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लवली कंडारा एनकाउंटर! CBI ने पुलिस के खिलाफ दर्ज की एफआईआर.. पांच पुलिसकर्मी फंसे

Lovely Kandara encounter :राजस्थान में हुए चर्चित लवली कंडारा मुठभेड़ मामले में नया मोड़ आ गया है। 3 अक्टूबर 2021 को बदमाश लवली उर्फ नवीन कंडारा की पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में गोली लगने से मौत हो गई...
06:07 PM Jan 11, 2025 IST | Rajesh Singhal

Lovely Kandara encounter :राजस्थान में हुए चर्चित लवली कंडारा मुठभेड़ मामले में नया मोड़ आ गया है। 3 अक्टूबर 2021 को बदमाश लवली उर्फ नवीन कंडारा की पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में गोली लगने से मौत हो गई थी। गहलोत सरकार के कार्यकाल में इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने के बाद अब सीबीआई की दिल्ली ब्रांच ने पांच पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इस एफआईआर में रातानाड़ा थाने के तत्कालीन थानाधिकारी लीला राम समेत अन्य पुलिसकर्मियों को नामजद किया गया है। (Lovely Kandara encounter ) नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल के निरंतर प्रयासों के बाद यह कार्रवाई हुई है, जिनकी अगुवाई में लवली के परिजनों ने हाल ही में उनसे मुलाकात की थी। 9 जनवरी को दर्ज की गई एफआईआर में अब मामले की जांच स्पेशल सेल द्वितीय के डीएसपी मोहिंदर राम करेंगे।

 पुलिस पर जानबूझकर गोली मारने के आरोप 

13 अक्टूबर 2021 को जोधपुर में हुई मुठभेड़ में लवली कंडारा की मौत ने एक नया मोड़ लिया है। लवली की हत्या के आरोप अब तक दबे हुए थे, लेकिन सीसीटीवी फुटेज और परिजनों के संघर्ष ने मामले को फिर से गर्मा दिया। आरोप है कि पुलिस ने जानबूझकर लवली को गोली मारी, जबकि उसे रोकने के लिए टायर पर गोली चलाना या और तरीके अपनाए जा सकते थे।

 गोली चलाने की जरूरत क्यों पड़ी?

सीसीटीवी फुटेज में स्पष्ट देखा गया कि पुलिस ने लवली की कार को रोकने के बजाय उसका पीछा किया और गोली चलाई। यह सवाल उठता है कि जब पुलिस के पास इतने विकल्प थे, तो क्या उन्हें गोली चलाने की जरूरत थी? खासकर तब जब लवली की गाड़ी में छह लोग थे और उन पर गोली चलाने से सिर्फ एक को नुकसान हुआ। इस सवाल ने पूरे मामले को गंभीर बना दिया है।

धरना, दबाव और पुलिस पर हत्या का आरोप

लवली के परिजनों ने जब यह महसूस किया कि पुलिस ने जानबूझकर गोली मारी, तो उन्होंने सरकार के खिलाफ धरना शुरू किया। हनुमान बेनीवाल जैसे नेताओं ने भी इस मुद्दे पर दबाव बढ़ाया। इसके चलते सरकार ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की और 17 अक्टूबर को पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया।

सीबीआई जांच की मांग... सरकार का रवैया

इस पूरे मामले में सीबीआई जांच की मांग ने जोर पकड़ा। जब पुलिस ने अपनी तरफ से जांच कर आरोपों को खारिज कर दिया, तो वाल्मीकि समाज ने विरोध शुरू किया। इसके बाद गहलोत सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की, लेकिन अब तक जांच में देरी हो रही है, जिससे इस मुद्दे पर और भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

राजनीतिक दबाव...मामले में नयापन

नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने संसद में भी इस मुद्दे को उठाया और इसके राजनीतिक पहलू को सामने लाया। इसने मामले को और गहराई दी, जिससे अब यह सिर्फ एक मुठभेड़ का मामला नहीं रहा, बल्कि एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है।

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