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जानलेवा हमले का काला सच... रामेश्वर गुर्जर को 10 साल की सजा, लेकिन क्या ये थी असली वजह?

Attempted murder: (प्रेमकुमार गढ़वाल)।वर्षों की कानूनी लड़ाई के बाद, आखिरकार न्याय की एक नई किरण दिखाई दी है। एक दशक पहले हुए जानलेवा (Attempted murder) हमले के मामले में रामेश्वर गुर्जर को 10 साल की कठोर कैद और 56,000 रुपये...
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Attempted murder: (प्रेमकुमार गढ़वाल)।वर्षों की कानूनी लड़ाई के बाद, आखिरकार न्याय की एक नई किरण दिखाई दी है। एक दशक पहले हुए जानलेवा (Attempted murder) हमले के मामले में रामेश्वर गुर्जर को 10 साल की कठोर कैद और 56,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई है। यह फैसला मंगलवार को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (महिला उत्पीड़न प्रकरण) द्वारा सुनाया गया, जिसने समाज में हिंसा और अन्याय के खिलाफ एक मजबूत संदेश दिया।

घटना का विवरण

12 सितंबर 2014 को, डूंगा का खेड़ा निवासी राजेश पुरी ने जिला अस्पताल में बनेड़ा पुलिस को एक लिखित शिकायत पेश की। उन्होंने बताया कि उनके पिता लादू पुरी सुबह 7 बजे घर से शौच करने निकले थे। जब वह सोहनलाल गुर्जर के मकान के पास नहर के पास पहुंचे, तभी रामेश्वर गुर्जर, जो पहले से वहां छिपा हुआ था, ने धारिये से उन पर हमला कर दिया। इस हमले में लादू पुरी गंभीर रूप से घायल हो गए, उनके हाथ और पैरों पर गंभीर चोटें आईं। काली गोस्वामी ने घटना की सूचना उनके परिजनों को दी, जिन्होंने मौके पर पहुंचकर एंबुलेंस बुलाकर लादू पुरी को जिला अस्पताल ले जाया।

कानूनी प्रक्रिया

हमले के बाद, पुलिस ने रामेश्वर गुर्जर के खिलाफ मारपीट और हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया। पुलिस ने तफ्तीश कर रामेश्वर को गिरफ्तार किया और उसके खिलाफ न्यायालय में चार्जशीट पेश की। ट्रायल के दौरान विशिष्ट लोक अभियोजक संजू बापना ने 16 गवाहों के बयान और 27 दस्तावेज पेश किए, जिससे रामेश्वर पर लगे आरोप सिद्ध हुए। मंगलवार को न्यायालय ने रामेश्वर को 10 साल की कठोर कैद और 56,000 रुपये का जुर्माना सुनाया।

हमले का कारण

गिरफ्तारी के बाद पुलिस पूछताछ में रामेश्वर ने बताया कि अकाल पड़ने के कारण वह 10 साल तक महाराष्ट्र में ट्रैक्टर कंप्रेशर का काम करता रहा। गांव लौटने के बाद उसने पवन पुरी से चार लाख रुपये की मांग की। छह महीने बाद पवन ने उसे 3.34 लाख रुपये दिए, लेकिन 66 हजार रुपये बाकी रह गए। जब भी वह पवन से पैसे मांगता, लादू पुरी उसकी पैरवी करता था, जिससे उनके बीच झगड़े होते रहते थे। लादू पुरी के विरोध से निराश होकर रामेश्वर ने उस पर हमला करने का फैसला किया।

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