"जिसने बचपन छीना, उसने आत्मा को भी रौंद डाला! जब मासूम ने सच्चाई बताई, तो दहल उठा समाज!
Jaipur Crime News: बचपन मासूम होता है, जिसमें न कोई डर होता है, न कोई छल-कपट। एक नन्हीं बच्ची के सपनों में केवल खिलौने होते हैं, उसकी दुनिया में सिर्फ हंसी-खुशी होती है। मगर जब वह मासूमियत किसी दरिंदे की हवस का शिकार बन जाए, तो उसका पूरा अस्तित्व बिखर जाता है।
सोचिए, एक 12 साल की बच्ची, जो छठी कक्षा में पढ़ती थी, उसकी दुनिया अचानक एक अंधेरे में तब्दील हो गई। वह न समझ पाई कि उसके साथ क्या हो रहा है, न किसी से कुछ कह पाई। (Jaipur Crime News)एक वहशी ने न सिर्फ उसकी मासूमियत छीन ली, बल्कि ब्लेड से उसकी छाती पर 'I LOVE YOU' तक गोद डाला। दर्द का यह निशान सिर्फ उसकी त्वचा पर नहीं, बल्कि उसकी आत्मा पर उभर आया, जो सालों तक उसके मन-मस्तिष्क को तड़पाता रहा।
चार साल तक वह खौफ के साए में जीती रही, हर दिन एक नया नर्क सहती रही। जब उसकी मानसिक स्थिति बिगड़ती गई, तब परिवार ने डॉक्टरों के पास दौड़ लगाई, लेकिन कोई भी उसकी आत्मा पर लगे घावों को नहीं भर सका। आखिरकार, एक डॉक्टर की सलाह पर उसके माता-पिता को सच्चाई पता चली और उन्होंने हिम्मत जुटाकर इंसाफ की लड़ाई शुरू की।
यह कहानी सिर्फ एक बच्ची की नहीं, बल्कि समाज के उस अंधेरे कोने की है, जहां मासूम बच्चियां वहशी दरिंदों की दरिंदगी का शिकार बनती हैं। यह कहानी हमें झकझोरती है, यह सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर कब तक हमारी बेटियां इस हैवानियत का शिकार होती रहेंगी?
पॉक्सो एक्ट के नियम 4 में रेप ट्रॉमा सिंड्रोम की जांच करवाई
डीसीपी वेस्ट अमित कुमार ने बताया कि पीड़िता ने अपने बयानों में खुलासा किया कि 2016 में उसका परिचय शक्ति सिंह से हुआ था। शक्ति सिंह ने उसे स्कूल से घर छोड़ने के बहाने बुलाया और सुनसान खंडहरनुमा मकान में ले जाकर पहली बार दुष्कर्म किया। इस दौरान आरोपी ने उसके अश्लील वीडियो भी बनाए और धमकी दी कि अगर उसने किसी को बताया तो उसे जान से मार देगा।
यह सिलसिला चार साल तक चला, जहां पीड़िता को बार-बार बुलाकर शारीरिक शोषण किया जाता रहा। मारपीट, शारीरिक दर्द और बदनामी के डर से वह अवसाद में चली गई। पुलिस ने पॉक्सो एक्ट के नियम 4 के तहत मनोचिकित्सकों से रेप ट्रॉमा सिंड्रोम की जांच करवाई। जब इस मानसिक आघात की पुष्टि हुई, तो पुलिस ने अजमेर के केकड़ी निवासी शक्ति सिंह राठौड़ को गिरफ्तार कर लिया।
रेप ट्रॉमा सिंड्रोम क्या है?
रेप ट्रॉमा सिंड्रोम एक गंभीर मानसिक और मनोवैज्ञानिक आघात है। इस स्थिति में पीड़िता शारीरिक और भावनात्मक रूप से इतनी गहराई तक प्रभावित होती है कि सामान्य जीवन जीना मुश्किल हो जाता है। यह मानसिक स्थिति इतनी भयावह होती है कि पीड़िता को इससे उबरने में वर्षों लग सकते हैं, और कई मामलों में यह दर्द जीवनभर बना रहता है।
इस सिंड्रोम की पहचान सबसे पहले 1974 में नर्स एन वोल्बर्ट बर्गेस और समाजशास्त्री लिंडा लिटल होल्मस्ट्रॉम ने की थी। उन्होंने बताया कि यौन शोषण झेल चुकी महिलाओं और बच्चियों में लंबे समय तक मानसिक और भावनात्मक अस्थिरता देखी जाती है।
आरोपी पर लगाई गई धाराएं और सजा
धारा 376, 376(2)(N) – इस धारा के तहत आरोपी को आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। धारा 384 – जबरन ब्लैकमेल करने और धमकाने के लिए इस धारा के तहत 3 साल की सजा का प्रावधान है। धारा 5/6 पॉक्सो एक्ट – नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में इस धारा के तहत आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है।
यह मामला केवल एक बच्ची के साथ हुए अपराध का नहीं, बल्कि पूरे समाज को झकझोर देने वाला है। यह दिखाता है कि किस तरह मासूम बच्चियां हवस के दरिंदों की शिकार बन रही हैं और मानसिक आघात से जूझते हुए जिंदगीभर दर्द सहने को मजबूर हो जाती हैं।
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