Illegal kidney transplant case Jaipur अवैध किडनी ट्रांसप्लांट केस में फोर्टिस का नर्सिंग स्टाफ गिरफ्तार, दलालों का करता था सहयोग
Illegal kidney transplant case Jaipur जयपुर। राजस्थान के जयपुर में फर्जी ऑर्गन ट्रांसप्लांट मामले में पुलिस को बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। घूस लेकर फर्जी ऑर्गन ट्रांसप्लांट की एनओसी देने के मामले में पुलिस ने फोर्टिस के नर्सिंग स्टाफ को गिरफ्तार किया है। सवाई मानसिंह अस्पताल से जारी फर्जी एनओसी पर फोर्टिस अस्पताल में चल रहा था अवैध ऑर्गन ट्रांसप्लांट का खेल ।
क्या है पूरा मामला
दरअसल बांग्लादेश के गरीब जरूरतमंदों को गुरुग्राम लाकर फर्जी तरीके से जयपुर में उनकी किडनी ट्रांसप्लांट कराने वाला गिरोह बहुत दिनों से सक्रिय था। पुलिस के अनुसार जिस व्यक्ति को किडनी की जरूरत होती थी उससे गिरोह का सरगना मो0 मुर्तजा अंसारी 10 लाख की रूपए की डील करता था। बांगलादेश के गरीब जरूरतमंद लोगों को किडनी देने के लिए तैयार किया जाता था और फिर पहली किस्त के तौर पर उन्हें चार लाख रूपए दिए जाते थे। इसमें दो लाख रूपए एडवांस दिए जाते थे और बाकी ट्रांसप्लांट के बाद। बताया जा रहा है कि अब तक 80 से 100 लोगों का किडनी ट्रांसप्लांट हो चुका है। ये ट्रांसप्लांट जयपुर के फोर्टिस अस्पताल में होता था।
गिरफ्तारी से पहले अस्पताल ने आरोपी को निकाला
जयपुर पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ से मिली जानकारी के अनुसार पकड़ा गया आरोपी जिसका नाम भानू लववंशी उर्फ भानू प्रताप बारां हैं और वह हरनावदा का रहने वाला है। पुलिस ने बताया है कि भानू लववंशी फोर्टिस अस्पताल में नौकरी करता था। भानू जिन मरीजों का ऑपरेशन हो जाता था उसकी देखभाल करता था। भानू से पुलिस जांच टीम पहले भी पूछताछ कर चुकी है। जब एसीबी ने दोबारा उसे पूछताछ के लिए बुलाया तो अस्पताल प्रशासन ने उसे नौकरी पर आने से मना कर दिया । अब भानू अपने गांव में ही रह रहा है।
दलालों की मदद करता था आरोपी
ऑर्गन ट्रांसप्लांट के मामले में गहन जांच के दौरान एसएमएस के सहायक प्रशासनिक अधिकारी जिनका नाम गौरव सिंह है , फोर्टिस अस्पताल के ऑर्गन को-ऑर्डिनेटर विनोद सिंह और अंग प्रत्यारोपण के मामले में जिस कंपनी मैड सफर से एमओयू की गई थी उसके निर्देशक सुमन जाना से पूछताछ की गई थी। इसके अलावा एक दलाल जिसका नाम सुखमय नंदी है , उससे भी गहन पूछताछ की गई थी। इसी पूछताछ के दौरान पकड़े गए आरोपी भानू लववंशी की भूमिका मिली। पूछताछ में यह बात सामने आई है कि आरोपी हर रोज दलालों के संपर्क में रहकर उन्हें अवैध ट्रांसप्लांट के लिए मदद करता था।
डॉक्टरों की भूमिका भी संदिग्ध
इस पूरे मामले में पूलिस ने अपने जांच का दायरा बढ़ाया है। पुलिस अब भानू और दलालों के सीधे संपर्क में रहने वाले चिकित्सकों की भूमिका तय करने में जुटी हुई है। इसके अलावा इस मामले में फरार चल रहे मैड सफर के अन्य डायरेक्टर राज कमल व दलाल मोहम्मद मुर्तजा अंसारी को पकड़ने के लिए जयपुर पुलिस पश्चिम बंगाल के अलग-अलग ठिकानों पर छापेमारी कर रही है। यहां इस बात का जिक्र जरूरी है कि हॉस्पिटल में सर्जरी के बाद दलाल मरीजों को किराए के मकानों में रखते थे। जहां पर मरीजों की देखरेख के लिए भानू ही जाता था।
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