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मालपुरा दंगों की आंखों देखी...बहनोई का गला काटा, बहन पर पेट्रोल डाला...तभी SP आ गए...और फिर...!

टोंक के मालपुरा दंगा मामले में अदालत के फैसले के बाद एक बार फिर दंगा पीड़ितों के जेहन में यह दर्द ताजा हो गया।
11:15 AM Dec 06, 2024 IST | Kamlesh Kumar Mahawer

Tonk News Rajasthan: राजस्थान के टोंक जिले के मालपुरा में साल 2000 में हुए दंगों को लेकर अदालत ने 24 साल बाद फैसला सुनाया है, (Tonk News Rajasthan) जिसमें 8 आरोपियों को उम्रकैद की सजा दी गई है। इस फैसले के बाद दंगा पीड़ितों के सामने 10 जुलाई 2000 का वह मंजर फिर ताजा हो गया। मालपुरा के दंगों में टोंक के रोहिताश्व कुमावत के पिता सहित चार लोगों की जान गई थी, रोहिताश्व बताते हैं वह भयावह मंजर कोई कैसे भूल सकता है?

सगाई से लौट रहे परिवार को दंगाइयों ने रोका

10 जुलाई 2000...पिता छीतरलाल अपने समधी मोहनलाल के छोटे बेटे संजय की सगाई के लिए टोंक गए थे। उनके साथ मोहनलाल के बड़े बेटे जितेंद्र और उनकी पत्नी मंजू सहित महिलाएं और बच्चे थे। मोहनलाल जीप चला रहे थे। सभी लोग सगाई के बाद डिग्गी कल्याणजी के दर्शन करने जा रहे थे। उनकी जीप टोडा से मालपुरा पहुंची ही थी कि कुछ हथियारबंद लोगों ने उनकी गाड़ी को घेर लिया। छीतरलाल के बेटे रोहिताश्व बताते हैं पहले तो सभी को लगा कि लुटेरे हैं, तो महिलाओं ने उन्हें अपने जेवर दे दिए।

4 लोगों की हत्या कर दी...फिर एसपी आ गए

रोहिताश्व बताते हैं जेवर लेने के बाद महिलाओं को लगा कि लुटेरे भाग जाएंगे, मगर वह लुटेरे नहीं दंगाई थे। दंगाइयों ने जीप चला रहे मोहनलाल, पिता छीतर और संजय की धारदार हथियार से हत्या कर दी, इन तीनों को गाड़ी से निकलने तक का मौका नहीं मिला। इसके बाद मंजू के सामने ही दंगाइयों ने उसके पति जितेंद्र को भी जीप से निकालकर सड़क पर पटका और गला काट दिया। इसके बाद दंगाइयों ने महिलाओं को भी पेट्रोल डालकर जलाने की कोशिश की। मगर तब तक एसपी की गाड़ी वहां आ गई। जिसे देखकर दंगाई भाग निकले और उनकी जान बच गई।

बहन ने आंखों के सामने देखा नरसंहार

रोहिताश्व का कहना है कि बहन मंजू ने अपनी आंखों से परिवार के चार लोगों की निर्मम हत्या होते हुए देखी। इस घटना की चश्मदीद मोहनलाल के बडे बेटे जितेन्द्र की पत्नी मंजू थीं, मगर अपने सामने नरसंहार देखने के बाद वह इतनी डर गईं कि घटना के आरोपियों की शिनाख्त नहीं कर सकी। उनके अलावा एक और चश्मदीद भगवती देवी थीं, वह भी उम्र दराज होने के कारण आरोपियों के चेहरे नहीं बता पाईं। इससे यह मामला खत्म हो गया। रोहिताश्व मालपुरा दंगों के दोषियों को उम्रकैद की सजा के फैसले पर कहते हैं कि देर से ही सही अब उन्हें इंसाफ तो मिला।

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