मंदिर में पूजा या मौत की साजिश? पुजारी ने पुजारी का पेट चाकू से फाड़ा, खून से सनी मूर्तियां!
Dausa Crime News: आस्था के केंद्र माने जाने वाले मंदिरों में जहां शांति और श्रद्धा का वास होता है, वहां दौसा के पंचमुखी बालाजी मंदिर में ऐसी खौफनाक घटना घटी, जिसने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया। आरती के पावन समय पर जब भक्ति की ध्वनि गूंज रही थी, तभी वहां खून बहने लगा। यह कोई साधारण विवाद नहीं था, बल्कि मंदिर के वर्चस्व की लड़ाई थी, जो इतना उग्र हो गई कि एक पुजारी ने दूसरे पुजारी पर चाकू से जानलेवा हमला कर दिया।
शाम के 7 बजे मंदिर में आरती चल रही थी, भक्तों के हाथ में दीये जल रहे थे, मंत्रों की ध्वनि पूरे माहौल में गूंज रही थी। लेकिन तभी एक दिल दहला देने वाली घटना घटी। (Dausa Crime News) 60 वर्षीय पुजारी परशुराम दास महाराज पर उसी मंदिर में रहने वाले 30 वर्षीय पुजारी शिवपाल दास ने चाकू से ताबड़तोड़ वार कर दिए। वार इतने गहरे थे कि परशुराम दास की आंतें तक बाहर आ गईं। श्रद्धालुओं की आंखों के सामने मंदिर का पवित्र स्थल रक्तरंजित हो गया। हमले के बाद आरोपी शिवपाल दास खून से सने हाथों के साथ मंदिर से फरार हो गया। उसने भागने के लिए कार का सहारा लिया, लेकिन पुलिस की मुस्तैदी ने ज्यादा देर उसे छिपने नहीं दिया। वारदात के महज 18 किलोमीटर बाद पुलिस ने उसे धर दबोचा।
CCTV से छेड़छाड़ कर पहले ही बनाई थी योजना
हत्या से पहले आरोपी शिवपाल दास ने मंदिर में लगे CCTV कैमरों से छेड़छाड़ की थी। पुलिस को आशंका है कि उसने परशुराम दास के मर्डर की पूरी योजना पहले ही बना ली थी। बताया जा रहा है कि वारदात के समय मंदिर में केवल शिवपाल और परशुराम दास ही मौजूद थे। कोई तीसरा व्यक्ति वहां नहीं था, जिससे साफ है कि यह हमला पूरी तरह पूर्व नियोजित था।
हत्या के बाद शिवपाल दास कार लेकर सवाई माधोपुर रोड की तरफ भाग गया। हालांकि, उसका मोबाइल चालू था, जिससे पुलिस ने उसकी लोकेशन ट्रेस कर ली। वारदात के करीब एक घंटे बाद ही रात 8 बजे पुलिस ने उसे बगड़ी टोल के पास पकड़ लिया। पुलिस ने उसकी कार और मोबाइल को कब्जे में लेकर मेडिकल जांच करवाई है और उससे पूछताछ जारी है।
आत्मरक्षा में किया हमला..
लालसोट SHO श्रीकृष्ण मीणा ने बताया कि पूछताछ में शिवपाल ने खुद को बचाने की कोशिश की। शिवपाल के अनुसार, शाम 7 बजे जब वह मंदिर में पहुंचा, तो गर्भगृह के पट बंद थे। उसने परशुराम दास से पट खोलने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। काफी कहासुनी के बाद उन्होंने चाबी दी, लेकिन जैसे ही शिवपाल ने ताला खोलने की कोशिश की, परशुराम दास ने चाकू से उसकी गर्दन पर वार कर दिया।
शिवपाल का दावा है कि अपनी जान बचाने के लिए वह भागा, लेकिन जब उसकी गर्दन से खून बहने लगा, तो उसने आपा खो दिया। वह वापस लौटा और परशुराम दास पर उसी चाकू से हमला कर दिया, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। इसके बाद वह घटना स्थल से फरार हो गया। पुलिस जांच में पता चला कि शिवपाल दास मंदिर के ठीक सामने 100 मीटर की दूरी पर एक कमरे में रह रहा था। वह महज चार महीने पहले ही यहां आया था। यह घटना पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गई है। इससे पहले भी बिलोना कला और देहलाल गांवों में इसी तरह पुजारियों की हत्या हो चुकी है।
श्रद्धालु ने पुलिस को दी सूचना
घटना के बाद एक श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करने पहुंचा, तो उसने देखा कि परशुराम दास की बॉडी खून से लथपथ पड़ी थी, उनकी आंतें बाहर आ गई थीं। श्रद्धालु ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। इसके बाद ASP दिनेश अग्रवाल, DSP दिलीप मीणा और SHO श्रीकृष्ण मीणा पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। मौके से चाकू और कुल्हाड़ी बरामद की गई। एमओबी और एफएसएल टीम को बुलाकर सबूत जुटाए गए और मंदिर परिसर को सील कर दिया गया। घटना के बाद स्थानीय लोगों में आक्रोश फैल गया और उन्होंने आरोपी को सख्त सजा देने की मांग को लेकर नारेबाजी की।
मंदिर की स्थापना परशुराम दास ने की थी
स्थानीय लोगों के अनुसार, परशुराम दास ही पंचमुखी बालाजी मंदिर के संस्थापक थे। उन्होंने ही मंदिर की नींव रखी थी और वर्षों से वहां पूजा-अर्चना कर रहे थे। मंदिर परिसर में पेड़-पौधे भी उन्होंने ही लगाए थे। गौर करने वाली बात यह है कि 12 से 14 अप्रैल के बीच मंदिर में एक धार्मिक आयोजन होना था। गणेश प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा और कलश यात्रा की तैयारी चल रही थी। लेकिन इससे पहले ही यह खौफनाक वारदात हो गई, जिसने पूरे इलाके को हिला दिया। अब पुलिस इस मामले की गहराई से जांच कर रही है कि आखिर यह विवाद क्यों हुआ और इसके पीछे की असली वजह क्या थी।
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