऐसे थे जिनकी वर्षों की शादी के बाद भी कोई संतान नहीं थी। यहां आकर दर्शन करने पर ऐसे लोगों की मनोकामना पूरी हो गयी। उनका कहना था कि कोई भी काम जैसे बच्चे संबंधी परेशानी हो, दुकान खोलना हो या कोई कंपनी लांच करना हो, माता सभी काम आसानी से पूरा कर देती हैं।

मंदिर में अर्धनारीश्वर के रूप में विराज हैं माता

मंदिर में अर्धनारीश्वर के रूप में अंधेरी माता की काले चमकीले पत्थर की प्रतिमा (Andheri Mata Temple Dungarpur) विराजित है। बताया जाता है कि प्रतिमा की स्थापना राजा युधिष्ठिर ने पांडवों के अज्ञातवास समय में की थी। मंदिर और विराट गांव के आसपास खुदाई में आज भी सामान्य से दोगुने बड़े आकार की ईंटें निकलती हैं। यहां खुदाई के दौरान निकले शिवलिंग को पास ही पहाड़ी पर मंदिर बनाकर प्रतिष्ठित किया गया है।

क्या कहना है यहां के पुजारी का?

यहां के पुजारी वासुदेव सेवक बताते हैं कि उनके दादा स्वर्गीय मोतीराम सेवक समेत करीब पांच पीढ़ियों से उनके परिवार द्वारा माता की नियमित पूजा अर्चना की जा
रही है। पुजारी का कहना था कि माताजी की मूर्ति (Andheri Mata Temple Dungarpur) हजारों साल पुरानी है। 400 साल से हमारा परिवार यहां पूजा कर रहा है। हमारे दादा के पिताजी फिर हमारे दादा, फिर पिताजी, उसके बाद मैं और मेरे बाद मेरा बेटा भी यहां पूजा पाठ करता है।

30 साल पहले यहाँ नहीं था कोई मंदिर

बता दें कि तीन दशक पहले यहाँ कोई मंदिर नहीं था। यहां खुले में ही मूर्ति की पूजा होती थी। स्थानीय लोगों के अनुसार, एक भक्त के सपने में आकर देवी ने मंदिर का निर्माण कराए जाने को कहा था। उसके बाद लोगों के प्रयास से यहाँ मंदिर का निर्माण हुआ। काले पत्थर से बनी प्रतिमा में आधा भाग नारी और आधा भाग पुरुष के आकार का बना हुआ है। प्रतिमा के ललाट में गणपति और पैरों के पास रिद्धि सिद्धि (Andheri Mata Temple Dungarpur) की मूर्तियां उकेरी हुई हैं। मूल प्रतिमा में एक हाथ में कंगन और एक पैर में झांझर पहने दर्शाया गया है।श्रद्धालु मूर्ति में आधा नारी का आकार मानकर अर्धनारीश्वर को पूजते हैं। अंधेरी माता मंदिर विकास एवं जीर्णोद्धार प्रबंध समिति के सदस्यों, ग्रामवासियों और माता के भक्तों के प्रयास से यहां मंदिर का निर्माण संभव हो सका।

यहां के अन्य निवासी बताते हैं कि पांडवों के समय इस मूर्ति की स्थापना की गयी थी। दर्शनाभिलाषी मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से यहां आते हैं और माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस मंदिर का दूर-दूर तक काफी प्रचार है। उन्होंने बताया कि मंदिर में हर साल अश्विन और चैत्र नवरात्रि की अष्टमी के दिन यज्ञ होता है। शरद पूर्णिमा को दिन में विशाल मेला और रात को सामूहिक डांडिया रास का आयोजन होता है।

नवरात्रि में देखने लायक होता है यहां का नजारा

अंधेरी माता मंदिर (Andheri Mata Temple Dungarpur) में नवरात्रि उत्सव उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। नौ दिवसीय उत्सव के दौरान भक्त देवी दुर्गा का सम्मान करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए इकट्ठा होते हैं। देवी को समर्पित विशेष प्रार्थनाएँ, आरती और भजन प्रतिदिन किए जाते हैं। मंदिर परिसर को रंगीन झालरों से सजाया जाता है। इस दौरान गरबा और डांडिया जैसे पारंपरिक नृत्यों का आयोजन किया जाता है। भक्त यहां पर विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेते हैं। अंधेरी माता मंदिर में नवरात्रि आध्यात्मिक भक्ति और सांस्कृतिक उत्सव का समय है।

अंधेरी माता मंदिर तक कैसे पहुंचें

सागवाड़ा, डूंगरपुर, राजस्थान में स्थित अंधेरी माता मंदिर (Andheri Mata Temple Dungarpur) तक पहुंचने के लिए, कई परिवहन विकल्प उपलब्ध हैं। यदि हवाई यात्रा कर रहे हैं तो निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर है, जो यहां से लगभग 130 किलोमीटर दूर है। वहां से सागवाड़ा पहुंचने के लिए टैक्सी किराये पर ली जा सकती है या सार्वजनिक परिवहन का उपयोग किया जा सकता है। यदि आप ट्रेन से यात्रा कर रहे हैं तो सागवाड़ा से लगभग 25 किलोमीटर दूर डूंगरपुर रेलवे स्टेशन निकटतम रेलवे स्टेशन है। डूंगरपुर से मंदिर तक पहुँचने के लिए टैक्सियां और बसें उपलब्ध हैं। इसके अतिरिक्त सागवाड़ा सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है और उदयपुर, अहमदाबाद और जयपुर जैसे नजदीकी शहरों से बसें या निजी टैक्सियां किराए पर ली जा सकती हैं।

यह भी पढ़ें: Chittorgarh Fort: राजपूत रानियों के जौहर का गवाह है यह किला, जानें इसका इतिहास और खासियत

Tags :
Andheri Mata TempleAndheri Mata Temple DungarpurAndheri Mata Temple Dungarpur RajasthanDharam karamDharam Karam NewsDharam Karam News in HindiDharam Karam Rajasthan NewsHow to reach Andheri Mata Temple in Dungarpurअंधेरी माता मंदिर डूंगरपुरअंधेरी माता मंदिर राजस्थानराजस्थान की अंधेरी माता
Next Article